भोपाल से श्री मल्लिकार्जुन: एक अविस्मरणीय यात्रा

ऊँ के आकार वाला द्वीप: ओंकारममलेश्वर
श्री मल्लिकार्जुन
 श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और सिद्ध शक्ति पीठ भ्रमरम्बा देवी
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर

यात्राएं उद्देश्यपरक होती हैं इसमें कोई सन्देह नहीं, लेकिन यादगार यात्राएं तो वही कहलाती हैं जिनकी इन्द्रधनुषी स्मृतियां लम्बे समय तक मन को आलोढ़ित करती रहती हैं। रेल और हवाई यात्राएं चाहे सुगम, सुविधाजनक और सुलभ कितनी ही क्यों न हों पर सड़क यात्राएं नैसर्गिक सौंदर्य के रसास्वादन का वास्तविक माध्यम होती हैं। अतः हमने अपने ‘लांग वीकेण्ड टूर’ के लिए सड़क मार्ग को ही श्रेयस्कर समझा। उद्देश्य भी यही था रोमांच की पराकाष्ठा की अनुभूति और विशुद्ध देशज संस्कृति की सौंधी गंध को महसूसना।
देश के वैभवशाली ऐतिहासिक, समृद्ध सांस्कृतिक और आलौकिक आध्यामित्क परिवेश के सुरम्य साझा स्वरूप से सीधे साक्षात्कार के लिए पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों और सिद्ध शक्तिपीठों की यात्रा का कार्यक्रम बना। शुरूआत में दक्षिण के तेलंगाना प्रदेश स्थित प्रतिष्ठित श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और सिद्ध शक्ति पीठ भ्रमरम्बा  देवी के दर्शन की अभिलाषा के कारण हैदराबाद की ओर रूख करने की योजना बनी। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 850 किलोमीटर का फासला तय कर हैदराबाद पहुंच कर रात्रि-विश्राम का फैसला लिया गया।

यात्रा की शुरूआत

भोपाल से हैदराबाद
भोपाल से हैदराबाद का सफर: होशंगाबाद, बैतूल, हैदराबाद का हाइवे NH-44

सुबह साढ़े सात बजे ऑडी कार द्वारा हमने सफर की शुरूआत की। NH-46 हाइवे से ओबेदुल्लागंज, इटारसी होते हुए होशंगाबाद पहुंचने का लगभग 70 किमी का सफर सिंगल लेन होने के कारण ट्रेफिक जाम से सामाना करते हुए ही बीता। NH-46 फिलहाल दुरूस्ती की बाट जोह रहा है। होशंगाबाद से बैतूल तक सघन वन सम्पदा के बीच से गुजरते हुए कोई 100 किमी की यात्रा गढ्ढ़ों के कारण कष्टप्रद रही। यहां तक कि होशंगाबाद में नर्मदा नदी पर बना बांध भी बदहाल दिखाई दिया। इसके गढ्ढों को पूरने और टूटी रेलिंग को मरम्मत की दरकार है। इसके आगे बैतूल-नागपुर हाइवे NH-47 फोर लेन है। लगभग 180 किमी का यह रास्ता गाड़ी की गति बढ़ाने के लिए मुनासिब है। हांलाकि हमारे राष्ट्रीय राजमार्गों पर महिला मुसाफिरों के लिए दी जाने वाली सुविधाओं का नितान्त अभाव है। घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के वास्ते सरकारों को इस ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए। स्मरण रहे इस रास्ते पर मौजूद पेट्रोल पम्पों के नोजल हाइ ब्रेण्ड लग्जरी कारों के लिए मुफीद नहीं हैं।

बहरहाल अब तक 351 किलोमीटर की यात्रा कर लेने के बाद स्वल्पाहार लेने के लिए नागपुर स्थित हल्दीराम रेस्तरां हमें उपयुक्त लगा। नेवीगेशन के आधुनिक संसाधन ने रास्ता खोजने का काम आसां कर दिया। आगे 500 किलोमीटर का सफर और तय करना बाकी था इसलिए हल्का-फुल्का खाने में ही भलाई थी। नागपुर से हैदराबाद का हाइवे NH-44 बेहतर है लेकिन तेलंगाना में प्रविष्टी के साथ ही यह हाइवे पूर्ण विकसित और अधिक विस्तारित हो जाता है। उत्तर-दक्षिण NH-44 श्रीनगर से शुरू होकर भारत के दक्षिण छोर कन्याकुमारी को जोड़ने वाला देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग है। किसी राज्य के चौतरफा विकास में सड़कें कितनी महती भूमिका निभाती हैं ये तेलंगाना राज्य की सड़क व्यवस्था को देखकर लगा। अबाधित, आधुनिक और दोनों ओर नयनाभिराम दृश्यावलियों से लैस सड़क अब हमारी यात्रा का पर्याय बन गयी थी। इस रास्ते पर अलबत्ता चाय और कॉफी की चुस्कियों का लुत्फ उठाने की व्यवस्था न के बराबर है। ‘मिडवेज’ अथवा ढाबा संस्कृति का अभाव अखरता है। पेट्रोल पम्पों पर स्थित शौचालय तो स्वयं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाते दिखाई देते हैं क्या कीजिएगा…
अब तक प्रकृति की सुषमा में चट्टानों से निर्मित अद्भुत शिल्पाकृतियां कार के दोनों ओर दिखाई देने लगीं थीं। शीशे उतारकर कैमरे में तस्वीरें कैद करने का उपक्रम शुरू हुआ। कभी कछुआ तो कभी कुकुरमुत्ते के आकार वाले नाना स्वरूप धरते अनोखे प्रस्तर खण्डों के दर्जनों समूह एक के बाद एक हमारे सामने थे। ये दक्षिणी पठार में सहस्त्रोंवर्ष पूर्व हुए भूगर्भीय परिवर्तिनों का प्रतिफल हैं। भला बताइये निसर्ग की ऐसी रमणीयता पल-प्रतिपल बदलते परिदृश्यों से ऐसा साक्षत्कार सड़क मार्ग के अलावा और किस माध्यम से संभव हो पाता?

सुखद अहसास: ‘पार्क हयात होटल’

पार्क हयात होटल
पार्क हयात होटल

हैदराबाद पहुंचकर घड़ी देखी, रात के सवा 8 बज रहे थे। यहां के बंजारा हिल्स स्थित लग्ज़री होटल ‘पार्क हयात’ में ठहरने के लिए बुकिंग पहले से ही थी। सुखद अहसास कराती 209 कमरों वाले पांचतारा होटल की भव्यता अत्याधुनिक साजसज्जा और विशाल सुरूचिपूर्ण सुईट ‘पार्क हयात होटल’ को और भी विशिष्ट बनाते हैं। इस निहायत ही दिलकश होटल में दिन भर की थकान मिटाकर अगले दिन श्री मल्लिकार्जुन के दर्शन-लाभ का कार्यक्रम नियत था।

श्री शैल पर्वत और पवित्र कृष्णा नदी

श्री शैल पर्वत और पवित्र कृष्णा नदी
श्री शैल पर्वत और पवित्र कृष्णा नदी

हैदराबाद से 213 किमी दूर NH-765 पर कुर्नूल जिले में श्री शैल पर्वत पर स्थित श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग और सिद्धशक्तिपीठ भ्रमरम्बा देवी का दिव्य धाम हमारी यात्रा का अगला पड़ाव था। मार्ग में कदली और बिल्ब पत्रों वाली अपार वन राशि, नितान्त निःस्तब्धता, चिड़ियों का कलरव, उछलते-कूदते बंदर, नाचते-झूमते मोर और सुदूर खेतों में जीविकोपार्जन के लिए प्रयत्नशील वनवासी ऐसा लगता है मानो इस पवित्र स्थल के संरक्षक हों और कृष्णा नदी संस्कृति की संवाहिका। साढ़े चार घण्टे के इस सफर में पाताल गंगा अथवा पवित्र कृष्णा नदी का जल प्रवाह श्री शैल जल विद्युत परियोजना के रूप में दिखाई देता है। लगभग बीस वर्षों में बनकर तैयार हुए श्री शैल बांध से 885 फीट की ऊंचाई से गिरते प्रबल जलावेग को देखने के लिए पर्यटकों का तांता लगा रहता है। बरसात के दिनों में घुमावदार पहाड़ी रास्तों से गुजरकर बांध के 12 रेडियल गेटों को खुलते देखने की चाहत लिए लोगों का भारी हुजूम यहां एकत्रित हो जाता है। लगभग 1300 किलोमीटर लम्बाई वाली पुण्य सलिला कृष्णा नदी अपनी प्रमुख सहायक नदियों तुंगभद्रा और भीमा की जलधारा को स्वयं में समाहित करती यहां नीली आभा लिए प्रवाहित होती है। श्रद्धालु इस नदी में स्नानोपरान्त ही मंदिर में प्रविष्ट होते हैं। यहीं महान शिवोपासिका रानी अहिल्या बाई होल्कर ने उपासकों की सुविधा हेतु 852 सीढ़ियों वाला घाट निर्मित कराया।
अब हमारा सफर दक्षिण के कैलाश कहलाने वाले नल्ला मल्ला हिल्स की ओर आगे बढ़ रहा था नल्ला का शाब्दिक अर्थ है सुन्दर और मल्ला का मतलब है ऊंचा। नामानुरूप यह दिव्य क्षेत्र अद्भुत और आलौकिक सुख का अनुभव कराता चलता है। निसर्ग की अनुपमता वाले इस पवित्र धाम में शिव और शक्ति दोनों ही विद्यमान हैं। कहते हैं शिव शक्ति के अधिष्ठान हैं इसीलिए तो शिव और शक्ति परस्पर पूरक और अनुपूरक भी हैं। शिव शक्ति से भिन्न कहां हैं। शिव में इकार ही शक्ति हैं। इकार निकल जाने पर शव ही तो रह जाता है।

दिव्य धाम: श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

दिव्य धाम: श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
दिव्य धाम: श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

यही सोचते-सोचते हम पर कल्याणकारी शिवधाम श्री मल्लिकार्जुन और महाशक्तिपीठ भ्रमारंबा देवी के मंदिर के समक्ष पहुंच गये। शक्ति और श्रद्धा से आकंठ सराबोर इस तीर्थ स्थल में प्रविष्टि के लिए ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था है। स्थानीय ऑफिस से जलाभिषेक हेतु 500 रू. की रसीद कटाकर प्रवेश करना ही उचित होगा। इस तीर्थधाम में ज्योतिर्लिंग के प्रादुर्भाव को लेकर कई मान्यताएं है। शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार श्री गणेश का विवाह पहले कर दिये जाने से रूष्ट कार्तिकेय क्रौंचपर्वत पर चले गये। देवगणों की विनति भी कार्तिकेय को आदरपूर्वक लौटा लाने में विफल रही। पिता आदिदेव शिव और माता पार्वती पुत्र वियोग से व्यथित, वात्सल्य से व्याकुल होकर क्रौंच पर्वत पहुंचे, स्नेहीन कार्तिकेय उनके आगमन की सूचना पाकर तीन योजन और दूर चले गये। अन्त में पुत्र दर्शन की अभिलाषा में जगदीश्वर शिव स्वयं ज्योति रूप धारणकर मां पार्वती के साथ पर्वत पर अधिष्ठित हो गये। उसी दिन से प्रादूर्भूत शिवलिंग श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात हुआ। मल्लिका अर्थात् पार्वती और अर्जुन शब्द शिव का वाचक है इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों की दिव्य ज्योतियां प्रतिष्ठित मानी गई हैं। एक प्रचलित जनश्रुति के अनुसार राजकन्या चन्द्रावती ने किसी विपत्ति से बचाव के लिए श्री शैल पर्वत पर शरण ली। उसे लगा कि श्यामवर्णी उसकी अतिप्रिय गाय श्यामा का दूध कुछ दिनों से कोई दुह लेता है। सत्य जानने की उत्कंठा में उसने गाय का पीछा किया तो पाया कि किसी स्थान पर बिल्ब वृक्ष के नीचे खड़े होकर गाय स्वयं दूध की धाराएं जमीन पर गिरा रही थी। चमत्कृत चन्द्रावती ने उस स्थल की खुदाई की तो स्वयंभू शिवलिंग दिखायी दिया। कहते हैं यहीं उसने बाद में भव्य विशाल मंदिर का निर्माण कराया। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में परिगणित अभीष्ठ फलदायक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर किलेनुमा दीवारों से घिरा हुआ है जो 20 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी हैं क्षेत्रफल की दृष्टि से 2120 फीट विस्तारित हैं। इन अभेद्य दीवारों की निर्मिति में 3200 प्रस्तर खण्डों का उपयोग हुआ है और हर पत्थर 1 टन वजनी है। मदिर के परकोटे में चारों ओर द्वार हैं जिन पर गोपुर निर्मित हैं। द्रविड़ियन शैली में निर्मित विशाल मण्डप और भव्य प्रागंण विजयनगर वास्तुकला के अभिनव प्रादर्श हैं। परिसर में छोटे-बड़े कुण्ड हैं इनमें से मनोहर कुण्ड का जल ही अभिषेक के लिए सर्वोत्तम माना गया है। यह परिसर गुरू दत्तात्रेय और श्रृषि अत्री की साधनास्थली भी रहा है। आदिशंकराचार्य की शिवानन्दलहिरी भी इसी पावनधरा की देन है। मंदिर के बाहर पीपल पाकर का सम्मिलित वृक्ष है जिसके आस-पास बने चबूतरे पर श्रद्धालु ध्यानमग्न अवस्था में बैठे दिखाई देते हैं।
सतवाहन, इश्वाकु, पल्लव, विष्णु कुण्डी, चालुक्य, काकात्यिार, रेड्डी, विजयनगर शासकों के साथ-साथ छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस प्रतिष्ठित मदिर के निर्माण, विस्तार और जीर्णोंद्धार में विशेष योगदान दिया। पुरातत्व वेदत्ता इसका निर्माण करीब दो हजार वर्ष पूर्व का मानते हैं। पुराणों के अनुसार हिरण्यकश्यप, नारद, पाण्डव और स्वयं श्रीराम ने इस देव स्थान में पूजा अर्चना की थी।

अगला पड़ाव: महाशक्तिपीठ भ्रमरम्बा देवी

महाशक्तिपीठ भ्रमरम्बा देवी
महाशक्तिपीठ भ्रमरम्बा देवी

आगे कुछ सीढ़ियां चढ़ने पर आदिशक्ति देवी भ्रमरम्बा का मंदिर है। इस शाश्वत धाम में सती माता की ग्रीवा गिरी थी। बावन शक्तिपीठों में से एक इस पवित्र तीर्थधाम में देवी महालक्ष्मी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। गर्भगृह के समक्ष श्री यंत्र स्थापित है ऐसी मान्यता है कि दानव अरूणासुर के संत्राप से संत्रस्त देवगणों के दुखों के निवारणार्थ देवी ने भ्रमर रूप धारण कर उसका वध किया था स्थानीय लोग भ्रमरों का गुंजन आज भी सुनायी देने की बात कहते हैं। यहां सिन्दूर से श्री यंत्र की पूजा का विधान है मदिर में प्रविष्टि और पूजा के लिए 500 रू. का शुल्क देय होता है। ऐसी मान्यता है कि अगस्त्य ऋषि की धर्मपत्नि लोपामुद्रा भी इसी मंदिर में प्रतिष्ठित हैं।

शिखरेश्वर दर्शन

शिखरेश्वर दर्शन
शिखरेश्वर, साक्षी गणेश और वीरभद्र मंदिर

शिव और शक्ति के दर्शनोपरान्त परिसर से निकलकर कुछ दूरी और तय करने पर वीरभद्र की प्रतिमा स्थित है और आगे बढ़ने पर साक्षी गणेश के मंदिर में दर्शन करना अनिवार्य माना गया है। कुछ और ऊपर बढ़ने पर नन्दी की विशाल प्रतिमा स्वागत करती है। इसमे आगे शिखरेश्वर पर पहुंचकर नन्दी के दो कर्णों के बीच से मंदिर का विहंगम दृश्य और शिखर देखने की परम्परा है। यहां 2 रू. शुल्क अदायगी के बाद ही प्रवेश संभव हो पाता है। इस परिसर में वानर दल उपासकों के इर्द-गिर्द डोलते रहते हैं। हमारे पौराणिक ग्रन्थों में वर्णित है कि श्री शैल शिखर के दर्शन मात्र से ही कष्टों का निवारण हो जाता है। यकीन मानिये यहां से उतरते हुए हमारी तरह प्रकृति की सजीली मन्जुल गोद में परमात्मतत्व की अनुभूति आपके भी अन्तर्मन को देर तक प्रभावित करती रहेगी। आलौकिक आनंद की स्मृतियाँ मदिर के घण्टों के निनाद की तरह जेहन में रची-बसी रहेंगी और आपकी कलाई पर होगा पीला-नीला ऊनी रक्षासूत्र।

भूदान पोचमपल्ली गांव और साड़ियां

भूदान पोचमपल्ली गांव और साड़ियां
पोचमपल्ली साड़ियों का अनूठा संसार

अगले दिन की शुरूआत हैदराबाद से 42 कि.मी. दूर NH-65 पर भूदान पोचमपल्ली गांव की यात्रा के साथ हुई। एक घण्टे की यह यात्रा चौड़े पाट वाले हाइवे के जरिए होती है। निर्बाध गति से चलने के लिए यह सड़क एकदम सटीक है। प्रतिभा सम्पन्न साड़ी बुनने वाले लगभग 4000 बुनकरों के इस छोटे से गांव में माटी की सौंधी गंध ने हमारा स्वागत किया। पोचमपल्ली की सूती और रेशमी साड़ियों की देश-विदेश में विशेष मांग है। इस गांव के लगभग हर घर से करघे की लकड़ी की ठक-ठक करती आवाजें आती ही रहती हैं। घर की देहरी पर सजी हुई रंगोली यहां रहने वालों के रंग संयोजन और ज्यामितिक रचनाएं उकेरने के हुनर की बानगी पेश करती दिखाई देती हैं।
ज्यामितिक आड़ी खड़ी रेखाएँ, चौकड़ी, डायमण्ड कट और अमूर्त मोटिफ वाली इन इकत साड़ियों के पुराने पैटर्न सिद्धिपेट खान डिजाइन से ज्यादा प्रभावित दीखते हैं। हांलाकि गुजरात के पाटन पटोलू रूमाल प्रारूप से उठाए गये हाथी, तोते, फूल और नाचती महिलाओं के अंकन पोचमपल्ली इकत साड़ियों का हिस्सा बनकर इनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते है। चौड़े बॉर्डर की टाई एण्ड डाई प्रकिया से बनने वाली पोचमपल्ली साड़ियां हमे बताया गया कि सिंगल इकत और डबल इकत दोनों में बुनी जाती हैं। यहां की हर छोटी-बड़ी दुकान पर रेशमी साड़ियां रू 3000 से लेकर 15-30000 रूपये में खरीदी जा सकती है। सूती साड़ियों की कीमत जरा कम है। इस गांव का संबंध आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से भी रहा है। निखालिस ग्रामीण परिवेश और सांस्कृतिक उन्नयन के ताने-बाने से बुनी चटक रंगों वाली तस्वीरों को दिल में उतारते हुए हम हैदराबाद की ओर रवाना हो गये।

शहर हैदराबाद की गंगाजमुनी तहजीब

शहर हैदराबाद की गंगाजमुनी तहजीब
शहर हैदराबाद की पुरसुकून इमारतें

अब हैदराबाद की गंगाजमुनी तहजीब से रुबरू होने का वक्त था। मूसी नदी पर कुतुब शाही शासकों की परिकल्पना से बनाये गये शहर की पुरसुकून इमारतों को निहारने के लिए हम पुहंच गये चारमीनार के सामने। तामीरात के शौकीन कुतुब शाही हुकूमत के दौर में शहर की बसाहट के लिए ईरान से वास्तुविद आये। जिनकी सरपरस्ती में शहर हैदराबाद, हैदर यानि (फारसी/उर्दू) में (बहादुरों/शेरों) का शहर की शान-बान के मुताबिक तामीरी करवायी गई। कुतुबशाही दौर की इमारतों में फारसी और मूरिश प्रभाव दिखाई देता है। मुगल काल और निजाम शाही के दौर में भी हैदराबाद को उम्दा इमारतों से सजाया-संवारा जाता रहा।
171 बरस के कुतुबशाही हुकूमत के चौथे राजा ने 1587 में पत्नी भागमती के लिए भाग्यनगर अर्थात हैदराबाद बनाया। 1687 तक यह उनकी राजधानी रहा। इसी राजवंश के पांचवे शासक ने प्लेग महामारी के खात्में की खुशी में 1591 ई. में चारमीनार का र्निमाण कराया। ग्रेनाइट, चूना पत्थर और संगमरमरी चूर्ण से बनी चार मीनार 66 फुट लम्बा भवन है, जिसकी 184 फुट ऊंची मीनारें और चार अलंकृत मेंहराबें डबल छज्जे के साथ खड़ी हैं। यहीं लाड बाजार की रौनकदार दुकानें छोड़ते हुए हम आगे बढ़ गये, कुछ दूरी पर गोलकुण्डा के किले के दीदार हुए। कहा जाता है कि काकातीय राजाओं ने 1143 ई. में एक गडरिये की सलाह पर एक छोटी पहाड़ी पर इसे बनाया, गोल्ला अर्थात गडरिया और पहाड़ी को कोण्डा कहने से इसे गोलकुण्डा कहा गया। कोई तीन मील तक विस्तारित इस किले में 9 दरवाजे 43 खिड़कियां और 58 भूमिगत रास्तों का उल्लेख मिलता है। यह एक अभेद्य दुर्ग था। हर दौर में ये दोनों इमारतें पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर पूरी आन-बान-शान से दिखायी देती हैं। थोड़ी दूर चलने पर इब्राहिम बाग स्थित कुतुब शाही राजवंश के सात समाधि स्थल हमारे सामने थे। कुली कुतुब शाह के मकबरे का 140 फुटा बुलंद गुम्बद और 200 फीट लम्बान वाला चबूतरा उस दौर के हुक्मरानों की तामीरी दीवानगी का बेमिसाल नजारा पेश कर रहा था। ये इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की नायाब मिसालें हैं।

हैदराबादी ज़ायका और जुबान

हैदराबादी ज़ायका और जुबान
बहुत कुछ है हैदराबाद के पास परोसने के लिए

हैदराबाद की नब्ज टटोलते हुए शाम हो चुकी थी। अब वक्त था हैदराबादी वेजिटेरियन खानों का आनंद उठाने का। पार्क हयात होटल के रेस्तरां में हैदराबादी वेज दम बिरयानी अनार के दाने बुरकी हुई, हल्दी वाले खट्टे-मिठ्ठे दही के रायते और पापड़ के साथ परोसी गयी। खाटी दाल, हैदराबादी मिर्च का सालान, दम के बघारे बैंगन और खुबानी का मीठा बहुत कुछ है हैदराबाद के पास परोसने के लिए। लांग वीकेण्ड टूर को जायकेदार बनाने के लिए इससे अच्छी जगह और कौन सी होगी भला। स्मरण रहे यात्रा में कई बार हैदराबादी जुबान काइकू, नक्को, पोट्टी-पोट्टा, मेंरेकू, तेरेकू, होना बोलके और जरा हल्लु चलो जैसे शब्द गाहे बगाहे सुनाई देते रहेंगे बस आपको स्थानीय लोगों के साथ बातचीत के दौरान इनको पकड़ना पड़ेगा।
भोपाल वापसी
अद्भुत दृश्यावलियों वाली इस जगह ने हमें इस कदर प्रभावित किया जैसे कोई बच्चा एक कोरी ड्राइंग बुक ले कर गया हो, रास्ते भर उसने कुछ आकार उकेरे हों और फिर घर आते-आते विविध रंगों से उसमें अपनी कल्पना से असीमित रंग भर दिये हों। हाथ खोलकर विधाता ने इस क्षेत्र को सौगातें दी हैं। ऑडी तेजी से हैदराबाद से नागपुर के रास्ते भोपाल की ओर बढ़ रही थी और हम लांग वीकेंण्ड टूर की समाप्ति पर सोच रहे थे निसर्ग का अनुपम सौन्दर्य, आधुनिक भारत के विकास की नयी इबारत, ऐेतिहासिक धरोहरें, अद्वितीय आध्यामिक संचेतना और संस्कृति का अनूठा ताना-बाना मन के किसी कोने में दुबक कर बैठ गया लगता है। धन्य है हमारी सत्य सनातन परम्परा जिसने हमें सर्व-धर्म सम्भाव का पाठ पढ़ाया और हम हैदराबाद को उसी दृष्टीकोण से देख पाये। साथ ही पोचमपल्ली, श्रीशैल मल्लिकार्जुन और भ्रमारंम्बा सिद्ध शक्ति पीठ की मधुर स्मृतियाँ लिए भोपाल लौट आये।

Comments

  1. Shilpa gaur says:

    I really like your article. I appreciate your hard work and dedication. Please post another article soon.

    1. Disha Avinash says:

      Thank you very much, Shilpa. The next Road Diary will be soon on my blog…

      1. Disha Avinash says:

        वासनिक जी, ब्लॉग पढ़ने और प्रतिक्रिया लिखने के लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ. संपर्क बनाये रखिये.

  2. Dr Ira Misra says:

    मोहक, यात्रा पर जाने को दिल मचल जाए। अगली किश्त का इंतजार रहेगा….

    1. Disha Avinash says:

      आपके प्रतिक्रिया लिखकर सहयोग करने के लिए विशेष आभारी हूं धन्यवाद

  3. Riya Malviya says:

    Very nice….अति सुन्दर दर्शन.
    इसे पढ़कर और दर्शन करके ऐसा लगा जैसे मैं भी इस यात्रा में शामिल हूं.
    यात्रा का अति उत्तम व र्णन ..
    म िल्लकार्जुन और भ्रमारम्बा देवी श िक्तपीठ की जानकारी जो हमें नही थी बड़ी रोचक लगी…

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रिया पाकर मन प्रसन्न हुआ, आशा है संवाद का यही क्रम आगे भी बना रहेगा।

  4. Sandeep Gour says:

    अतिउत्तम्,,,,अद्भुत,,,
    विवरण पढ़ कर ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे मैं भी उस यात्रा में शामिल हूँ,,,पहली बार किसी यात्रा का इतना वास्तिवक विवरण पढ़ा है,,,,

    1. Disha Avinash says:

      आपके शब्द ही मेरे लेखनकर्म और रचनाधर्मिता को और आगे ले जायेंगे।

    2. Disha Avinash says:

      संदीप तमाम व्यवधानों के बाद भी आप प्रतिक्रिया लिख पाए ह्रदय से धन्यवाद

  5. Rajendra kumar malviya says:

    Bahut sundar ek dam sukhad anubhav. adbhut, alokik, prakriti k soundarya, aur ishwar k darshan se saravor ek sukhad aatmiy anand ka bhav liye avishmarniya yatra ka Sanjeev varnan.

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे भीतर नयी ऊर्जा का संचार किया है।

  6. varsha says:

    Nicely written Disha. Keep it up.we are waiting for your next article.

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रिया के लिए विशेष आभारी हूं धन्यवाद

  7. Anumita Patel says:

    तुम्हारा यात्रा वृतॉत बहुत ही मन मोहक लगा…..कई वार तो ऐसा महसूस हुआ कि मै स्वम उस जगह पर तुम्हारे साथ उपस्थित हूँ औऱ अपनी आँखो से सब देख रही हूँ…4साल आंध्रप्रदेश में रहने पर वहाँ के रहन सहन से वाकिफ हूँ..तुमने पौचम पल्ली गाँव का बहुत सटीक विवरण दिया..साड़ी बुनकर की मेहनत देख कर अहसास होता हैं भारत में कितनी बहुमूल्य कारीगरी का काम होता होता है…श्री शैल पर्वत (नल्लामल्ला पहाडी )पर स्थित दुर्गम रास्ते से होते हुये भगवान श्री मल्लिकार्जुन एवं भ्रमरंभा देवी के दर्शन का लाभ लिया..इसी तरह भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन प्राप्त प्राप्त करो…हमें तुम्हारे यात्रा वृतॉत का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा…….चरैवेति चरैवेति….

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रिया ने सबकुछ समेट लिया और मुझे ताकत दे दी इतनी कि हर बार कुछ नया लिखकर आप लोगों को देश के अनजाने सौन्दर्य से भलीभांति परिचित करा सकूं।

  8. Amit sinha says:

    दिशा जी बहुत खूब लिखा है,शब्दों का चयन लाजवाब है।
    अब इस शब्दावली का प्रयोग गाहे बगाहे ही देखने पढ़ने को मिलता है। सड़कों केहालात सजीव चित्रित कर दिये हैं ।
    बढ़ती रहिये ….
    ????

  9. Amit sinha says:

    आपकी भाषा,आपकी प्रस्तुति, शब्दों का चयन, आध्यात्म की चाशनी, प्रकृति का बेहतरीन चित्रण, हैदराबादी शब्दों की खनक, सरकारी सड़कों, परियोजनाओं का ग्राफ, उम्दा स्वादों की खूशबू, साथ में चित्रों की गवाही….वाह समां बांध दिया। आपकी इस यात्रा का मैं भी मानसिक गवाह बन गया। चलिए अभी तो और भी यात्राओं का गवाह बनना है… एक बार पुन: बधाई…..

    1. Disha Avinash says:

      अमित जी आपके दो प्रशंसा पत्र मेरे लिए अमूल्य निधि हैं एक वरिष्ठ रचनाकर्मी और कलापारखी द्वारा उत्साहवर्धन हो जाए तो निश्चित रूप से लेखनी की धार और पैनी होएगी। हृदय से अभिनंदन

  10. Deepa Nema says:

    बहुत खूब ….!!!!!!
    लगा जैसे मैं खुद यह यात्रा कर रही हूँ
    अलंकृत और श्रेष्ठ साहित्यिक शब्दों का बखूबी प्रयोग
    व्रत्तांत की खूबसूरती को बढ़ा रहा है
    में निश्चित ही अगला संस्करण पढ़ना चाहूँगी

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रया से मन गदगदायमान है। आपने मेरा हौसला बढ़ाया इसके लिए धन्यवाद

  11. seema sharma says:

    Bhaut sundar vivran

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रिया ही मेरी ऊर्जा है

  12. Shailesh Tripathi says:

    आदरणीय दिशा जी
    क्षमा करना आपका ब्लॉग पढ़ने में कुछ विलम्ब हो गया। बहुत ही सारगर्भित भाषा में लिखा आपका ब्लॉग आपके लेखनी की परिपक्वता को दर्शाता है।आपके यात्रा वृतांत ने कुछ समय के लिए हमें भी उन रास्तों पे होने का एहसास करा गया। जीवन के आपाधापी से दूर लेजाकर दो घड़ी शकुन का जो आपने पाठकों को दिया है उसके लिए आपको साधुवाद। अब मेरी तरह अन्य पाठकों को भी इसकी अगली कड़ी का इंतजार है।।।।
    सधन्यवाद शैलेश त्रिपाठी वाराणसी

    1. Disha Avinash says:

      शैलेश जी, आपकी प्रतिक्रिया बेहद सटीक है और प्रेरणादायी भी. यह मेरी लेखनी को और मांजने का काम करेगी.
      हार्दिक धन्यवाद।

  13. NISHANT VYAS says:

    विस्तृत वर्णन मौजूदगी का एहसास कराता है तो पृकृति चित्रण वहां जाने की इच्छा जाग्रत करता है
    अद्भुत् चित्रण।

    1. Disha Avinash says:

      प्रतिक्रिया भेजने के लिए तहे दिल से शुक्रिया

  14. Swati says:

    Beautifully and well described road trip Disha.I feel like I travelled personally n experienced the whole trip. Looking forward for another article!

    1. Disha Avinash says:

      Thanks for your encouraging words, Swati ji!

  15. Birendra kumar singh says:

    आप का नया ब्लाग पढ़कर अति प्रसन्नता हुयी इसकेदो कारण है पहला कि ब्लाग हिन्दी तथा दूसरा कारण प्रारंभ भोपाल से श्री मल्लीकार्जुन यात्रा जिसमें हिन्दी के अनेक विधाओ का स्पर्श का प्रयास, यात्रा में एक तरफ़ तीर्थ का अध्यातमिक वर्णन तो दूसरी तरफ़ पार्क होटेल का विलॉसिता पूर्ण जीवन भी है ,एक तरफ़ सडको की बदहाली तो दूसरी तरफ़ प्रकृति का ह्रदय को सुखद अहसास भी है एक तरफ़ जहाँ पोचमपल्ली की साडी तो दूसरी तरफ़ उनके कारीगरो का दर्द झलकता है इस लेखन में आपकी स्वछन्दता सबसे महत्वपूर्ण पूँजी है जिसे कोई नहीं छीन सकता आशा नहीं वरन पूर्ण विश्वास ये यात्रा अनवरत जारी रहेगी ।

    1. Disha Avinash says:

      वीरेंद्र जी, आपकी प्रतिक्रिया मेरी अगली पोस्ट को और रुचिकर बनाने में मददगार बनेगी. आपने अपना बहुमूल्य समय निकालकर ब्लॉग को पढ़ा और पसंद किया। ह्रदय से आभारी हूँ.

  16. kamal dubey says:

    disha ji ….bhaut sundar likha hai apne….. mahadev ji …..ke mandir ka bhaut sundar vivran diya hai…..pad kr sukh ki anubhuti hui

    1. Disha Avinash says:

      कमल जी, आपकी सुखद प्रतिक्रिया के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ. बहुत धन्यवाद.

  17. awasthi suresh says:

    बहुत अच्छा लिखा है। यात्रा विवरण काफी रोचक शैली में है। भाषा थोड़ी क्लिष्ट है लेकिन मध्य प्रदेश के लोगों को अच्छी लगेगी।
    ब्लॉग थोड़ा लंबा है कुछ छोटा होता तो और भी अच्छा बन सकता था। संपादन की ज़रूरत है।
    कुल मिलाकर प्रभाव छोड़ता है। बधाई दिशा।

    1. Disha Avinash says:

      सर आपकी प्रतिक्रिया में मेरे लिए जो नसीहतें हैं उन्हें अगले आलेख में सुधारनें की कोशिश करूँगी। आस्था का अतिरेक संपादन की सीमाएँ लाँघ जाता है।आपके सुझावों के लिए अतिशय धन्यवाद।

  18. ब्रजेश राजपूत says:

    बहुत अच्छा लिखा है। यात्रा वृतांत लिखना आसान नहीं होता। वो भी इतना लंबा। बहुत बारीक बातें पकड़ीं हैं। ब्यौरे के साथ तथ्यों का मेल पढ़ने की ललक जगाता है। मेरा ख़्याल है भाषा थोड़ी और आसान होती साथ ही कुछ रास्ते के क़िस्से और लिखने थे। रास्ता बहुत लंबा है तो ब्लाग भी लंबा हो गया । एक एक जगह का अलग अलग भी सिखा जाता तो तुम्हारे कुछ और क़िस्से सामने आते…बेसब्री से अगली कड़ी का इंतजार है

    1. Disha Avinash says:

      बृजेश जी, एक प्रतिष्ठित पत्रकार होने के नाते आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे भीतर एक नयी चेतना का संचार किया है. मैं मानती हूँ ब्लॉग में आलेख लंबा हो गया है पर कौन से रंग समेटूं और कौन से छोड़ दूं यह यात्रा वृत्तान्त में तय कर पाना कठिन हो रहा था. सोचा जितने रंग मुट्ठी में हैं सभी पाठकों की तरफ उछाल दूं और फिर देखूं कौन सा रंग किसे भाता है. शुरूआत में सभी रंगों का छिड़काव जरूरी भी तो है न…. यह बात भी आपकी सही है कि रास्ते के और किस्सों को लेख में स्थान दिया जाना चाहिए था लेकिन फिर पता नहीं कितने लोग उससे तारतम्य स्थापित कर पाते. बहरहाल सुझाव बहुत अच्छे हैं आगे ध्यान रखूंगी। प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.

  19. Raghuwanshi says:

    Yeh yatra bastav main aapkke liye achchi rahi aapka presentation bahut hi sarahniya hai

  20. Raghuwanshi says:

    Aapka presentation bahut achcha hai aapko badhai

    1. Disha Avinash says:

      रघुवंशी जी, आपकी दोनों प्रतिक्रियाओं से मेरी भरपूर हौसलाफ़ज़ाही हुई है. इससे भविष्य में भी मैं अपने ब्लॉग को और रुचिसंपन्न और पठनीय बना पाऊंगी. ह्रदय से धन्यवाद।

  21. vinay says:

    दिशा अच्छा काम किया है। इसे और बढ़ाने की जरूरत है।
    विनय

    1. Disha Avinash says:

      विनय जी, जब कोई सजग लेखनकर्मी आपकी लेखनी की प्रशंसा करे तो जो प्रसन्नता मिलती है वही आपकी प्रतिक्रिया से मुझे मिली है. धन्यवाद.

  22. Sanjay harne says:

    बहुत बढिया वर्णन है ?. ऐसा लग रहा है मानो मैं खुद यात्रा करके आया हूँ

    1. Disha Avinash says:

      संजय जी, आपकी प्रतिक्रिया के लिए विशेष रूप से आभारी हूँ.

  23. Chaitravi Geeta Vivek Dhote says:

    Appreciate the team of road-diaries for excellent article covering all the maximum details of Hyderabad .I glorify to add that , I born in MP and currently resident of Hyderabad. Love to see details of Hussainsagar ,salar-jung museum and Hitech city in another version (if any) of road-diaries.All The Best…..

    1. Disha Avinash says:

      हैदराबाद से आयी आपकी प्रतिक्रिया ने सही मायनो में मेरे भीतर ऊर्जा का संचार कर दिया। हुसैन सागर, सालार जंग म्यूजियम और हाई-टेक सिटी को फिर कभी अपने ब्लॉग में शामिल करूंगी. क्योंकि यह लॉन्ग वीकेंड टूर के तहत की गयी तीर्थयात्रा, कालयात्रा और धरोहर यात्रा थी इसलिए समयाभाव की वजह से बहुत से स्थल छूट गए. चलिए, फिर कभी सही. वैसे हैदराबाद रंगों से भरपूर है और सभी रंगों को समेटने के लिए बड़े कैनवास की दरकार होती है. लेकिन आपके सुझावों पर अमल करेंगे ज़रूर.

  24. Neeta harne says:

    बहुत खूब दिशा. उच्च हिन्दी के प्रयोग के साथ सुन्दर प्राकृतिक वर्णन मनमोहक लगा. कुल मिला कर यात्रा वर्णन बहुत सुन्दर है ?. बहुत बहुत बधाई. अगली कडी के इंतजार मे……. Neeta Harne surat

    1. Disha Avinash says:

      नीता, आपकी प्रतिक्रिया मेरी लेखनी को और तराशने में मेरी मददगार साबित होगी. ह्रदय से धन्यवाद.

  25. Disha I like your diary.great.keep on writing
    Manoj Dwivedi

    1. Disha Avinash says:

      मनोज, आपकी देर से ही सही प्रतिक्रिया तो मिली. आपने मेरी लेखनी और हैदराबाद की दृश्यावलियों को बेहतर शैली में पेश करने के प्रयास को पसंद किया, धन्यवाद.

  26. akhilesh awasthy says:

    आपने जो किया है ऐसा ही कुछ करने की बात मेरे दिल में भी है लेकिन नहीं हो पाया अब तक। बहुत सुंदर है , तस्वीरें भी उम्दा हैं। आप अगली यात्रा पर कब जा रही हैं। उसका इंतजार रहेगा।

    1. Disha Avinash says:

      अखिलेश, आपने मेरे ब्लॉग के साथ हैदराबाद की यात्रा की और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराया, धन्यवाद. ब्लॉग से जुड़े रहिये बस.

    1. Disha Avinash says:

      विजय सर, आपकी संक्षिप्त प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.

  27. संगीत त्रिपाठी says:

    अद्भुत!
    तुम्हारी यात्रा का वृत्तांत पढ़ कर ऐसा लगा जैसे मैं स्वयं ही यात्रा कर रही हूँ। प्रकृति का नयनाभिराम चित्रण मनोरंजक है । जीने के सारे आयाम प्रकृति में बिखरे पड़े हैं, इन्ही जीवन रत्नों को मुक्त हाथों से उलीच लिया है तुमने । अतिसुन्दर..!
    अत्यन्त ख़ुशी है कि तुम आंटी की लेखन परंपरा को कायम रखे हुए हो।
    अगली रोड डायरी के इंतज़ार में..

    1. neelesh says:

      Mem apki is yatra ne ham sabhi ko romanch or desh ki sanskrit ki sondhi khusbu ko mhasus kraya he mem apki yatra ase hi chalti rahe mare shubh kamna apke sat he….

      1. Disha Avinash says:

        नीलेश, आपकी प्रतिक्रिया के लिए शुक्रगुज़ार हूँ.

    2. Disha Avinash says:

      संगीता, तुम्हारी प्रतिक्रिया हिंदी के बेहतर इस्तेमाल के साथ बेहद सारगर्भित व सटीक है. माँ की लेखनी का अंश अपनी लेखनी में उतार पाने में तुम्हें मैं सफल नज़र आ रही हूँ तो मेरे लिए निःसंदेह गर्व का विषय है. आगे भी लिखती रहना.

  28. Devendra vashisht says:

    Mem apke yatra vratant me lekhan ke sabhi paksh upasthit he prakriti ki sundrta se lekar adhunikta sabhi ka smayojan hai
    Apke agle blog aur apki pustak Bhopal ka Itihas ki pratiksha rahegi

    1. Disha Avinash says:

      देवेंद्र जी, आपकी प्रतिक्रिया से यात्रा वृतांत को और अधिक निखारने की स्फूर्ति मिली है. इंतज़ार कीजिये, ब्लॉग से जुड़े रहिये. भविष्य में भी देश-प्रदेश के अनजाने सौंदर्य से अवगत कराती रहूंगी. भोपाल का इतिहास भी जल्द ही सामने लाऊंगी। धन्यवाद।

  29. Anil Mudgal says:

    Bahut badhiya Disha….maza aa gaya….isi tarah likhte rahiye aur humko alag-alag jagah ki sair karayiye.

    1. Disha Avinash says:

      Dhanyavaad Anil ji! asha hai aage bhi aap meri sabhi yatraon se aise hi jude rahenge.

  30. Kanupriya Gupta says:

    Very nice……your Hindi vocabulary is excellent…..just loved the journey.

    1. Disha Avinash says:

      Thanks Kanupriya, I appreciate your love for the language. Keep in touch for more journeys with me…

  31. सचिन देवलिया says:

    मैने पढ़ा, और मुझे यह एक मोहक यात्रा वृतांत के साथ-साथ ही इतिहास की झलक भी दिखा गया। कुछ वर्ष पहले मैंने भी पवित्र ज्योर्तिलिंग के दर्शन लाभ प्राप्त किये थे। आपके यात्रा संस्मरण से पुनः ये लाभ प्राप्त हो रह है।बहुत सूक्ष्मता से आपने आसपास के स्थानों देखा और महसूस किया।शब्दों के माध्यम से भोपाल से यह यात्रा कब शुरू हुयी और कब ख़त्म, अहसास ही नही हुआ।
    फिर हैदराबादी ज़ायका का स्वाद ताज़ा करवाने के लिये बहुत शुक्रिया ।।।।।।। आपकी नयी यात्रा के इंतज़ार में ।।।।।।

  32. Priti Mirani says:

    It was a Pleasure reading your article Disha. Very beautifully narrated. Also the pics are awesome. Looking forward for your next article.

    1. Disha Avinash says:

      Dear Priti, much thanks for such an encouraging reaction. Happy that you liked the travelogue. Stay connected for more.

  33. Disha Avinash says:

    सचिन जी, आपकी बेहद उत्साहजनक प्रतिक्रिया पढ़ कर अच्छा लगा और उससे भी अच्छा यह कि इस यात्रा वृतांत से आपने स्वयं को इतना जुड़ा हुआ महसूस किया. ऐसे ही जुड़े रहिये। ह्रदय से धन्यवाद.

  34. It was such an excellent blog Disha I’m very happy to read this. The topic was so interesting I like this very much. Keep it up dear …….I just waiting for your next topic

    1. Disha Avinash says:

      Many thanks for your lovely feedback, Kalpana ji. Please visit again soon for the next sojourn and keep in touch.

  35. KAMAl Maheshwari says:

    सर, मैंने आपका मलिकार्जुन यात्रा वर्णन पहली बार पड़ा है आपकी यात्रा वर्णन अतिसुन्दर है जिस प्रकार सागर अपने अंदर कई अनमोल बस्तुएं जैसे मोती,नग अपने अंदर समाय हुए है ठीक उसी प्रकार आपके यात्रा वर्णन में शब्दों रुपी हीरे,मोती,नग प्रस्तुत किये है।प्रकृति का बेहतरीन चित्रण, साथ ही प्रत्येक पहलु का सूक्ष्मता से चित्रण किया है वास्तव में अद्भुत।मुझे कुछ सीखने का मौका मिला है । में आपका आभारी हूं।बहुत बहुत बधाई।

    1. Disha Avinash says:

      कमल जी, आपकी बेहद उत्साहजनक प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद. आपके द्वारा प्रतिक्रिया में उपयोग किये हर शब्द के लिए में आपकी आभारी हूँ. आशा है भविष्य में भी आप ऐसे ही जुड़े रहेंगे।

  36. sushma says:

    Bohot sundar tumhare is sajeev varnan ko do shabdon me sametna atyant kathin hai lekin tumne jo puri yatra ka varnan kia hai mene use bina bhraman kie hi mene anubhav kia adhyatma k sath prakriti ka jo samanvay hai..wo is pure vratant ko aur bhi mohak bna rha hai…ati uttamm..

    1. Disha Avinash says:

      सुषमा जी, आपकी प्रतिक्रिया पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. बस आगे भी ऐसे ही जुड़े रहिये और अपनी उत्साहजनक प्रतिक्रिया से मेरा हौसला बढ़ाते रहिये। बहुत धन्यवाद.

  37. Ramakant Richhariya says:

    आपकी मलिकार्जुन यात्रा वृतान्त पडकर रोमांचित हो गया कि में स्वयं यात्रा कर रहा हु क्यों की सारे नज़ारे मेरे आँखों के सामने उपस्थित हो रहे थे। धन्यवाद

    1. Disha Avinash says:

      आपकी प्रतिक्रिया के लिए अतिशय धन्यवाद, रमाकांत जी.

  38. Gaurav vishwakrma says:

    Abhi tak ka sabse best writing or
    ye bahut badi bat k gumne jate wakt har bat ka step by step batana …

    1. Disha Avinash says:

      गौरव जी, मेरे यात्रा वृत्तान्त को आपने पसंद किया और अपनी भावनाओं से अवगत कराया, में ह्रदय से आभारी हूँ.

  39. Neeta Mishra says:

    दिशा तुम्हारी डायरी पढने मे देर कर दी लेकिन पढ़ने पर धूमिल यादें ताजा हो गई।
    लेखन तो तुम्हें विरासत में मिला है तुम्हारी मेहनत से और निखार आ गया तुम्हारे अगले यात्रा वृतांत का इन्तजार है।

  40. Archana Tiwari says:

    Disha bahut khub tumne rasto me Aane wali chhoti chhoti lekin mahatavpurn pareshaniyo ka jis tarah saral shabdo me ullekh kiya h wah dil se mahsus karne wale hi likh sakte h tumhare yatra ko mai apne same apni nagar se dekha hua mahsus kar rahi hu lajawab vajan Sundar photography tumhari agli yatra ka intazar h

  41. Disha Avinash says:

    नीता जी, आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे नया उत्साह प्रदान किया है. ह्रदय से आभार और बहुत धन्यवाद. आगे भी आप ऐसे ही जुड़े रहें यही कामना है.

  42. Disha Avinash says:

    अर्चना जी, आपकी प्रतिक्रिया से में अभिभूत हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद, ह्रदय से। ऐसे ही साथ बने रहिये। अगला यात्रा वृत्तान्त आप शीघ्र ही पढ़ेंगी।

  43. narmrata says:

    दिशा …..
    सबसे पहले तो तुम्हे बहुत बहुत साधुवाद ….
    तुम्हारे इस प्रयास ने मुझे भी चरैवेति-चरैवेति मूलमंत्र दे दिया ,चाहे वो यात्रा के लिए हो या हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए ……

    बहुत ही शानदार शब्दों का चयन है , इस यात्रा वृतांत को पढ़ कर
    मैं बैठे-बैठे ही तुम्हारी यात्रा में मानसिक तौर से पूरी शामिल हो गई ..
    फिर मेरी यादो की यात्रा शुरू हो गई…

    प्यारे से “हरदा” की गलियों से निकल कर
    यूँ फिर मिलेंगे …..
    ये भी जीवन यात्रा ही है….
    बस यूँही अब तो हमेशा ही
    तुम्हारे नामानुरूप दिशा-दर्शन के लिए मन व्याकुल रहेगा ……

    1. Disha Avinash says:

      नम्रता दी
      आपका भावपूर्ण पत्र मिला हृदय से धन्यवाद। वाकई यात्राएं सार्थक तभी कहलाती हैं जब लम्बे अंतराल के बाद आपका अपना कोई यकायक टकरा जाये, हमारे साथ कुछ ऐसा ही तो हुआ है। कितनी स्मृतियॉं छुटपन की, सच पूछिये तो आपका पत्र ताजी हवा का झोंका सरीका लगा।

  44. archana parashar says:

    Disha tumne bahut achha likha .tumhari road diary ham logo ke liye gyan ka bhandar hai aur ye ek path pradarshak aur margdarshak ka kam bhi karegi.. aagey bhi aisi gyanvardhak jaankari Hume milti rahegi aisi aasha hai .. KEEP IT UP!!

    1. Disha Avinash says:

      अर्चना बहुत-बहुत धन्यवाद, तुम मेरी हर यात्रा में मेरे साथ बने रहना तुम्हारी प्रतिक्रया मेरे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है तुमने खुद बहुत अच्छी राय जाहिर की है।

  45. Raghuwanshi says:

    Disha avinash yeh historical visit ke saath badi dharmik yatra bhi hai aapne bade achchhe tarike se likha hai bahu badhai aur agli yatra ke liye shubhkamnaye

  46. Disha I read it .you have written very nicely

    1. Disha Avinash says:

      प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद

  47. deepak sharma says:

    आप पूण्य का काम भी कर रहे हे।अपने सभी मित्रो को भी तीर्थ दर्शन करा रहे हो ।। आप के साथ यात्रा का अनुभव अदभुत रहा । शुभकामना

    1. Disha Avinash says:

      दीपक जी आपने ब्लाग को सराहा इसके लिए हम आपका आभार व्यक्त करते हैं

  48. Dr Sanjay Sharma says:

    प्रिय दिशाजी,

    आध्यात्मिक यात्रा के लिए आपकाअभिनंदन. पूरा व्रतानत पढ़ कर ऐसा प्रतीत हुआ की मैं स्वयं यात्रा पर हूँ. अद्भुत लेखनी एवं भाषा पर ग़ज़ब का नियंत्रण.

    आपको साधुवाद

    संजय शर्मा
    प्राध्यापक

    1. Disha Avinash says:

      शर्मा जी, आप ने ब्लाग पढ़कर पहली बार प्रतिक्रिया दी है आप का स्वागत है द रोड डायरीज़ परिवार में ,ब्लाग की सराहना के लिए अतिशय धन्यवाद

  49. Shilpa.gaur says:

    अति सुन्दर भाव पूर्ण वर्णन किया है आपने।आपके अंक से हमें अपने देश के मंदिरों के इतिहास के साथ -साथ वहां की लोक कलाओं के बारे में जानकारी मिलती है।आपके द्वारा प्रस्तुत चित्र लेख में चार चांद लगा देते हैं ।अद्भुत लेखन और शब्दों का बहुत सुंदर समन्वय ..हार्दिक शुभकामनाओं के साथ एक अगली अलौकिक यात्रा का इंतजार।

  50. sanjay shrivastava says:

    disha ji aapki lekhni evam prastutikaran ke to hum pahle se hi kaayal rahe hain aur ye jaankar harsh ki anubhuti ho rahi hai ki wahi mizaj aaj bhi kaayam hai, jo kabhi dainik bhaskar athwa doordarshan ki script writing ke dauran hua karta tha. uprokth samast vrittant hriday sparshee hain aur khoobsurat photographs ne unnhen mano jeevant kar diya hai. mahsoos ho raha hai ki hum saakshat un sthalon par upasthit hain. na sirf dhaarmik pahluon ko aapne sundarta se varnit kiya hai,balki un jagahonn ki kala-sanskriti ko bhi saamne rakha hai. sundar prastutikaran ke liye aap badhaaee ki paatra hain. prateeksha rahegi aane waale samay me aise hi kuchh aur vrittanton ki.

  51. Mahesh Chouksey says:

    ज्योतिर्लिंग यात्रा का इतना बेजोड़ वर्णन और क्या हो सकता है ! अशांत मन को शांति की गहन अनुभूति प्राप्त हुई, इसलिए मैंने इस यात्रा व्रतांत को कई बार पढ़ा, सुप्त मन में सोए पड़े भगवान शिव खड़े होकर मेरे जागृत मन पर छा गए, इस यात्रा वृतांत को पढ़कर लगा कि मैं खुद भगवान शिव की इस यात्रा में शामिल हूं , धन्यवाद आपका जो आपने यात्रा का इतना मोहक वर्णन कर हमारे मन पर एक अमिट छाप छोड़ दी है ।आगे की यात्रा के वृतांत के लिए प्रतीक्षारत ।

  52. Prabhat Kumar Tiwari says:

    पिछले ब्लॉग की ही तरह सजीव।
    किसी और के शब्दों में खूबसूरती को समझना इतना आसान कभी नहीं लगा।
    सशरीर यात्रा का ही सुख मिला।

    आप बधाई की पात्र हैं।
    और धन्यवाद् की भी।

  53. Bahut achha lga padkr Disha…….. U done such a great work….. I really appreciate it……. It was wonderful to read…. It was beautifully explained by u….. Superb… Keep it up dearrr…..!!

  54. Manish tiwari says:

    Very nice blog, yatra jivant kar di aapney

  55. Smriti Tiwari says:

    असीम आनंद और ऊर्जा की प्राप्ति हुई।

    अगले अंक का इंतज़ार रहेगा।

  56. Anil Sharma says:

    It’s the bee’s knees article on famous Grishneshwar Temple. Beautiful Mandir photographs along with vivid description of Grishneshwar Temple. Striking photographs express about exotic stay in Hotel Taj.

    1. Disha Avinash says:

      अनिल जी इस बार विलम्ब से आई प्रतिक्रिया,लगता है दीवाली में व्यस्त रहे आप,बहरहाल लिखने के लिए और दुरुस्त लिखने के लिए आपका आभार

  57. Bhavana Newaskar says:

    दिशा. वाकई मे सही और सटीक जानकारी दी है

  58. Very nice information Disha!!!waiting for more such blogs….

    1. Disha Avinash says:

      प्रीती,मन प्रसन्न हो गया ,द रोड डायरीज़ परिवार में आपका स्वागत है ,ह्रदय से अभिनंदन

  59. kamal dubey says:

    दिशा जी अपने आद्य ज्योतिर्लिंग नागेश्वर एवं यात्रा का जो वर्णन किया है बहुत ही अच्छा है एवं इतिहास की जो जानकारी दी है उससे हमें पुराने इतिहास की जानकारी मिलती है एवं आद्य ज्योतिर्लिंग नागेश्वर के दर्शन की अभिलाषा की भी उमड़ती है यहाँ पढकर लगता है की हमने आत्मिक रूप से आद्य ज्योतिर्लिंग नागेश्वर के दर्शन कर लिए हो इसी के साथ आपकी अगली लेखनी का इन्तजार रहेगा भगवान शिव की कृपा बनी रहे

  60. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को खोजते हुए गूगल महाराज ने आपके ब्लाग तक पहुंचा दिया .मैं इस दिसम्बर में यहाँ जाने का सोच रहा हूँ .इसलिए खोजबीन जारी थी .अच्छा लिखा है .काफी जानकारी भी दी है लेकिन कुछ बातें अखरी . कुछ शब्दों से अच्छे बलागर को बचना चाहिए .जैसे ऑडी कार ,आई फ़ोन .ऐसा लगा जैसे आप अपनी वैभवता का प्रदर्शन कर रही हों . यदि मेरी बात आपको बुरी लगी हो तो क्षमा चाहता हूँ
    मैं भी एक छोटा सा ब्लॉग लिखता हूँ .कभी समय मिले तो नज़र मारिये और अपने विचार रखिये .
    https://nareshsehgal.blogspot.in/

    1. Disha Avinash says:

      नरेश जी, आपकी बांते मुझे क़तई बुरी नहीं लगीं आपको ब्लाग में दी जानकारी अच्छी लगीं यह जानकर बहुत सुकून मिला इसलिए भी कि आप भी एक ब्लागर हैं आगे भी जुड़े रहिए और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन और यात्रा कीजिए

  61. aachary jugal kishor dwivedi says:

    अदभुत है आपकी रोड डायरी यद्यपि मैं इन सभी स्थानों की यात्रा पूर्व में कर चूका हूँ i
    फिर भी जब आपकी डायरी को पढ़ा तो ऐसा लगा की हमसे बहुत कुछ देखने से छूट गया है
    स्थान और उस स्थान से सम्बंधित बातो को बड़ी ही सूक्ष्मता से प्रदर्शित किया है
    भौतिक और आध्यात्मिक दर्शन बड़ा ही अद्भुत है
    पूर्व में भारत दर्शन से सम्बंधित अनेक लेख लिखे जा चुके हैं परन्तु आपके दर्शन करने का और उसको शव्दों का रूप देने का जो मापदंड है वो प्रशंशनीय है ॥
    कृपया आगे भी इसी प्रकार डायरी लिखते रहें
    जय श्री राम

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