भूले बिसरे खेल-खिलौने वाला माटी शिल्प शिविर

लुका-छिपी, आँख-मिचौनी, धूप ले के छैंया, सितौलिया, आसी-पासी, कुक्कर कुक्कर कांकरो, आती-पाती, फुंदी फटाका, लंगड़ी, गुल्ली-डंडा और गुड्डे-गुड़ियों के साथ घर-घर खेलने वाले उल्लसित और उत्फुल्लित लोकमन की समूहात्मक अभिव्यक्ति हमें पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के दस दिवसीय शिविर में माटी के खिलौने बनाने वाले कुशल शिल्पकारों के शिल्प में दिखायी दी। राजस्थान, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश राज्यों के सिद्धस्त शिल्पियों ने मुक्ताकाश तले मुक्त कल्पनाओं से माटी के खेल खिलौनों का अभिनव संसार रच दिया। आंचलिक परिवेश में अपने बचपन की स्मृतियों में लौटकर खेल-खेल में ही आपसदारी सिखाते शिल्पियों में देश के कई प्रांतों और मध्यप्रदेश के …

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राजस्थान की लोकनाट्य कुचामणि ख्याल शैली और महाराष्ट्र का लावणी नृत्य

80 बसंत पार कर चुके बंशीलाल जी उर्फ बशीर मोहम्मद द्वारा निर्देशित लोक नाट्य की प्रस्तुति इसमें कोई संदेह नहीं मंगल भाव लिए हमारे लोकनाट्य हों याँ लोक नृत्य, सामाजिक स्थितियों और परंपराओं की उजास से परिपूर्ण क्षेत्र विशेष का दर्पण होते हैं। भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के सभागार में राजस्थान की लोकनाट्य कुचामणि ख्याल शैली और महाराष्ट्र की लावणी नृत्य परंपरा के दर्शी बने हम यही अनुभूत करते रहे। सभागार में अभिनयन श्रंखला के अन्तर्गत राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना तहसील के चुयी गांव से पधारे बंशीलाल खिलाड़ी एंड पार्टी द्वारा जगदेव कंकाली की सराहनीय प्रस्तुति की गयी। …

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गुजरात की भवाई लोकनाट्य शैली, राजस्थान की मांगणियार गायकी

लोकगाथाएं लोक के पुराण हैं इसीलिए इतने वर्षों के बाद भी उनका अस्तित्व विद्यमान है। 13वीं सदी के उत्तरार्ध और 14वीं सदी के पूर्वार्ध में उत्तर गुजरात में अद्भूत लोकनाट्य शैली भवाई का मंचन भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के प्रेक्षागृह में देखने के उपरांत उरोक्त पंक्तियों की पुष्टि स्वतः ही हो गई। मोरबी (गुजरात) से पधारे विवेकानंद भवाई मण्डली  के 70 वर्षीय श्री हरिलाल पैजा के पुत्र प्रकाश के निर्देशन में 25 लोक कलाकारों के मन हरने वाले पारंपरिक भावमय प्रदर्शन ने हमें भावविह्वल कर दिया। रावत रनसिंह शीर्षक वाले भवाई लोकनाट्य में मोरबी के राजा रावत रनसिंह का मोजड़ी प्रेम प्रसंग, …

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राजस्थान के चितौड़गढ़ के घोसुण्डा की कलगी तुर्रा शैली

राजस्थान

भोपाल स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के सभागार में राजस्थान के चितौड़गढ़ के घोसुण्डा कस्बे से पधारे कलगी के उस्ताद मिर्जा अकबर बेग काग़ज़ी के निर्देशत्व में तुर्रा कलगी शैली में निबद्ध राजकुमारी फूलवंती की आकर्षक प्रस्तुति ने मन मोह लिया। डेढ़ घण्टे के इस अभिनव प्रस्तुतीकरण में दर्शक आद्यंत सम्मोहित हुए से बैठे रहे। सूरजगढ़ के राजकुमार फूल सिंह के विवाह संबंधित कथानक में फूलसिंह भाभी संवाद, रूष्ट राजकुमार के बड़े भाई का उन्हें मनाना, फूलसिंह का चन्दरगढ़ में प्रवेश और मालिन द्वारा उन्हें शरण देना, स्त्री भेश में महल में राजकुमार फूलसिंह और राजकुमारी फूलवंती का परिसंवाद, ये समस्त …

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