निसर्ग विहार : जो मार्ग शनिदशा में सम्राट विक्रमादित्य को चकल्दी लाया, वही महामार्ग सम्राट अशोक को पानगुड़ारिया लाया था

भोपाल से सीहोर जिले की मालीबायाँ वीरपुर सड़क पर निसर्ग की रमणीयता  धुइले आकाश को पीछे छोड़ते हुए सबेरे-सबेरे हम अतीत में झाँकने की अकुलाहट लिए भोपाल जिले की परिमा से सटे सीहोर जिले की ग्राम्यता में रमते रमाते बढ़े जा रहे थे,मूर्धन्य कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी की लिखी पंक्तियाँ स्मृतियों में कौंधे जा रही थीं शहरों में आप मोटर दौड़ा सकते हैं, बहुत चाहें तो झूठ-मूठ के मन बहलाने वाला गुलाब गार्डन और निकम्मे लॉन लगा सकते हैं पर रेफ्रीजरेटर में रखे  फलों में असल स्वाद कहाँ से ला पाएंगे। सूरज की किरनें गाँव वालों को असीसने लगीं …

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बिहार की गोंडऊ लोकनाट्य शैली, बुंदेली लोकगान और असम के लोकनृत्य

बिहार का गोड़ऊ लोकनाट्य, बुंदेली लोकगान और असम की कथक गुरू मरामी मेंधी लोकनृत्य शैली देवधानी और ओझा पाली

बिहार प्रान्त की लोकनाट्य परंपरा, गोंड नाट्य शैली गोंड़ऊ, व्यंग्यात्मक संवाद, नृत्य की प्रधानता पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के दर्शनगृह में देश की लोकसंस्कृति और लोकांचलों के परिवेश की सुरम्यता को अनुभूत करने का अवसर मिला। रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला के अन्तर्गत बिहार प्रान्त की गोड़ऊ लोकनाट्य शैली में शिव-विवाह प्रसंग का रसमय मंचन हुआ वर्तमान में विलुप्त प्राय तीव्र गति से होने वाले अथवा हुड़का नृत्यों की बहुलता वाली इस शैली को बक्सर के प्रभुकुमार गोंड के निर्देशत्व में तैयार किया गया था। लगभग डेढ़ घण्टे की नृत्य संगीत और व्यंग्यात्मक वार्तालाप वाली यह  …

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देश का एकमात्र संस्कृत वृंद (बैण्ड) और आदिशंकराचार्य की रचनाएँ

ब्रह्म सत्यस्य सत्यम् यही भारतीय आस्थावादी दृष्टिकोण – स्वामी मुक्तानंद पुरी देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में आयोजित शंकर व्याख्यानमाला के अन्तर्गत भक्ति आंदोलन में संतों की वाणी में अद्वैत दर्शन विषयक उद्बोधन में आदरणीय स्वामी मुक्तानंद पुरी जी ने परमतत्व से उद्भूत सृष्टि का पर्यवसान् भी उसी में निहित है कहकर संत रैदास तुलसी, सूरदास, कबीर, संत दादू दयाल और गुरु ग्रन्थ साहिब में निरुपित  विराट ब्रह्म की विश्व व्यापक संकल्पना को दोहराया। कार्यक्रम का आयोजन आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने किया था। सम्मान्य स्वामी मुक्तानंद पुरी जी ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती …

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