ओंकारममलेश्वर तीर्थ ज्योतिर्लिंग
महानगरीय जीविकोपार्जन से परिश्रांत (थकान) और यंत्रबद्ध जड़ता से जी जब उकता जाता है, तब भौतिकता के कल्मष को धोने के लिए मन कहीं दूर चलने को अकुलाता है। यों भी यात्राएं अपने भीतर और बाहर को भली-भांति झांकने (आत्मदर्शी बनाने) का उपयुक्त अवसर प्रदान करती हैं। यात्रा यदि तीर्थ की हो तो भगवत्प्राप्ति और अन्तःकरण की शुद्धि दोनों का ही मार्ग प्रशस्त करती है। अतः इस बार हमने द्वादश ज्योतिर्लिंगों की परिसंख्या में चतुर्थ क्रम में प्रतिष्ठित सात्वक शिवधाम श्री ओंकारममलेश्वर के दर्शन-स्तवन का कार्यक्रम बनाया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 263 कि.मी. दूर स्थित ओंकारेश्वर पहुँचने में 4 घण्टे लगते हैं, यह जानकर हम जगत्साक्षी (सूर्य) के अवतरण के साथ ही यात्रा के लिए प्रस्थित हो गये।
Bhagwan aur prakriti ka Bahut hi sundar aur manohri man ko harshit karne wala avishmarniya varnan.
राजेंद्र – आप हमेशा त्वरित प्रतिक्रिया भेजकर पहली पयदान पर आते हैं साधुवाद के पात्र हैं।
Very interesting omkareshavar mandir ka bhut hi rochak or prsnchit krne vala varnan
राहुल –कम शब्दों में आपने मेरे ब्लॉग की व्यापक प्रशंसा कर दी धन्यवाद
Omkareshwar mandir tatha narmada nadi ka bahut manmohak varnan hai, jo yatra karane ko prerit karta hai.
नीता- तुम मेरे साथ सूरत से ओंकारममलेश्वर की यात्रा में सम्मिलित हुईं यह जानकर मन प्रसन्न हो गया।
दिशा जी
पुनः आपके लेखनी का चमत्कार पढ़ा। सचमुच आपके ऊपर माँ शारदा की कृपा है। इस तीर्थ यात्रा में भी वही आनंद और वहाँ पर स्वयं के होने की अनुभति हुई। इन यात्राओं पर जाने वाले दूसरे लोगो के लिए आपका यह वृतांत अत्यंत उपयोगी साबित होगा। यात्रा मार्ग का जो सुन्दर चित्रण आपने किया है वह मेरे जैसे तमाम लोगो इन मार्गो पर जाने को प्रेरित करेगा। धन्यवाद सहित आपके अगले ब्लॉग की प्रतीक्षा रहेगी।।।
डॉ शैलेश त्रिपाठी
वाराणसी।
त्रिपाठी जी – हमेशा आपकी सधी हुई प्रतिक्रिया मेरे यात्रा वृतान्त में और अनछुए पहुलओ को सम्मलित करने की प्रेरणा देती है
बहुत ही सुन्दर और रोचक वर्णन, ऐसा लगा ऑडी के पीछे हमारी eon भी थी।
और वो सारे दृश्य साक्षात् थे।
जो तुरंत सफर के लिए निकल सकते हैं, उनके लिए प्रेरणास्रोत।
और जो नहीं जा सकते उनके लिए मनसा दर्शन की संतुष्टि।
हृदय से आभार और शुभकामनाएं।
प्रभात तिवारी
कानपुर
प्रभात जी – आपको ओंकारममलेश्वर दर्शन से जो संतुष्टि मिली उसने मुझे पूरी तरह भावविभोर कर दिया
Akalpniya Citraran, Superb lekhani, shabad hi nahi hai aap ke iss utkrasht Onkareswar ka sajiv lekhan (CHITRAN) ke liye. Intzaar hai aap ke agle article ka. Shubkamnaye. Waise bhi Hum aap ki lekhani ke fan hai bhai.
अनिल जी- आपकी प्रतिक्रिया से मुझे लेखनी को और अधिक धारदार बनाने का बल मिलेगा।
Very nice mam,,
Shandar varnan, padh kr bahot achcha lgta h,, apk next article ka intezar rahega,,,,
संदीप- धन्यवाद, तुम मेरे ब्लॉग से जुड़े रहो और ऐसे ही उत्साहवर्धन करते रहो
ॐ नम: शिवाय ?
पूरा यात्रा वृताँत पढ़ा….तुम्हारी लेखनी बहुत प्रखर हैं…हिन्दी के कई शब्द जिनका प्रचलन समाप्त होने को हैं..उनका सटीक प्रयोग किया हैं…
मुझे जनवरी 2008 में सपरिवार इंदौर से ओम्करेश्वर की यात्रा याद आ गई…तुमने पूरे घटना क्रम इस प्रकार वर्णन किया हैं लगता हैं हम भी तुम्हारे साथ विचरण कर रहे हैं….पुण्य सलिला माँ रेवा के दर्शन मात्र से कष्ट दूर हो जाते हैं…प्राचीन मंदिरों ,बारादरी का पूर्ण वर्णन सुंदर बन पड़ा हैं…
नमामि देवी नर्मदे ?….
अगले वृताँत की प्रतीक्षा रहेंगी……..चरैवति चरैवति
अनुमिता – तुम खुद बहुत अच्छा लिखती हो एकदम दिल से निकली प्रतिक्रिया सीधे दिल में उतर जाती है
बहुत बढिया वर्णन .उम्दा शब्दों का प्रयोग.
वर्षा – संक्षिप्तता में ही तुमने ब्लॉग को पठनीय बताकर दिल खुश कर दिया
बहुत सुंदर वर्णन किया है आपने ।आपकी भाषा,शब्दों का चयन और व्याख्या एकदम अनूठी है। ऐसा लगता है कि आपके साथ हमने भी यात्रा में शामिल होकर शिवलिंग के दर्शन कर लिए ।अगले लेख की प्रतीक्षा रहेगी ।
शिल्पा – तुम सात समुंदर पार हो पर फिर भी मेरी ज्योतिर्लिंगों की यात्रा को पूरी शिद्दत के साथ महसूस कर रही हो इस बात से मुझे बेहद संतुष्टि मिलती है।
Disha… omkareshwar ke bare me padhkar me bahut romanchit aur utsahit hun..kyoki ye bharat ke hraday sthal madhay pradesh me basa hua hai aur mere grahnagar harda se pas bhi hai… ek bat aur me narmdiy bramhan hun aur ham logo ki utpatti narmada kinare se hi mani gaye hai isliye ma narmada ham logon ki Pujyaniya hai aur hamesha rahengi .Abhi 7.8 mahine pahle hi ham log omkareshwar gaye the.. tumne bahut achhi jankari di..aage bhi aise hi badhiya likhte raho..(namami devi narmade)
अर्चना – नमामि देवी नर्मदे, तुम्हारी प्रतिक्रिया मुझे आगे भी दिव्य स्थानों के वैशिष्ट्य को ज्यों का त्यों पेश करने की अभिप्रेरणा देती रहेगी।
Charaveti charaveti Om namah shivay Disha sachmuch tumhare upar ma sarasswati ki krapa h tumhari lekhani tumhare dwara kiye gaye shabdo ka chayan bejod h omkareswar Harda se karib hone ke karana kai bar jana hua lekin uska etihas avam paoranik mahatav Aaj etne vistar se jana Ye tumhari lekhani ka hi prabhav tha ki mujhe mahsus hua jaise puri yatra me mai tumhare sath hu Aaj punah etni Sundar mansik yatra karwane hetu bahut bahut dhanywad
अर्चना – तुम्हारी प्रतिक्रिया मुझे और बेह्तर लिखने के लिए उत्साहित करती है। विषय के और भीतर गहरे पैठने के लिए ललायित करती है। ऐसे ही मेरे ब्लॉग से जुड़े रहना
Waah Disha. .adbhut yatra aaj laga jese hum bhi tumhare sath yatra me hain…. Bahut hi achha laga padkr…. Bahut khub Disha…….. Waiting 4 ur nxt topic…….
कल्पना – तुम्हें यह ब्लॉग अच्छा लग रहा है और मुझे ब्लॉग से तुम्हारा जुडाव अच्छा लग रहा है ऐसे ही संवाद का क्रम बने रहना चाहिए
Disha ,bahut khoobsurati se tumne is yatra, mandir avam Narmada nadi ka varnan kiya hai. Mai 2003 me indoor se by road apane pariwar ke sath omkareshwar gayi thi, per tumhare kiye gaye is varnan ke baad , phir Jane ka man karta hai !!
स्वाति – मेरे ब्लॉग की साथर्कता इसी में निहित है कि तुम एक बार फिर ओंकारमम्लेश्वर की यात्रा करने में इच्छुक हो, मेरे यात्रा वृत्तान्त में तुम्हारी दिलचस्पी मुझे और बेहतर लिखने की प्रेरणा दे रही है
Ma’m ji aapka article padha. Aapne yatra ka varnan bahut hi sahaj aur anukool shabdo me likha he aapko anekonek badhai. Aur ummeed karte hein aage bhi is tarah aap yatraon ka article likhti rahengi. Thanks
बस्तवार जी – मेरे ब्लॉग से पहली बार जुड़ कर आपने ब्लॉग की तारीफ की है वो यक़ीनन मेरी लेखनी में कसावट लाएगी
आपकी ममलेश्व एवं ओम करेश्व यात्रा का विवरण पढकर मेरा मन भाव विभोर हो गया और इससे आपके ब्लॉग पर पढने पर ऐसा प्रतीत हुआ की जैसे हमारा मन जोतिर्लिंग रूपी ज्योति के दर्शन कर लिए हो ! एवं इससे जो व्यक्ति आपके ब्लॉग से जुड़े है इसके पढने से उसके इतिहास की जानकारी मिलती है एवं धार्मिकता को बढ़ावा मिलता है जिससे हमारा मन और अधिक धार्मिकता की ओर जाता है | आपकी अगली लेखनी की प्रतीक्षा रहेगी |
कमल जी – आपके शब्द मुझे भविष्य में भी और गहरे पैठ कर लेखन कर्म करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे, ब्लॉग से जुड़े रहिये.
ओमकरेश्वर ममलेश्वर की यात्रा का विवरण पढकर अच्छा लगा और ख़ुशी हुई ! नमामि देवी नर्मदे
जय – तुम तो एक युवा प्रतिभा हो अगर तुम हिन्दी के यात्रा ब्लॉग को पसंद कर रहे हो तो मेरे लिए यह संतुष्टि का विषय है
दिशा तुम्हारी यात्रा को प्रस्तुत करने की शैली और लेखनी का जवाब नहीं। बहुत सुंदर वर्णन ..
वैसे हरदा के बाद जब हम बड़वाह ट्रान्सफर होकर आए तो वहां से ओंकारमम्लेश्वर कई बार गए पर तुम्हारी इस यात्रा के वर्णन को पढ़कर फिर पुराने दिन याद आ गए और कई नई दिलचस्प बातें भी मालूम हुई|
अगली यात्रा के इंतज़ार में…
संगीता – तुम एक बार फिर ओंकारमम्लेश्वर की यात्रा पर जाओ इस बार मेंरे नजरिये से ओंकारेश्वर और मम्लेश्वर का दर्शन लाभ लो परिक्रमा पथ की पद यात्रा करो विश्वास करो तुम्हें दुगनी ख़ुशी मिलेगी
दिशा , ओंकारेश्वर का ये यात्रा वृतांत बहुत बेहतर और स्तरीय है। भाषा कठिन है मगर आनंद देती है। ब्यौरे बहुत दिलचस्प और अनोखे हैं। पौराणिकता के छौंक के साथ पत्रकारिता की नजर से जुटाये गये आँकड़े बताते हैं कि कितनी मेहनत और लगन से ये सब लिखा गया है। बेहद दिलचस्प । अगले की प्रतीक्षा रहेगी।
ब्रजेश राजपूत
ब्रजेश – तुमने मेरे यात्रा वृत्तान्त को पत्रकार के दृष्टिकोण से जांचा परखा ये मेरे लिए गर्व का विषय है, अस्वस्थ होने के बावजूद भी तुमने समय निकाल कर इतनी सटीक प्रतिक्रिया भेजी यह मुझे और बेहतर लिखने के लिए प्रेरणा देती रहेगी
Dear disha …..ma narmada ….bhagawan shiv ka etna sunder …..shudh hindi me varnan dil ko khush kar gaya
Agale blog ke intjar me
Seema sharma
नर्मदे हर?
सीमा, नर्मदे हर? -अतिशय धन्यवाद.मेरे ब्लॉग से जुड़े रहना.
जय ॐ कार ! वैसे तो मैंने भी मलिकार्जुन एवं ॐ कारेश्वर के दर्शन किये है,किन्तु में कभी सोच भी नहीं सकता कि एक यात्रा का वर्णन इस प्रकार से भी हो सकता है इतना सजीव वर्णन है कि मानो आपके साथ में भी यात्रा में शामिल हूं और यात्रा का आनंद उठा रहा हूं नयन रुपी कैमरे से समस्त प्राकृतिक सुंदरता अपने ह्र्दय में समेट कर रख रहा हू। बहुत बहुत बधाई।
कमल जी आपकी प्रतिक्रिया ने नि:संदेह मेरा उत्साह बढाया है आपने भी यात्रा वृतान्त की समीक्षा बहुत ही रोचक अंदाज में की है, भविष्य में भी संवाद बनाये रखियेगा
पुण्यसलिला माँ नर्मदा जी के दर्शन तथा भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन,और यात्रा का वर्णन बहुत ही अच्छा लगा | आपने आपकी लेखनी के शब्द ऐसे
लिखे है मानो इसे पढ़कर ऐसा लगा की हमने भी दर्शन कर लिए हो…
अंकिता – तुम्हारी प्रतिक्रिया से मेरी लेखनी में नई ऊर्जा का संचार हुआ है धन्यवाद
Very nice Disha ji…….padhkar hum Omkareshwar na jakar bhi Wahan hone ka Ehsaas hua….shudh aur uchcha Hindi
सपना – अगर तुम ओमकरेश्वर नहीं गईं अब तक तो जरूर हो कर आओ मेरे ब्लॉग की सार्थकता भी इसी में है
बहुत अच्छा है लेकिन दीपिका पादुकोण जैसा है। मतलब ब्लॉग बहुत सुंदर लिखा है लेकिन कुछ लंबा है, दीपिका की तरह। तुम इसे दो किस्तों में लिख सकती थीं। पहले दिन का और दूसरे दिन का अनुभव। धार्मिक स्थलों के आसपास रहने वालों के जीवन पर उनका प्रभाव भी अपेक्षित था। अर्थात आज की युवा पीढ़ी किस प्रकार पुरानी परंपराओं और आधुनिक जीवन की मांग के बीच कैसे सामंजस्य बिठा रही है। उनकी आजीविका किस प्रकार धार्मिक स्थानों के दम पर चलती है।
इस सब पर भी कलम चलती तो और आनंद आता। वैसे चित्र बहुत प्यारे हैं। उनके कारण ब्लॉग की सुंदरता में चार चांद लग गए हैं मेरा सुझाव है कोई भी ब्लॉग 6oo से 650 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए। बहुत से ब्लॉग अपने फ़ोन पर पढ़ते हैं। उनका data खर्च होता है इसलिए लंबे ब्लॉग को बिना पढ़े ही आगे बढ़ जाते हैं तुम लिखती तो शुरू से ही अच्छा हो लिखती रहो। रोचकता होगी तो लोग पढ़ेंगे ही।
आदरणीय सर – आपकी प्रतिक्रिया में दिए सुझावों पर अमल किया जायेगा. आगामी ब्लॉग में आलेख की लंबाई पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा. संपादन के लिए मुझे बाजीराव (रणबीर सिंह) की तरह धारदार तलवार चलानी होगी। मेरी कोशिश यही रहेगी कि मैं धार्मिक स्थानों के आसपास के दृश्यों से भी आप सब को अवगत कराऊँ चित्रों को पसंद करने के लिए धन्यवाद.
ऊँ नमः शिवाय, आपकी लघु साप्ताहिक यात्रा, भोपाल से औंकारेश्वर ममलेश्वर यात्रा पढ़कर मन में कौतुहल और बढ़ गया हालाँकि आप के इस यात्रा वर्णन में आपका सिर्फ भ्रमण नहीं बल्कि उस पर किए गये शोध को भी प्रदर्शित करता है। इस यात्रा में प्रकृति का मनोरम वर्णन भी ह्रदय को आन्दोलित करते है और मन्दिर का पुरातात्विक व ऐतिहासिक वर्णन यात्रा वृत्तान्त को आम वर्णन से अलग करता है । आपके द्वारा स्थान एवं भौगोलिक वर्णन भी आपके शोध को दर्शाता हैं । धन्यवाद। ?
वीरेन्द्र सिंग
वीरेन्द्र जी – भोपाल से औंकारेश्वर ममलेश्वर यात्रा वृत्तान्त से प्रभावित होकर लिखी गई आपकी प्रतिक्रिया में ब्लॉग की सराहना से मुझे और अधिक शोध परक आलेख लिखने की प्रेरणा मिली है.
आपकी लेखनी की एक खूबी है, इसमें ताज़ा हवा की खुशबू होती है जो की इस यात्रा में भी है… माटी की गंध…वातावरण की सुगंध साथ साथ चलती हैं…
आपकी आस्थामयी जानकारी, यात्रा संबंधी कथाएं, प्रकृति की छोटी छोटी जानकारियां। वाह! क्या बात है….
आपके शब्दों का चयन विषयानुरूप है… आप ने अभी भी अपने जहाँ में इतने शब्द संभालकर रखे हैं… किस पिटारे से ये सब निकलती हैं… ऐसा लगता है अगली किसी यात्रा पर आपके साथ चलना ही होगा… आपको अद्भुत लेखन के लिए बधाई।
चरैवेति…चरैवेति…
अमित जी – ताज़ी हवा के झोंके सरीकी आप की प्रतिक्रिया मिली आपके भी शब्दों का चयन और वाक्य विन्यास अदभुत है। आपकी सधी हुई प्रतिक्रिया की मुझे हमेशा प्रतीक्षा रहती है
दिशा जी, पूरी यात्रा को इतनी सुंदर तरीक़े से वर्णित किया गया है कि पढ़के मन खुश हो गया. बहुत ही वास्तविक स्वरूप दिखाया गया है. चित्रों ने लेख का प्रभाव कई गुना बढ़ा दिया. बहुत बधाई.
विवेकानंद
विवेकानंद जी – सात समुंदर पार से बेहद अच्छी प्रतिक्रिया भेजने के लिए अतिशय धन्यवाद ब्लॉग से आगे भी जुड़े रहिएगा, साथ ही संवाद का क्रम यूं ही जारी रखिएगा
दिशा लेख बहुत ही अच्छा है अगर यहां के कुछ होटलो के फोन नंबर और ईमेल एड्रेस जोड़ देती तो और भी अच्छा होता क्योंकि इसे पढ़ने के बाद आने का मन करेगा
विनय – धन्यवाद, तुम्हारे सुझाव अच्छे हैं भविष्य में ब्लॉग में संबंधित स्थानों के होटल के लिंक भी जोड़े जा सकते है।
? dishaji aapka article padha bahot hi sundar varnan kiya aapne dono jotirlingoka
गौरव विजय काण्णव
गौरव जी – प्रतिक्रिया के लिए विशेष धन्यवाद
Itna sajeev varnan hai prateet hota tha hum bhi saath yatra pey hain aur shivji k dershan ker rahey hein, wo baat alag K aap humey saath nahi ley jatin.
इरा जी – आप हमारी यात्रा में मानसिक रूप से हमारे साथ हो लेती हैं यह हमारे लिए गर्व का विषय है। यात्रा वृतान्त आपको मन भावन लगा जान कर प्रसन्नता हुई
बहुत खूब ….!!!!!!
दिशा के शब्दयान में किया गया ओंकारेश्वर का यह रूहानी सफर अद्भुत था .दिशा तुमने अपनी शब्दकूचिका से प्रकृति को कुछ इस तरह रंगा है कि मैं रह रह कर उसी सपनीली दुनिया में पहुँच प्रकृति के सौंदर्य को निहारती रहती हूँ …
कई जानकारियाँ जो हम नहीं जानते थे तुम्हारे इस लेख के जरिये मिली ….
तुम्हारा शब्दकोष न केवल उच्च श्रेणी का है वरन विस्तृत भी है ….
मैं निश्चित ही तुम्हारा अगला संस्करण पढ़ना चाहूंगी …? ? ? ?
दीपा, तुम्हारा चितेरा स्वभाव तुम्हारी प्रतिक्रिया में भी दिखाई देता है. तुम्हारे अनुसार शब्दों के जरिये यदि मैं ओंकारममलेश्वर के सौंदर्य को इंद्रधनुषी रंग दे पायी हूँ तो उसमे भी उस स्थान का माहात्म्य छिपा है. तुमने रंगों की इबारत पढ़ ली मेरे लेख की सार्थकता इसी में है. तुम बेहतरीन चित्रकारा हो.
जब तक आपका शरीर स्वस्थ्य और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है,अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे? – चाणक्य || As long as your body is healthy and under control and death is distant, try to save your soul; when death is immanent what can you do? – चाणक्य
तुम सही समय पर कर रही हो तथा तुम्हारा धन्यवाद कि तुम यात्रा वृतांत लिख कर सबको प्रेरित भी कर रही हो …..आज चाणक्य भी याद आ गए ….
इतना सटीक और संतुलित विवरण सच में तुम्हे साधुवाद ……
मैंने भी ओम्कारेश्वर की यात्रा 2013 ‘ अक्टूबर में की थी…..पर जानकारी की कमी के कारण …..हमने सिर्फ कोटितीर्थ में स्नानोपरान्त ओंकारेश्वर मंदिर में ही दर्शन किये….आज जब तुम्हारा यात्रा वृतांत पढ़ा तो अफसोस हो रहा है ..पार्थिव लिंग शिवज्योति ( अमलेश्वर अथवा ममलेश्वर ) के दर्शन रह गए…..
अब मैं जल्द ही फिर …तुम्हारे अनुसार यात्रा करुँगी …….
नमामि देवी नर्मदे ?….
नम्रता जी, आपकी प्रतिक्रिया सदैव मेरे मन में कहीं गहरे उतर जाती है. चाणक्य का उल्लेख कर आपने मुझे भावविह्वल कर दिया. आप एक बार फिर ब्लॉग के अनुसार ओंकारममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा कीजिये., परिक्रमा मार्ग का भ्रमण कीजिये और नर्मदा मैय्या के मनोहारी स्वरुप की अर्चना भी. यकीन मानिये विधाता ने दोनों हाथों से इस क्षेत्र को सौगातें दी हैं. नर्मदे हर.
Jai Hind… Lovely to see another article by ” theroaddiaries” . I glorify and wish to inform that i had been to river “Naramadaji Naval Expedition” during the academic period of 1991-92… We from Gotegaon ( Near Jabalpur) through river to Badwani ( Near Indore) and we had a lovely stay at this holy place . I appreciate and thanks the team of Raoddiaries to present this article and made me more happy and glorified. Wishing all the best to team of roaddiaries for this article and waiting for another lovely article…. Jai Hind….
विवेक, तुम्हारी प्रतिक्रिया हमेशा की तरह आज भी मेरे दिल को भा गयी. यह जानकार प्रसन्नता हुई की तुमने नर्मदा की परिक्रमा की है. निःसंदेह यह क्षेत्र अद्भुत है शक्तिदायी है. रोड डायरीज़ टीम की ओर से धन्यवाद.
दीदी नमस्ते , पढ़ने से बहुत सारी जानकारियाँ प्राप्त हुई और ऐसा लगा कि मै खुद ओम्कारेश्वर की यात्रा में शामिल हूँ ।
श्याम बाबू ?
श्याम, प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
Ye bahut hi achha vritant hai. Kai baar jane ke bawjood is se naye pahluon ka pata chalta hai. MP tourism ki hotel jaroor bakhoobi kaam ko anjam nahi de rahi hain
अखिलेश, यात्रा वृत्तान्त आपको रुचिकर लगा, अतिशय धन्यवाद. मध्य प्रदेश पर्यटन का होटल सुविधा संपन्न तो है लेकिन बहुत ज़्यादा फेलसुफियत की उम्मीद नहीं बाँधी जा सकती.
प्रिय दिशा
ओंकारेश्वर यात्रा वृतांत बहुत ही अच्छा लगा तुम्हारी कलम ने उन सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला है जोकि हम ओंकारेश्वर के दर्शन करने के बाद भी अनुभव नहीं कर पाए थे तुम्हारे लेखन में इतिहास और अध्यात्म का समावेश है जिसे पढ़कर पुनः यात्रा की प्रेरणा मिलती है।
अगली यात्रा वृतांत का इन्तजार है।
सर्वप्रथम अभिनंदन
संस्मरण साझा करने के लिये
अत्यंत संक्षिप्त लेखन के माध्यम से ज्योतिर्लिंग ओंकार -ममलेश्वर से संबंधित सूक्ष्मतम् जानकारियां तो प्राप्त हुईं ही सांथ मे मां नर्मदा के विस्तृत महात्म्य को पढ़कर मन अभिभूत हुआ।
सादर नमन
निशांत, तुम्हारी प्रतिक्रिया पढ़कर बहुत अच्छा लगा. आगे भी ऐसे ही जुड़े रहो. प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद.
Vastav me…tum sachmuch DISHA hi ho…jin raaston ko aam aadmi need ke jhnko aur chaay nashte ke sath juzaarte hain….usi dagar ko tum apni lekhni se jeevant kar deti ho…..tumhare Blog par Dodi Restaurant ab hame bhi bahut achchha nazar aa rha tha ….jab tak aisi kalam hogi har jafah sundar aur suhani lagegi…..dekhne ki utsukta aur aturta aur bash jayegi….apne agle kram ki aur isi prakar agrasar rahom…
सुषमा – धन्यवाद मेरा सफ़र तुम्हे प्रभावित कर गया ये मेरे लिए सुखद ऐहसास है मेरी कोशिश रहेगी ज्यादा से ज्यादा अनजानी जगहों की यात्रा करूं और तुम लोगों को भी कराऊँ बस मेरे साथ बने रहना
तुम्हारा आलेख बहुत अच्छा है , मैं ओंकारेश्वर गई नहीं कभी पर अब जाने का मन कर रहा है ऐसे ही यात्रा करती रहो और हम सबको भी कराती रहो
प्रीति
प्रीति – तुम जुनागढ़ से मुझसे जुडी हुई हो ये मुझे और बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करता रहेगा
आपका ओमकारेश्वर यात्रा वृत्तांत पढ़ा।लंबे अरसे बाद दिशा की लेखनी का आनद मिला।कथ्य में वही गहराई,सूक्ष्मतम विवरण और सबसे बड़ी बात वहीँ पुरानी लय, सब कुछ बिलकुल वैसा ही जैसे एक दशक पहले हुआ। करता था।लेख पढ़ते समय लगा जैसे हम भी यात्रा में उनके साथ हों।भूगोल,इतिहास,राह के स्थान,सड़क,नर्मदा जी,नाव,मंदिर,उससे संबंधित मान्यताएं सब कूछ का सटीक और विस्तारित व्याख्या बिलकुल दिशामय और दिशानुरूप।कोटिशः बधाइयां।
keep it up
अशोक जी – लंबे अन्तराल के बाद आप से विचार साझा करने की प्रक्रिया ने मेरे भीतर नई उर्जा का संचार कर दिया है आपने समय निकालकर ब्लॉग में इतनी दिलचस्पी दिखाई मेरे लिए यही बहुत है इतनी अच्छी प्रतिक्रिया मुझे लम्बे समय तक उत्तम बल्कि सर्वोत्तम प्रस्तुत करने के लिए अभिप्रेरित करती रहेगी
आपने अपनी यात्रा का इतना ख़ूबसूरत अदभूत वर्णन किया हैं पढ़ कर ऐसा लगा जैसे हमने साक्षात ओंकारेश्वर के दर्शन कर लिए। इसमें नर्मदा नदी की और यात्रा की कुछ नई जानकारियाँ ज्ञात हुई। आपके लेख से हमें सही दिशा मिलती हैं।
आपके अगले लेख के इतंजार में
रिया मालवीया
रिया – ब्लॉग को चाव से पढ़ने और फिर उतनी ही तत्परता से जबाब देने के लिए शुक्रिया
दिशा जी आपके द्वारा इस इले. युग में उपलब्ध संचार माध्यमों का उपयोग पर्यटन की सूचना के साथ धार्मिक यात्राओं की विशेषता को सरल रूप में चित्रण उपयोगी और समयानुकूल है।
मैं समझ सकता हूं कम शब्दों में विस्तृत विवरण आसान कार्य नही फिर भी आपसे अनुरोध है धर्मिक स्थलों के विषयागत विवरण के साथ वहाँ के पारम्परिक उत्सवों और पूजन ,आरती के समय विवरण के साथ प्रस्तुति करण किया जाना और अधिक उपयोगी सिद्ध होगा।
संजीव रत्न मिश्र, बनारस
संजीव जी – बनारस में बैठकर अगर आप ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की मेरी अध्यात्मिक यात्रा का भरपूर लुत्फ़ उठा पाए ये मेरे लिए गर्व का विषय है आप के सुझाव बेहद सटीक हैं बाद के अंकों में इन पर गौर किया जाएगा हांलाकि इससे ब्लॉग के कलेवर विस्तारित होने का अंदेशा है फिर भी कोशिशें तो की ही जा सकती हैं
आपकी हिंदी और लेखन शैली सच में प्रसंशनीय है। भगवान घृष्णेश्वर की कृपा आप पर बनी रहे । आध्यात्म और इतिहास की धरोहर का मेल आपके लेखन में मिलता है ।
योगेश जोशी
योगेश जी आप ने प्रतिक्रिया लिखकर विश्वास कीजिए मुझे प्रसन्नचित्त कर दिया आप हिन्दी में अच्छा लिख लेते हैं आगे भी लिखते रहिएगा
दिशा जी
एक यात्रा अंतस की ,ऑडी से…
लेखन यात्रावृतांत ही तो है !
बधाई कि आपने इस ब्लॉग को बाह्य यात्रानुभव के इर्दगिर्द रखते हुए पाठकों के लिए अनुभवों को जीना आसान बना दिया है।
यात्राएँ पहले हमें अनुभवों से समर्थ करती हैं बाद में लघुता का अहसास परोक्ष रूप से हमारी संवेदनाओं को प्रखर बनाने में मददगार सिद्ध होता है।आपकी सहज अभिव्यक्ति हम जैसों को ऑडी में साथ लिए चलती है।कई जगहों पर हम ऑडी से उतरना भूल जाते हैं और आपके सूक्ष्म अनुभव स्पंदन से वंचित रह जाते हैं,पर इसमें कोई शक नहीं कि आप इस बात को बहुत जल्द ताड़ लेती हैं और फिर खींच कर ले जाती हैं अपना हमनज़र बना कर…
सुखद है आपसंग जगतदर्शन
बधाई
पदम तुम्हारा लेखन भी कोई कम प्रभावशाली नहीं है लगता है तुमने बड़े ही इत्मिनान से ब्लाग पढ़ा बल्कि उसका भलीभाँति रसास्वादन भी किया ,इसी तरह ब्लाग पर बने रहना इतनी ही शिद्दत से पत्र भी लिखना,धन्यवाद
Hi.. I read your blog and your travel experience was nicely described,got new information and facts about the place. Wish you good luck, continue sharing copying your travel dairies with us.
Mighty thanks for sharing your views and appreciating the blog, Archana ji. Hope you’ll keep visiting for more…Keep in touch.
ओंकारेश्वर एक एतिहासिक तीर्थस्थल है यहाँ की यात्रा अपने आप में हिंदू धर्म के अनुसार उपलब्धि है । इस यात्रा की जानकारी से माँ नर्मदा के दर्शन करना भी पुण्य कमाने जैसा है । इस तरह की यात्रा का वर्णन पढ़ना रोमांचक अनुभव रहा । शुभकामनाएँ
रघुवंशी जी, आपकी स्नेह से भरी प्रतिक्रिया दिल को सुकून दे गई
दिशा ऐसा लगा तुमने नर्मदा पर बांध बना दिया हो अपने शब्दों से … और यात्रा के साथ तुमने हिन्दी की साधना भी की है
दीपक जी हम सब हिन्दी को बढ़ावा देने का अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं ,लेख अच्छा लगा यह जानकर संतोष हुआ,ब्लाग से इसी तरह जुड़े रहिए
Bahut badhiya Disha…….padhkar maza aa gaya. Bahut si baaten padhkar laga ab jaldi hi Jane ka program banana padega…….
अनिल जी आप की प्रतिक्रिया पाकर दिल ख़ुश हो गया आप ज़रूर परिवार के साथ एक बार ओंकारममलेश्वर की यात्रा कर आइए।
ब्लॉग बहुत अभ्यास पूर्ण है हर मिनिट का आपने वर्णन ख़ूबसूरती से किया है माँ सरस्वती की आप पर कृपा रहे यही प्रार्थना करता हूं धन्यवाद
कौशिके जी आपने ब्लाग पढ़ा और मेरी प्रशंसा की इसके लिए धन्यवाद,आगे भी आशा है आप ब्लाग से जुड़कर मुझे प्रोत्साहित करते रहेंगे।
Disha, Tum saday aise acche lekh likh ti raho aur Bharat ke pauranik tirth sthalo ka darshan katvati raho. Hamari subhkamna tumhare sath hai.
Bahut shandar yatra ka varnan kiya ki ab hum bhi sochenge by road jane ki.isi tarah aage badhte raho
मृदुला जी,मेरा लेखन आपको सड़क से यात्रा करने के लिए लालायित कर रहा है यह जानकर संतुष्टि हुई आप मेरे सुझाये रास्तों पर बस निकल पड़िए,शुभ यात्रा,आगे भी ब्लाग से जुड़े रहिएगा
Ati sundar yatra vratant
पद्मा,तुमने ब्लाग पढ़ा और प्रतिक्रिया लिखी मेरे लिए यह बहुत मायने रखता है
आपके आध्यात्मिक यात्रा वृतानंत की लेखन शैली की पराकाष्ठा ने साक्षात् स्वयंभू के दर्शन लाभ करा दिये । आपने जिस लेखन शैली से शब्दों को संवारा है वो आज के परिवेश में देखने को नहीं मिलती। सधन्यवाद।
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writing, have a nice holiday weekend!
Amazing things here. I am very glad to see
your article. Thank you a lot and I am having a look forward
to touch you. Will you kindly drop me a e-mail?
Your roaddairis covers everything included cultures,religious, Sanskrit sloks, architecture,art craft,local foods and the style of preparation,folk songs related to Narmada Maia,the style of worshiping the lord by the saivites pujari,scindhia,and Hillary pujari with their rituals.you covers the shivalings formation in a center with their distributions.you have mentioned how worshipers have faith on the lord Shiva, Vishnu, and other gods.you have made comparative study for the mirchi and production in a large quantities.inscription deberies clearance evidence is the new material for researchers and for worshipers.at last I must congratulate you for covering such important road dairies.thank you very much for excellent photographs and sub title in the text.good and wish you very happy journey.
दिशा मॅडम आपको माॅ सरस्वती का आशिर्वाद हैं. आपकी कलम की शक्ति ऐंसे ही चलती रहें आपकी लेखनशैली हम जैसे भक्तोंको घर बैढे ही याञा का पुण्य देती हैं. आपको बहोत शुभकामना!
गोपालकृष्ण रावसाहेब आंधले ,परली
शानदार ,गौरवान्वित करने वाला लेख
विपिन अग्रवाल
बेटा मैं बहुत खुश हूँ,
सम्वेद्ं सरल,संभाशितं,
इस बात पर गौर करें ताकि आयोजन सफल होने की संभावना कम नहीं हो इस प्रकार का लेख अब तक प्रकाशित किया गया नहीं था दिल को छूती हुई रचना के लिए बधाई स्वीकारें अस्तु
अद्भूत चिर स्मरणीय
स्वेद्नम
पंडित कीर्ति देव शास्त्री ,सोमनाथ
I am truly thankful to the holder of this web site who has
shared this wonderful paragraph at at this place.
ऊँकार जी की कृपा आपकी लेखनी पर बनी रहे
I am in fact happy to glance at this website posts which consists of
plenty of helpful facts, thanks for providing such data.
शहर से अलग माता के स्थान पर कितना शांतिमय और अद्भुत वातावरण होगा, यह आपके वर्णन से स्पष्ट हो रहा है।
बहुत भाग्यशाली है हम जिन्हें आपके द्वारा इन पवित्र स्थलों को जानने का अवसर मिलता है,,
दीशाजी,
ओंकारेश्वर धाम स्थित सप्तमातृका ओंका दर्शन आपके साथ
हमे भी कराया । आपके शब्दों द्वारा मिला ये अनुभव अवर्णनीय है ।
अनेक साधुवाद !
शब्दों का अद्भुत उपयोग करना आपकी कला है अतिसुन्दर ,साधुवाद
श्री कीर्तिदेव शास्त्री
दीदी जी आप लेखनी की धनी हैं। प्रभु कृपा से आपके लेख यात्रा वृतांत पढ़ने का मौका मिलता है। बहुत सजीव सुंदर वर्णन है।
बहुत ही रोचक तथ्यों पर आधारित एक सुंदर ज्ञानवर्धक लेख हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
Saptamatrikas, for the road dairy is a new things to know the historic importance of the omkarerwara.these are the paramara period.if we can include the matrikas of udayagiri of the Gupta times for continuity of the worshiping or religious.excellentarticle for transplanted monument.tribes were the worshipers of Goddess.thanks.
ऊँ नमः शिवाय आपका नवीन आर्टिकल सप्त माँतृका पढ़ कर मन अत्यन्त प्रसन्न हुआ क्योंकि इस नीरस लेख को आपने अपने लेखनी से अत्यन्त रुचिकर बना दिया जो की ,यदि आज कोई लेख में कितना भी ज्ञान क्यों ना हो पर उसके साथ साथ रुचिकर नहीं है तो उसका प्रायोजन कम हो जाता है,और आपने सप्त मातृका मंदिर एवं उसका पूरा परिवेस का वर्णन बहुत सहजता से किया है जिससे पाठक को सहज ही एसा प्रतीत होता है कि वह भी आपके साथ साथ समस्त यात्रा का दर्शन लाभ भी ले रहा हो ।आशा है कि आप आगे भी एसे रोमांचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी अपने लेख में रुचिकर तरीके से आहुत करती रहेगी ।
जय भोले की ।।
वीरेंद्र
हमने सातमाता मंदिर के बारे में पहली बार सुना ओंकारेश्वर तो गये भी थे पर सातमाता के बारे में पता ही नहीं था अब जायेंगे बहुत अच्छी जानकारी दी है
मृदुला अवस्थी ,होशंगाबाद
भगवान शिव अर्थात हजारो वर्षो से व्यक्त एवं अव्यक्त रुप से भारतीय जनमानस मे व्याप्त एवं कालजयी चरित्र, शिव शब्द ही भारतीय जीवन प्रणाली का अनन्य उद्गार है ! आकाश मे तपता सूर्य जिस प्रकार कभी पुराना नही हो सकता उसी प्रकार आपके द्वारा वर्णित व्रतांत कभी भारतीय मानस – पटल से विस्मृत नही किये जा सकते! आपके शब्दो मे हमेशा नित्य नूतनता और उनमेषशाली बनने की भरपूर छमता है ! यह वृतांत जिसके द्वारा प्रत्येक मानस पटल पर उसके विचारो का छितिज अनंत मे विस्तारित हो गया है! आध्यात्मिक छेत्र से एक नवीन सम्पर्क भौतिक तत्व पर इसकी मानसिक श्रेष्टता एवं आध्यात्मिक अनुशासन मेरे एवं सभी के लिये बहुत शिक्षाप्रद है ! आपकी समझ और अंतः दृष्टि के कारण उल्लास या हर्ष से भी कही अधिक तीर्व भावना मेरे अंदर उठी और मे आनन्द मे पूर्णत: विभोर हो गया और इस अवरणनीय आनंद के साथ ही संसार की सारभूत महानता का बोध मेरे अंतःकरण मे जागा इस विमोहक संसार मे कुछ अंतः दृष्टि प्रदान करने के लिये मे आपका बहुत आभारी हू ! आगे के वृतांत के लिये प्रतीछारत…
आप के ब्लॉग द्वारा ओंकारेश्वर के दर्शन आप की भाषा शैली में मेरा बहुत ही अद्भुत और आनंदित अनुभव है सतमाता के वर्णन से हम पहली बार अवगत हुयें।
धन्य है आपका लेखन, मुझे यही चीज सबसे अच्छी लगाती है , आपके ब्लॉग में कि आप मात्रा भी अपने लेखन से सजीव कर देती है। शायद ये आप पर शंकर जी , सरस्वती जी की अति अनुकंपा का प्रतिफल है, आपके ब्लॉग का इसीलिए बहुत इंतज़ार रहता है कि दिशा जी फिर एक तीर्थ यात्रा का हमें अनुवभव करवायेंगी। मैंने आज तक इतनी सुंदर भाषा शैली नहीं पढ़ी जो अपने को बार बार पढ़ने पर मजबूर कर देती है शहर का वर्णन वहां के लोगों की जीवन यापन देख कर उसका वर्णन , ये आपके ब्लॉग में ही संभव है।
शंकर भगवान के हर ब्लॉग के हर स्थान का वर्णन कर आपने हमारे मन पर एक अमिट छाप छोड़ीं है, अगर हम यात्रा पर जाये तो आपका ब्लॉग के जरिये मार्गदर्शन हमारी यात्रा को सरल बनायेंगा। मै आप को बहुत बहुत शुभकामनायें देती हूँ। आप ऐसे ही सतत् आगे बढ़ती रहे और आप अपने ब्लॉग हम प्रशंसकों तक पहुँचती रहें एक बार फिर आपको शुभकामनााओं सही प्यार, आशा है दूसरा ब्लॉग हमारे समक्ष जल्दी होगा।
आभा शर्मा
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Thank you!
नमन करता हूँ!
आपका ब्लॉग ओम्कारेश्वर पढ़ा 25वर्ष बाद दर्शन का सौभाग्य पुनः प्राप्त हुआ आपका कृतज्ञ हूँ.
सोमवती अमावस्या पर ओंकारेशवर ही होने का अनुभव हुआ,आपकी भाषा लालित्यपूर्ण एवं प्रवाहमान है।?
Shandar yatra vartant hai time nahi hai abhi pura padbe ka par esa laga raha tha padke ki me svam yatra kar raha hu bahur sandar vartant likha hai aapne ??