परिसर स्थित शनि मंदिर और विशालकाय घण्टा, छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मंदिर के रखरखाव में आर्थिक सहयोग
पूजा के पश्चात् बाहर निकलते ही परिसर स्थित शनि मंदिर का विशालकाय घण्टा हर दर्शनार्थी का ध्यान आकृष्ट करता है। हमने इस संबंध में रत्नाकर कोडिलकर जी से जानकारी चाही, उन्होंने बताया कि 5 मन वज़नी पुर्तगाली घण्टे को मराठाकाल में बसई के गिरिजाघर/चैपल से लाया गया था (बॉम्बे गजेटियर पृष्ठ संख्या 120) में इसका उल्लेख है। सन् 1729 टंकन वाले इस भीमकाय घण्टे के नाद की अनुगूंज भी प्रचण्ड है। लेकिन पुरामहत्व के दृष्टिगत अब इसके क्षय की आशंका से लोलक निकाल दिया गया है और मंदिर में प्रातः काल प्रवेशद्वार खुलने से पहले एक पत्थर से प्रहार कर औपचारिकताएं निभा दी जाती हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस पवित्र धाम में अराधना करने और रखरखाव में आर्थिक सहयोग करने का उल्लेख करते हुए पण्डित रत्नाकर जी बताते हैं कि शिवाजी महाराज ने राजगुरुनगर तहसील का गांव खरोशी उपहार स्वरुप मंदिर को दिया था और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आज इतने वर्षों बाद भी इसी गांव से सालाना लगभग 450 रु. मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए समिति को प्राप्त होते हैं। मंदिर में होने वाले पूजा विधान के संदर्भ में कोडिलकर जी ने बताया कि मंदिर में जलाभिषेक के 1100 रु., लघु रुद्राभिषेक के 5100 रु., महापूजा के 3100 रु., रुद्राभिषेक के 2100 रु. नियत किये गये हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर में भक्तों के प्रतिपालक भगवान शिव की सेवा में संलग्न 18 पुरोहितों द्वारा प्रतिदिन नित्य सेवा जाप इत्यादि का उपक्रम भी किया जाता है तदुपरांत प्रसादी डाक द्वारा प्रेषित करने की प्रक्रिया को 24 से 30 गोसांई, (जिन्हें तपोधन अथवा गुरव भी पुकारा जाता है) सुचारु रुप से संचालित करते हैं। प्रत्येक दिन मंदिर से ऐसे 100 प्रसादी लिफाफे डाकघर पहुंचाये जाते हैं। जिन पर भक्तगणों का नाम-पता और गोत्र लिखा रहता है। हम सोच रहे थे यहां की धर्मप्राण वायु में कितनी पावनता है, निश्चिंतता और सत्व गुण प्रधानता है और उतनी ही निष्ठा और निर्मलता यहां के सहृदयी पुरोहितों में भी है।
मंदिर परिसर स्थित मोक्ष कुण्ड भीमा नदी का जल स्त्रोत है समझा जाता है कि कौशिक ऋषि द्वारा तपर्स्च्या करने पर मोक्षकुण्ड की व्युपत्ति हुई। सर्वतीर्थ जलकुण्ड भी इसके समीप ही स्थित है यहां मिले शिलालेख से इस बात की पुष्टि होती है कि भीमा नदी का ही मूल नाम भीमारथी है। चालुक्य वंश के नरेश द्वितीय पुलकेशी (614 इसवीं) के कार्यकाल में इस स्थान विशेष में पुण्य सलिला भीमारथी की उपस्थिति का उल्लेख है। यह नदी पतली धार के रूप में पर्वत उतरती है फिर नदी का स्वरूप ग्रहण कर दक्षिण पूर्व में 725 किलोमीटर बहते हुए कर्नाटक में कृष्णा नदी में समाहित हो जाती है। त्रिपुरासुर की दो पत्नियों डाकिनी और शाकिनी नामक पर्वत टेकरियों के बीच ठाठ से खड़ा भीमाशंकर श्रृंग और उस पर यह शंभु के शाश्वत् निवास का प्रभाव अभिनंदनीय है। कहते हैं न तीर्थ की अलौकिकता ही तो उन्हें स्वर्ग का सोपान बनाती है अगर ऐसे स्वार्गिक सुख की अनुभूति करने के हिमायती हैं तो भीमाशंकर में कुछ समय गुजार आइये।
अब वापसी का समय था सोचा अभी समय शेष है क्यों न वेरुल स्थित उमा-महेश्वर के पुत्र एकदन्त गजमुख लम्बोदर के दिव्यधाम का दर्शन लाभ ले लिया जाऐ। MHSH 112/54 पकड़ कर 278 किमी का फासला तय कर हम वेरूल पहुंच गए। आपको विदित होगा सर्वाग्रपूज्य विघ्नविनाशक के 21 गणपति प्रधान क्षेत्र हैं जिनमें से अधिकांश महाराष्ट्र में स्थित हैं। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्तवन प्रक्रिया में हम इस स्थान विशेष के दर्शन लाभ से वंचित रह गये थे। इस लिए इस बार मानस बना ही लिया। वेरुल की पावन धरा पर घृष्णेश्वर ज्योतिलिंग मंदिर परिसर से पदयात्रा कर आप गणपति के 21 प्रधान क्षेत्रों की गणनाक्रम में 17 वें क्रमांक पर प्रतिष्ठित लक्ष विनायक गणेश पीठ पहुंच सकते हैं। हमने भी वही किया।
आपका ब्लॉग पढ़ा यात्रा तो सच-मुच जोरदार थी…पर मेरी हिंदी इतनी अच्छी न होने के कारण कुछ वाक्यो का अर्थ पूरी तरह नहीं समझ पाया जैसे की…
कुशलक्षेम, वैशिष्ट्य, स्थितप्रज्ञ, यत्नशील, नैवेद्य, रक्तरंजित, हितार्थ, शिल्पोत्कीर्णन, सभाण्डप, कतिपय, लोलक, धर्मप्राण, पुलकेशी, सलिला, स्वयंभू, प्रदक्षिणा
पहली बार ये शब्द देखे और सुने………मुझे तो लगता था की सिर्फ इंग्लिश ही बहुत कठिन है
विपिन धन्यवाद,कोई भी भाषा कठिन नहीं है ,बस कुछ शब्द ऐसे होतें हैं हर भाषा में जिन्हें हम कम प्रयोग में लाते हैं तो वे ज़ुबान से ग़ायब हो जाते हैं हमारे साथ बने रहिए भाषा सुधर जाएगी बहरहाल आपने जानना चाहा है कुछ शब्दों का अर्थ मसलन हितार्थ-फ़ायदे के लिए,यत्नशील-मेहनती,रक्तरंजित-ख़ून से लथपथ,पुलकेशी-चाणक्य वंश का राजा,प्रदक्षिणा -चक्कर लगाना,नैवेध-देवता का भोग,स्वयंभू-अपने आप उत्तपन्न,कतिपय-कुछ लोगों ने,धर्मप्राण-धर्म से जुड़ा हुआ,सलिला-नदी,वैशिष्टय -विशेषताओं से भरा हुआ,स्थितप्रज्ञ-शान्त,कुशलक्षेम-ख़ैरियत जानना,लोलक-घण्टे का लटकन,शिल्पोत्कीर्णन-हाथ से उकेरी गई मूर्तिकला,सभामण्डप-मंदिर का हिस्सा
इसी तरह जुड़े रहिए,
Disha Very well described as usual ?
स्वाति तुमने आलेख की प्रशंसा की,धन्यवाद
देश से बाहर रहने वाला जब लेख से जुड़ाव महसूस करता है तो और भी ख़ुशी मिलती है
Very good Disha
मनोज तुम स्वयं ज्योतिलिंगों की यात्रा कर रहे हो तुम संतुष्ट तो हम प्रसन्न
Bahut hi adbhut akalpaniy yatra vrittant. Bhagwan shri Bhima Shankar ke aloukik darshan.
Jai mahakal, jai Bhima Shankar.
राजेन्द्र जी,आप को आलेख पठनीय लगा ,धन्यवाद,जय भीमाशंकर?
आपने पिछले ब्लॉग में ज्योतिर्लिंगो के दर्शन अपने आपकी लेखनी से कराये …… भगवान शिव का छठवाँ धाम श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दिव्य दर्शन आपके माध्यम से हुए इसमे अपने हमें पौराणिक कथाओं के वारे जैसे त्रिपुरासुर वध तथा सहस्त्र जल धाराओं की उत्पत्ति के साथ- साथ एक और जानकारी हमें प्राप्त हुई कुम्भकर्ण और कर्कटी के वारे में , रथनुमा पहाड़ी और मंदिर के निर्माण की जानकारी जिस में हमें विनायक राव ,राधोबाबा दादा पेशवा , महारानी अहिल्या बाई होल्कर चिमणजी अंता जी भिडे द्वारा इन के वारे में जानकारी दी ……… श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के परिसर में स्थित शनि मंदिर का विशालकाय घंटा ,विनायक मंदिर , मोक्ष कुण्ड तथा भीमा नदी की व्युपत्ति कैसे हुई इसके वारे में हमें अवगत कराया अगली लेखनी का इंतजार रहेगा
अंकिता तुमने आलेख को बहुत ध्यान से पढ़ा ,एकोएक वाक्य पर चिन्तन किया ,मन प्रफुल्लित कर दिया ?
आपके माध्यम से हमें भगवन शिव के ज्योतिर्लिंगो के दर्शन हो रहे है
नित्या तुम हमारे साथ जुड़ी रहो इसी तरह,धन्यवाद
भीमा शंकर के मंदिर के दर्शन और उसका विवरण पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा अगली लेखनी का इंतजार रहेगा
जय तुमने लेख को पढ़ा और सराहा,धन्यवाद
दिशा एक बार फिर शानदार लेखन
विनय तुमको आलेख ने प्रभावित किया तुमने प्रतिक्रिया लिखी बहुत धन्यवाद
भगवान भीमाशँकर से साक्षातकार.. आप की आँखो से।
दीपक जी प्रतिक्रिया लिखने के लिए शुक्रिया
भगवान शिव के छटवे दिव्यधाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा वृतांत का अद्भुत वर्णन सराहनीय है । आपके शब्द विश्वआत्मा – परमात्मा की वैधुतिक ऊर्जा से झँकृत हैं ! वे महाकाल के भाल पर आगामी मन्वंतरों के अक्षर उकेर रहे हैं, वे मंत्राक्षर, बीजाक्षर है और इस ऊर्जा को संसार की कोई शक्ति अवरुद्ध नहीं कर सकती । आपके जैसा दार्शनिक, विचारक, चिंतक, साहित्यकार, व्याख्याता दुर्लभ है । जिसने अपनी तीछण किरणों से विश्व के अंधकार की छाती पर अपने सुनहरे हस्ताक्षर किए हैं । पुनः धन्यवाद आपका जो इस संक्षिप्त विवरण में आपने इतना कुछ कर दिखाया जिसकी तुलना शब्दों में असंभव है । शिव के दिव्य धामों की आगे की यात्रा व्रतांत के लिए प्रतीक्षारत…
महेश तुम्हारी हिन्दी इतनी अच्छी है यह मालूम नहीं था ,तुम लिख भी अच्छा लेते हो ,भोलेनाथ की हम सभी पर कृपा बनी रहे ,तुम भी तो ज्योतिर्लिंगों की यात्रा कर रहे हो उम्मीद करती हूँ द रोड डायरीज़ तुम्हारे सफ़र में मददगार साबित हो प्रतिक्रिया लिखने के लिए बहुत धन्यवाद
दिशा तुम्हारी लेखनी सराहनीय हे.भिमाशंकर का बहुत बढिया वर्णन.
Disha tumhari lekhni sarahniy he.bhimashankar jyotirling ka bahut hi achha varnan kiya he
दिशा तुम्हारी लेखनी सराहनीय हे.भिमाशंकर का बहुत उम्दा वर्णन किया हे
वर्षा तुमने अपने तीन संदेशों में ब्लाग की जो प्रशंसा की है उसने दिल जीत लिया ,हमसे हमेशा जुड़े रहना और इतनी ही स्नेह वर्षा करते रहना धन्यवाद
मेरी प्यारी माँ पता नहीं क्या जादू हे तेरे पेरो में जितना में झुकता हूँ उतना ऊपर जाता हूँ दीदी आप के लिऐ आपको प्रणाम करताँ हूँ। ऐसे ही लिखते रहिए ☺
Shyam babu yadav
श्याम तुम्हारी धार्मिक प्रवृत्ति दर्शाती भावुकता भरी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से धन्यवाद
बहुत ही अच्छी जानकारी है. भीमाशंकर का महत्व ज्यादा से ज्यादा लोगों तक आपके इस ब्लॉग से पहुंच रहा है इसलिए धन्यवाद ???? फ़ोटो भी अच्छी है! || जय भीमाशंकर||
मयुरेश रत्नाकर कोडिलकर ,भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र
मयुरेश जी,अतिशय धन्यवाद,आपके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था ,ईश्वर की कृपा हम सब पर बनी रहे जय श्री भीमाशंकर ?
आपका ब्लाग पढ़ा ,आपकी जिह्वा पर माँ सरस्वती की कृपा है,आपकी लेखन शैली भाषा पर आपकी पकड़ और विषय की सटीक जानकारी ब्लाग को पठनीय बनाती है जिस प्रकार नमस्कार ,प्रणाम,नमस्कारम बोलने के प्रकार होते हैं उसी तरह आप संस्कृत निष्ठ हिन्दी के क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग बहुत ही सरलता से कर लेतीं हैं जो आजकल कम दिखाई देता है ऐसे ही लिखते रहिए
श्री राजेन्द्र कौशिके,वरिष्ठ उपाध्ये,घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर,महाराष्ट्र
आदरणीय राजेन्द्र जी,यह आपकी अति उदारता है ,हम तो निमित्त मात्र हैं आप जैसे गुणीजनों के ज्ञान को धर्मप्राण जनता तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं बस,आपका आर्शीवाद चाहिए।
अद्भुत,वर्णन भीमाशंकर जी के संबंध में सम्पूर्ण जानकारियाँ समेटे हुए,आपके शब्दों का चयन,फ़ोटोग्राफ़ी सभी उत्तम है ,जय श्री भीमाशंकर
रत्नाकर रघुनाथ कोडिलकर
वरिष्ठ उपाध्ये ,भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर महाराष्ट्र
रत्नाकर जी, आप जैसे सज्जन पुरोहित मिल गए ईश्वर की दया से ,इतनी सारी जानकारियाँ साझा कीं और आलेख पठनीय हो गया,ऐसे ही जुड़े रहिएगा
अनेकानेक धन्यवाद
दिशा जी आपके द्वारा ब्लाग पर धार्मिक यात्राओं का सचित्र चित्रण वास्तव में इस विकसित संचार माध्यम सही उपयोग है। मैं आपका आभारी हू आपने ज्योर्तिलिंग यात्रा विवरण के साथ मंदिरों में होने वाली आरती पूजन के समय को भी शामिल किया ।
भानु जी आप की तो धार्मिक लेखन में अच्छी पकड़ है आपके द्वारा की गई प्रशंसा मेरे लिए मायने रखती है ,इस बार आरती की समय सारणी दी है विशेष रूप से आपके सुझाव को ध्यान में रखकर,अतिशय धन्यवाद
It make us proud to see that you are showing us our heritage and tradition,in todays world.Thank you for giving us oppurtunity to read our mother tongue after such long time.May God bless you.
प्रतिशुत तुम आस्ट्रेलिया में बैठकर शिव धामों की दिव्यता को ब्लाग के माध्यम से महसूस कर पा रहे हो मन प्रसन्न हो गया यही तो शाश्वत शिवस्थलों का महात्म्य है जय श्री भीमाशंकर?
नमस्कार मयुरेश मस्त माहिती आहे खुप सुंदर आहे.
सागर आपने भीमाशंकर जी के महात्म्य को रूचिकर बताया बहुत धन्यवाद
अद्भुत लेखन और बहुत सुंदर चित्रों द्वारा आपने भीमाशंकर धाम का दर्शन कराया।आपके ब्लॉग से हमे अपने देश के धार्मिक स्थलों के बारे में और अपनी संस्कृति की जानकारी प्राप्त होती है।आपकी लेखनी सराहनीय है जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।आपके द्वारा हम लोगों ने भी साक्षात् दर्शन कर लिए ।आप का धन्यवाद ।
शिल्पा तुमने प्रतिक्रिया लिखी धन्यवाद,इसी तरह ब्लाग से जुड़कर द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन हो जाएँगें जो विदेश में रहकर संभव नहीं हैं
Disha bahut badiya har bar ki tarah is bar bhi tumhari lekhani ne bahut prabhavit kiya tumhare dwara likhe gaye yatra vratant me tumhari mehnat najar aati hai jis tarah se tum ne bhimashanksr jyotirling ka varnan kiya uska itihas likha bhima nadi shani mandir ghante ke bare me jo bhi bataya us jankari tak mera pahuchna to sambhav hi nahi tha itni gud jankari dene ke liye bahut bahut dhanyawad next yatra ka intezaar rahega
अर्चना तुम्हारे पत्र से लगता है तुमने बहुत शान्ति के साथ बैठकर ब्लाग को पढ़ा फिर लिखा है बहुत धन्यवाद,मेरी कोशिश रहेगी हमेशा कि अपने पाठकों को सतही जानकारी न देकर बल्कि विषय को तफ़सील से प्रस्तुत करूँ ,तुम एेसे ही साथ में बने रहना।
बहुत ही सुंदर मानोहारी अमृतमय वर्णन हैं भगवान श्री भीमाशंकर जी का, अतुलयनीय, अकल्पनीय और एकदम अद्भुत शुखकारी एवं शुभंकर दर्शन..जय श्री भीमाशंकर जी…दीदी आपको द्वादश ज्योतिरलिंगो के समय समय पर इतने मानोहारी दर्शन और सजीव यात्रा कराने के लिये कोटी कोटी धन्यवाद..आशा हैं अाप हमे इसी तरह आगे भी बाकी सारे ज्योतिरलींगो के अमृतमय दर्शन और सजीव यात्रा कराती रहेंगी..
राजेन्द्र जी आपका प्रशंसा भरा विस्तारित पत्र पाकर दिल ख़ुश हो गया आप तो शुरू से रोड डायरीज़ परिवार का हिस्सा रहे हैं आगे भी जुड़े रहिएगा बहुत धन्यवाद
Bahot sunder , adhbhut varnan, jai bheema shankar ji ki,,,,
संदीप तमाम व्यवधानों के बाद भी आप प्रतिक्रिया लिख पाए ह्रदय से धन्यवाद
दिशा , तुम एक श्रेष्ठ डायरी लेखिका हो। भगवान शंकर के तमाम ज्योतिर्लिंगों का भ्रमण तुम तो करती ही हो, हम भी घर बैठे आभासी यात्रा के माध्यम से उन पवित्र तीर्थस्थानों की यात्रा कर पूण्य सन्चय कर लेते हैं। तुम्हारा विवरण होता ही इतना सजीव और सुन्दर होता है। तुम्हारी दृष्टि और स्मृति भी बहुत सराहनीय है। पूरी यात्रा में छोटे छोटे से डिटेल्स भी तुम्हारी लेखनी की पकड़ में आने से बच नहीं पाते।
बस भाषा थोड़ी और सरल एवं सुबोध हो तो मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यो के पाठक भी पूरा रस ले सकेंगे।
चित्र भी अति सुंदर।
पावन और सुन्दर यात्रा विवरण के लिए बधाई। लिखती रहो।
अवस्थी सर,आपकी प्रतिक्रिया मेरा मनोबल बढ़ाने वाली,विषय में और गहरे पैठने की समझ देने वाली है आपको फ़ोटोग्राफ़,डायरी की सूक्ष्म से सूक्ष्मतर वर्णन ने प्रभावित किया यह जानकर संतोष हुआ ,भाषा सरल करने का प्रयास जारी है धन्यवाद
दिशा जी वेरूळ से संतोष पैठणकर
नमस्कार .
आपका भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में ब्लॉग पढा. ब्लॉग पढकर मैं अचंबभित हो गया आप के शब्दों की रचना मन को प्रसन्न कर देती है . आप का शब्द संकलन अद्वितीय है. भीमाशंकर के साथ राळेगणसिद्ध के बारे में पढकर और अच्छा लगा.
भविष्य में पूरे भारतवर्ष के तीर्थों के बारे में आप ब्लॉग लिखें और तीर्थ क्षेत्र के प्रति लोगों की रुचि बढ़े यह मनोकामना घृष्णेश्वर महादेवजी के चरणों में रखकर अपनी छोटीसी प्रतिक्रिया संपन्न करता हूँ ….
पैठनकर जी आपके सहयोग के लिए बहुत सारा धन्यवाद,आपने ब्लाग को श्रेष्ठ बताकर प्रसन्नचित्त कर दिया,
दिशा जी हर बार की तरह ही बहुत सुंदर विवरण प्रस्तुत किया है । पढ़ के लगता है वास्तव में हमने भी दर्शन और यात्रा का अनुभव कर लिया । धन्यवाद
विवेकानंद आपका सात समुन्दर पार से आध्यात्मिक यात्रा को पसंद करना हमें बेहद रास आता है धन्यवाद
दिशाजी, आपका लेखन सुंदर है। लक्ष विनायक जैसे दुर्लक्षित मंदिर का आपने किया वर्णन अच्छा है। भीमाशंकर यात्रा आपने हमे घरबैठे करवायी मॅडम प्रत्येक विषयवस्तु पर आपकी संशोधन वृत्ती प्रसंशनिय है| तथा लेख सभी विषय को छुता है| आपको शुभ कामनाये।
योगेश जी अनेकानेक धन्यवाद,लक्ष्यविनायक गणपति जी की जानकारी आपको बेहतर लगी यह जानकर मन हर्षित है आप से निवेदन है पुजारी जी तक ब्लाग पहुँचा दें बड़ी मेहरबानी होगी,हमारी आध्यात्मिक यात्रा से जुड़े रहिए ,एलोरा के सम्बन्ध में आपका सुझाव मेरे ध्यान में है
पुनः एक बार परपक्व लेखनी से निकले शब्दों में वर्णित भगवान भीमशंकर के यात्रा का आनंद लिये। जैसा कि पिछले वृतान्तों के बारे में कहा वैसा ही अनुभव इस बार भी हुआ। आपके भाषा शैली से वो रस टपकता है जो हम जैसे साहित्य प्रेमियों के अंतर्मन को सराबोर कर देता है। आप अपनी इसी भाषा का प्रयोग हमेशा जारी रखें।
ह्रदय से धन्यवाद,मनोबल बढ़ाने के लिए,हिन्दी के विद्वान जब भाषा के उचित प्रयोग की प्रशंसा करते हैं न तो मन बल्लियों उछलने लगता है ,हम संशय की स्थिति में रहते हैं कि कहीं साहित्त्यिक हिन्दी का अतिरेक हो गया तो ब्लाग पढ़ने वाले साथ न छोड़ दें पर आपने बनारस में बैठकर भाषा की मिठास का आनंद ले लिया तो हम समझते हैं कि हम सही दिशा में जा रहे हैं।
दिशा जी जैसे ही आपके ब्लॉग पर दृष्टि डालता हूँ, नज़रें ठहर जाती हैं । इतने सुन्दर और मनोहारी चित्र,स्थल विशेष की विस्तृत जानकारी,सब कुछ प्रशंसनीय है और मन में लंबे समय तक उसकी स्मृतियाँ अंकित रहती हैं । भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग अपने आप में इतनी सारी विशेषताओं को समाहित किये है,पता नहीं था, परिचय कराने के लिए बहुत धन्यवाद। वृत्तांत में प्रयुक्त शब्दों एवं उदाहरणों का उपयोग सटीक है। बहुत शुभकामनाएं आपको।
बहुत धन्यवाद,तुम्हारे पत्र को पढ़ ही रही थी कि तुम्हारे साथ श्री महाकालेश्वर उज्जैन की फ़िल्म के लिए किए गए परिश्रम की यादें ताज़ा हो आईं,शब्दों का चयन ,फ़ोटोग्राफ़ी ने तुम्हें प्रभावित किया यह सब भोलेनाथ की दया का प्रतिफल है ।साथ रहना अभी सफ़र लम्बा है
Aisi gahen aur vistrit vyakhya ek mushkil kaam, kintu apki lekhni ka pravaah prashansniya hai, ishver apko swasth rakhey yatra kertey rahiye……
अतिशय धन्यवाद,आप यात्रा के हर पड़ाव का आनंद ले रहीं हैं मन इसी से संतुष्ट हो गया ,आगे भी इसी प्रकार जुड़े रहिए बल्कि जो साथ आना चाहें मुसाफ़िर उन्हें भी यात्रा में शरीक कर लें सब साथ होंगे तो सफ़र आराम से तय हो जायेगा
दिशा बेन,जय भोलेनाथ की।? बेन सबका पेले तो आपके खूब सारी बधाई दई दाँ भीमा शंकर यात्रा की। तमने वां पोंचने का रस्ता,होटल ,खानो सब बात न की खूब अच्छी जानकारी दई दी बेन।। सबसे जरुरी वां की पोराणिक,ऐतिहासिक ओर धार्मिक बातां खूब अच्छा सी बतई। वां को जनजीवन ,खेती सबका बारा में बतायो।शिव की महिमा को असि भाषा में बखान कियो बेन कि हम भी उकी दिव्य छाया में थोड़ी देर बेठी के उका सिमरन में खोई गया। तमारे यात्रा की घणी सारी बधई ओर बेन अगला पड़ाव को इंतजार रेहगो।जै भोलेनाथ!!!?
पूनम,इंदौर
उज्जैन की धरती से मालवी भाषा की मिठास से पगी तुम्हारी पाती ने मन ख़ुश कर दिया इतने सालों बाद तमने कालेज दिनारी याद दिला दी, वसीच बोली,वसइच पूर्णिमा,जय महाकाल?
हर- हर महादेव
भगवान श्री भीमाशंकर के दर्शन का सौभाग्य एक बार मुझे भी प्राप्त हो चुका है .संस्मरण पढ़कर पुनः उसी सौभाग्य की अनुभूति हुई.
निशान्त तुमने श्री भीमाशंकर स्थान की यात्रा की है तो तुम लेख और फ़ोटो से ज़्यादा बेहतर तरीक़े से स्वयं को जोड़ सकते हो प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
Bahut hi adbhut Disha…………… Bahut hi adbhut yatra thi aisa lagta h jese hum tumhare saath hi h…. Bahut achha lagta h tumhari yatra ko padkr……….
I really appreciate you god bless u dear u done such a beautiful job……… Its really very impressive .I would like to read more…….
Ur emotions and feelings.always impressive ….keep it up ……I’m waiting for next one
कल्पना तुम्हारी दो प्रतिक्रियाओं में दिल से की गई तारीफ़ झलकती है ,तुम अभी सफ़र में साथ ही बने रहना सभी १२ दिव्य शिव धामों के दर्शन हमारे साथ ही करना।पत्र लिखने और उत्साह बढ़ाने के लिए दिल से शुक्रिया
हर लेख की तरह इसमें भी सर्वांगनीयता ,बधाई दिशा।शीर्षक से लगता था कि केवल मंदिर या अधीकाधिक उस तीर्थ का विवरण होगा,किन्तु रास्ते का सौंदर्य,स्थानों के सन्दर्भ,भूगर्भीय ज्ञान के साथ ही निसर्ग,रास्ते की सुविधा,असुविधा,पारंपरिक और पारस्परिक सौहार्द्र सब भी इसमें समाहित हैं।मंदिर की संरचना का ज़िक्र करते जहां दिशा के शब्दों में वास्तुविद या पुरातत्त्ववेत्ता समा जाता है वहीँ उसकी गाथा लिखते समय एक इतिहासकार या कथावाचक पौराणिक और ग्रंथो को संदर्भित करते समय एक विषय विशेषज्ञ शोधकर्ता।रोचक शैली,सुन्दर शब्द चयन और पाठक को जिज्ञासा में बांधे रखकर अंत तक पढ़ने को प्रेरित करती लेखन शैली ,ये सब दिशा की प्राचीन विशेषता हैं।प्राचीन इसलिए लिखा क्योंकि अचानक एक दशक तक उसके कलम मौन रहे और अब जब फिर चलने लगा तो उसी पुरानी भव्यता के साथ।सचमुच यात्रा वृतांत में क्या क्या शामिल होना चाहिए यह इस लेख को पढ़कर लगता है।शीर्षक तो मात्र एक लक्ष्य बिंदु होता और बराए नाम कितनी कहानियाँ पाठक को रूबरू होती हैं।बार अनिवारयीय रास्ते के ढाबों से लेकर रामा इंटर्नेसनल तक की सुख सुविधा और चटकारे दार भोजन भी शामिल है जो कहती है अरे यार पूजा पाठ,मंदिर देवाला,तीरथ बरत ,प्रकृति पुरातत्व ,सैर सपाटा किसी में भी मन नहीं लगता हो तो एक बार मराठी देसज खाने का आनंद लेने हे निकल पड़ो, भीमाशंकर की और।
सुन्दर सुचना आगार का पट खोलने मेरी ढेर सारी बधाइयां।
अशोक तिवारी
संस्कृति सलाहकार, छत्तीसगढ़
अशोक जी आप कितना भावपूर्ण लिखते हैं शब्दों के पीछे के भाव मन के भीतर तक उतर जाते हैं पत्रकार दिशा को पुन:लेखन क्षेत्र में लाने ,मनोबल बढ़ाने ,लम्बे समय तक टिके रहने के लिए एेसी ही उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है यूँ ही जुड़े रहियेगा बहुत धन्यवाद
भगवान शिव के छटवे दिव्यधाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा वृतांत का अद्भुत वर्णन सराहनीय है फ़ोटोग्राफ़ी बहुत उच्चस्तरीय है jai omkareshwar ji
पण्डित अखिलेश दीक्षित
वरिष्ठ पुरोहित ओंकारेश्वर ज्योतिलिंग,म.प्र
प्रणाम पण्डित जी आपको ब्लाग की सामग्री पठनीय लगी चित्र आकर्षक लगे यह जानकर मन प्रफुल्लित हो गया,अत्यन्त धन्यवाद
दिशा आपके ब्लाग को पढ़ा सही मायने में ब्लाग संस्कृति से मैं दूर रहता हूँ पर यह पहला जीवन का मेरा ब्लाग है जिससे मैं प्रभावित हुआ हूँ भाषा की दृष्टि से उत्तम,सामग्री के नज़रिए से उत्कृष्ट ,पठनीय,दैनिक भास्कर वाली दिशा की लेखनी याद आ गई मेरी शुभकामनाएँ
ओ पी मिश्रा,वरिष्ठ पुरातत्व वेदत्ता,सलाहकार पर्यटन विभाग ,मध्यप्रदेश
मिश्रा जी ब्लाग परिवार में आपका स्वागत है आपने पठनयोग्य कह दिया आलेख को तो मन संतुष्ट हो गया इस बात से कि दिशा की दिशा एकदम सही है बहुत धन्यवाद
दिशा. वाकई मे सही व उपयोगी जानकारी दी है
भावना तुम्हारा रोड डायरीज़ परिवार में स्वागत है ,तुमने दिल से प्रतिक्रिया लिखी है तुमने इसलिए दिल को भाई है धन्यवाद,जय श्री भीमाशंकर
ऐसे वक़्त जब नोट तक जड़ हो गये और चलने की हैसियत खो बैठे,आप चल रही हैं दिशाजी क़ाबिले तारीफ़ है…
भीमाशंकर की वादियों में मनोरम दृष्यविन्यास क्रम मानवविकास के दस्तावेज़ीकरण जैसे टंके हुए से नज़र आते हैं…रालेगणसिद्धि को संज्ञा रूप यहीं के जीवनसंस्कारों संग मिला…प्रकृति का रौद्ररूप पिछले वर्ष यहीं क़रीब एक गॉंव के सर से गुज़र गया था…..इस यात्रा वृतांत में बहुत कुछ ऐसा भी है अनकहा जो सुनने लायक है..बहुत कुछ ऐसा भी है अनलिखा जो पढ़ने लायक है… भीमाशंकर तक पहुँचने के लिए सीढीयॉं उतरते मलिनमन शिवमना हो उस अदृष्य शक्ति के समक्ष नत होता है जहॉं पग पग उतरते कुछ और ऊपर उठने का संताष मिलता है…रोडडायरी पढ़ते पढ़ते यात्रा को जीना अप्रतिम अनुभव है…सुन्दर भाषा और सहज प्रवाह सुखद है…कृपया सुन्दर सिलसिला बनाए रखें…
पद्म विलम्ब से लिखा लेकिन लिखा बहुत अच्छा,सधा हुआ,सफ़रनामे का करिश्मा ही एेसा होता है कि मोड़ दर मोड़ आप नये परिवेश से जुड़ते जाते हैं मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं सब कुछ समेट लूँ तुम्हें लगता है कि मैं यह कार्य कर पा रही हूँ तो मुझे बेहद तसल्ली हुई इसी तरह साथ देते रहना,धन्यवाद
Adbhut warnan….Mazaa aa gaya padhkar……Kathin hindi ki wajah se kuch shabdon ka matlab Samajh nahin aaya……bahut badhiya Disha Aage badhte chalo…darshan karwate chalo..
सपना तुम्हें ब्लाग पसंद आया जानकर प्रसन्नता हुई,हिन्दी के जो शब्द कठिन लगे उन्हें साझा करो आगे भी हम सब मिलकर ज्योतिर्लिंगों की यात्रा और दर्शन का लाभ लेते रहेंगे भविष्य में भी इसी तरह जुड़कर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराते रहना।
दिशा तुमने तो मुझे साक्षात् दर्शन करा दिए श्री भीमाशंकर जी के,अव्वल दर्जे का वर्णन ,पहले से ज़्यादा तराशा हुआ ,प्रकृति का सुन्दर चित्रण,खिल्लारी बैल,बार वाली चर्चा,वहाँ के पुजारियों से जो जानकारी हासिल की,शनि मंदिर डाकिनी-शाकिनी का उल्लेख सब कुछ अद्वितीय लगा ।१७ वें गणेश प्रधान क्षेत्र के दर्शन कराने के लिए भी तुम्हें बहुत धन्यवाद और आशीर्वाद
पण्डित आनंद शंकर व्यास
ज्योर्तिविद्,पंचांगकर्ता ,उज्जैन
अनेकानेक धन्यवाद,पण्डित जी,ये आपके आर्शीवाद और सदाशिव की भक्ति का परिणाम है।पिछली बार आपने प्रकृति चित्रण करने के लिए कहा था इसलिए इस बार पूरी लगन के साथ किया है आपने पूरी तन्मयता से आलेख को पढ़ा और उतनी ही शिद्दत से लिखा क्या कहूँ शब्द नहीं हैं ……
दिशा…
बड़ा सराहनीय वर्णन एवं लेखन प्रस्तुति। इतना विस्तृत वर्णन तो हमें वहाँ जाकर भी नहीं मिलता । हम घर बैठे ही ज्योतिर्लिंगों की यात्रा कर रहे हैं।
धन्यवाद……
संगीता तुम सही लिख रही हो घर बैठे द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन संभव हो पा रहे हैं यह मुझे और कुछ और नयापन लाने की ऊर्जा देता है ह्रदय से धन्यवाद
अद्भुत भाषा और सुंदर विवरण के साथ ऐसा यात्रा वृतांत लिखना मुश्किल काम है, इतना वैविध्यपूर्ण लिखा जाना अब तकरीबन ख़त्म सा हो गया है। दिशा आपका ये प्रयास बेहद सराहनीय है। एक ही वृतांत में रास्ते की बातें, सामाजिक विन्यास, पहनावा, ख़ानदान और भक्ति के साथ जिस पुरातत्व को भी आप साध रहीं है वो तारीफ के क़ाबिल है। लेख की लंबाई खटकती है। इसे कैसे कम किया जा सकता है ये देखना होगा। बडी होटल के अलावा दूसरे ठहरने के स्थान के बारे में बताओगी तो और उपयोगी होगा। अगले यात्रा वृतांत का बेसब्री से इंतजार है।
बहुत सारा धन्यवाद,तुम्हें लेख अच्छा लगा यह जानकर मुझे संतुष्टि हुई,तुम लेख छोटा करने के पक्षधर हो और हम सब कुछ समेट लेने के हामी।कुछ करेंगे ज़रूर,असल में लिखते समय कोई पक्ष छूट न जाए यही चिन्ता रहती है ,जैसे भीमाशंकर जी पर लिख रही थी तो सोचा अब वेरूल पर कब लिखना हो गणेश जी भी लिख ही लें वे शिव परिवार का हिस्सा हैं उन पर अलग से लिखूँगी फिर यात्रा वृत्तान्त कहाँ से शुरू करूँगी ,पर सुझाव अच्छा है होटलोंवाला भी सही है इस पर अमल करेंगे ,आगे भी जुड़े रहना
आपने हमें अपने माध्यम से भगवान शिव के छठवें ज्योतिर्लिंग भीमाशकंर के दर्शन करवाये हैं,उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद। हर बार की तरह इस बार भी वर्णन बहुत ही अच्छा किया हैं ।ईश्वर इसी तरह आपकी सारी यात्रा सफल करे।
रिया तुम्हारी प्रतिक्रिया इस बार विलम्ब से आई पर उसमें मेरे ब्लाग की तारीफ देखकर अच्छा लगा तुम यात्राओं का ऐसे ही आनंद लेती रहो,पत्र लिखती रहो
Bahut hi achcha varnan kiya..bheema shankar jane ki ikchha ho rahi hai hum sabki..mauka mila to jarur jayenge..filhaal tumhare madhyam se ghar baithe baithe humne bhi ghum liya hai..
मृदुला जी,आपकी प्रतिक्रिया से यह लग रहा है कि आप धार्मिक प्रवृत्ति की हैं आप यदि आलेख पसंद कर रहीं हैं और शिवधामों की यात्रा करना चाह रहीं हैं तो मन में यह विश्वास हो गया कि हम ठीकठाक काम कर रहे हैं इसी तरह जुड़े रहिएगा
Wa disha hamesha ki tarah bahut hi sundar aur sajiv varnan kiya hai.
नीता गुजरात की धरती से तुम श्री भीमाशंकर जी के दर्शन और वर्णन से प्रभावित हुई हो यह जानकर बेहद ख़ुशी मिली धन्यवाद
Hello Diana Hi,
आप का सर्वप्रथम मै धन्यवाद देना चाहूँगा की आप दीर्घ कालीन मंदिरो को , सब के सामने और उन धार्मिक स्थलों का महत्व, सरल भाषा मे बता राहे हो।। ये बहुत अच्छी बात है कि आज कल की युवा पीढ़ी को अपने धर्म की पहचान हो और उसके प्रति अभिमान हो।
श्री .शशिकांत पुजारी
लक्ष विनायक गणपती मंदिर एल्लोरा।।।
आदरणीय पुजारी जी आपका प्रशंसा भरा पत्र मिला मेरी मेहनत सफल हो गई,आप गुणीजनों का स्नेह और आर्शीवाद मिलता रहे बस सारे उद्देश्य परिपूर्ण हो जाएँगे, धन्यवाद
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग यात्रा वृतांत का अद्भुत वर्णन किया है पढकर बहुत अच्छा लगा
कमल जी प्रतिक्रिया लिखकर तारीफ करने के लिए ह्रदय से आभार
Disha Ji aap ka Bhimashankar Jyotirlinga par likha (BLOG) aalekh vaastava mai asmarniya hai. Aap ki vishesh lekhni ne Bhagwaan Bhimashankar ke vistaar poorvak vivran mai char chand laga diye. Sab se prashansniya baat ye hai ki aap ne sadak yaatra ka itna sajeev citran kiya hai ki padte waqhat aisa lag raha tha ki har chitra aankh ke samne se gujar raha hai. Aaj ke daur mai jaha hinglish ka jamana hai aise samay mai aisi lekni padte waqhat aaschraya bhi hota hai, par dil aur dimaag Jo santusti pradan karti hai wo akalpniya hai. Jab bhi kabhi bhagwan shankar ne bulaya tau yakinan mujhe darshan karney mai aap ka alekh jaroor yaad ayega jo Bhimashankar Bhagwan ke itihaas say paripurna hai. Aap ko ek baar phir badhai aur shubkamna ye sab aashirwaad sahit hai. Agle alekh ka intzaar rhehaga.
अनिल जी, ब्लाग की प्रशंसा करने और उसकी ब्योरेवार सकारात्मक विवेचना करने के लिए ह्रदय से धन्यवाद,आप श्री भीमाशंकर जी की यात्रा करें स्वार्गिक सुख की अनुभूति का आनंद लें अवश्य,बल्कि महाराष्ट्र के सभी ज्योर्तिलिंगों के दर्शन कर आइये
आप का अगला नया ब्लाग भगवान भीमाशंकर पर पढ़कर मन अति प्रसन्न हुआ और उससे भी अधिक प्रसन्नता उस पर अपनी प्रतिक्रिया लिखते समय हो रही है क्योंकि क्योंकि प्रतिक्रिया लिखना तकनीकी रूप से बड़ा कठिन होता है ख़ास करके हम जैसे लोगों के जिनको कि इस तकनीक का कखग भी नहीँ पता ।परन्तु फिर भी आपका भगवान भीमा शंकर जो कि ज्योर्तिलिंग मे छठवे स्थान पर आते है के बारे बहुत सी ऐसी बातें पता चली जिनके बारे मे कम से कम मै तो पूरे विश्वास के साथ और बिना किसी संकोच के साथ कह सकता हूँ कि कम से कम मुझे तो भगवान भीमाशंकर के बारे मे बिल्कुल जानकारी नहीँ थी आपका ये आलेख पढ़कर आज मेरा ञान और बढ़ गया ।
वीरेन्द्र जी इतनी बाधाओं और तकनीकी विवशताओं के बावजूद भी आप जैसे पाठक ब्लाग के प्रति अपना लगाव बनाए रख पाते हैं ,प्रशंसा भी करते हैं यह प्रतिक्रियाएं ही तो मेरा
उत्साह बढ़ाती हैं अतिशय धन्यवाद
अद्भुत।
बहुत ही सुंदर वर्णन।
जय शिव।
प्रभात जी कानपुर से आपकी प्रतिक्रिया मिली धन्यवाद,श्री भीमाशंकर जी की कृपा हम सभी पर बनी रहे यही प्रार्थना है
Amazing.
Unexpectedly live.
May Lord Shiva bless you.
स्मृति जी आलेख की प्रशंसा के लिए ह्रदय से आभार
दिशा जी,आपके आलेख की प्रस्तावना ही इतनी प्रभावित करती है कि पूरा लेख पढ़ने का मन करता है मैंने दो बार पढ़ा ,आपकी भाषा,विस्तृत वर्णन,गहराई से विषय में उतरने की उत्कंठा प्रभावित करती है मैं श्री सोमनाथ जी से प्रार्थना करता हूँ कि वे सदैव आपके कारज सिद्ध करें जय श्री सोमनाथ ?
पूरब त्रिवेदी श्री सोमनाथ मंदिर,गुजरात
जय श्री सोमनाथ?बहुत-बहुत धन्यवाद,आप सभी की प्रतिक्रियाएँ ही तो मेरा मनोबल बढ़ाती हैं,आपसे अनुरोध है कि एेसे ही जुड़े रहिएगा
दिशा जी आपकी लेखनी का तो मैं आपनी आकाशवाणी की नौकरी के समय से ही प्रशंसक रहा हूं .मुझे बेहद प्रसन्नता है की आप साहित्य और लेखन से.सतत जुड़ी हुई है .आपका लेख पढ़ा बेहद सार्थक और जानकारी से भरपूर है
बधाई
राजन जी ,इतने वर्षों बाद आपका पत्र पाकर आनंद आ गया आकाशवाणी के सुनहरे रचनात्मक दिनों की यादें ताज़ा हो गईं बहुत -बहुत धन्यवाद,रचना की प्रशंसा के लिए ,एेसे ही जुड़े रहिएगा
Very nice information Disha!!!waiting for more such blogs….
प्रीती,मन प्रसन्न हो गया ,द रोड डायरीज़ परिवार में आपका स्वागत है ,ह्रदय से अभिनंदन
Aapka Lakhani hua blog bhi padha har jotirlingoki tarah bhimashankar jotirligka varnan bhi bahot sundar kiya hai aapne
गौरव जी ,श्री त्र्यंबकेश्वर जी के दिव्य धाम से आर्शीवाद स्वरूप आपके प्रशंसा भरे पत्र के लिए धन्यवाद?
दिशा जी आपकी भाषा की प्रांजलता,शिव की भव्यता, नौवारी साडिया,रास्तों की महक, बैलगाडियों की रुनझुन के बीच…शिव की आध्यात्मिकता की तलाश, आप जैसे बिरले ही निवर्हण कर सकते हैं। साधुवाद। खूब लिक्खाड़ हैं आप।
अमित जी देश की राजधानी से प्रतिक्रिया भेज कर आपने पत्रकारिता के पुराने दिनों की यादें ताज़ा करा दीं ,बहुत धन्यवाद,ऐसे ही जुड़े रहिए
Bhagwan shiv ki Kripa se aaserbad se he aase yatra ko aap logo tak pahucha PA rahi he bhagwan shiv sab par Kirpa kare
देवेन्द्र दुबे
देवेन्द्र जी “द रोड डायरीज़ ” परिवार में आपका स्वागत है अतिशय धन्यवाद,प्रतिक्रिया लिखने के लिए ,शिव जी की कृपा से ही तो यह सब संभव हो पा रहा है