द्वादश ज्योतिर्लिंगों के परिगणन में शीर्षस्थ क्रम श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
आध्यात्मिक यात्रा के आठवें पड़ाव हेतु, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के परिगणन में शीर्षस्थ क्रम में प्रतिष्ठित श्री सोमनाथ आदि ज्योतिर्लिंग की दर्शनाभिलाषा लिए हमने गुजरात के शाश्वत संस्कृति तीर्थ सौराष्ट्र के दिव्य प्रभास क्षेत्र में सर्वदुःखप्रमोष, सदाशिव के शरणागत् होने का मानस बनाया। भोपाल से राजकोट तक की लगभग 800 कि.मी. का यात्रा (SH-18/NH-47) राजमार्गों पर 13 घण्टे की समयावधि में सम्पन्न होनी थी, इसलिए यात्रा का प्रारम्भ अल सुबह ही हो गया।
यात्रा की शुरुआत, माही नदी का विस्तार और अनास नदी अपनी सहायिका मोड के साथ
ग्रीष्म ऋतु में प्रखर भानु की तापक दृष्टि का प्रभाव बहुत जल्दी दिखायी देने लगा था। मालवा पठार के हृदय में बसे उज्जैन से निकले तो झाबुआ जिले के चौगिर्द विस्तारित आदिवासी अंचल की बेढब आकृतियों वाली शैलमालाओं ने ध्यानाकर्षित किया। सिंगल लेन वाला यह मार्ग कभी समानान्तर तो कभी वर्तुलाकार हो जाता, बीच-बीच में भील समुदाय की पर्णकुटीरों और उनसे झांकती आडम्बर रहित आदिवासी जीवनशैली वाली दृश्यावलियों को समीप से देख पाने का प्रक्रम सतत् जारी रहा। घुटन्ना धोती, कुर्ता और सिर पर फेंटा बांधे प्रकृति पुत्रों, भीलौंडी लंहगा, पोलका और ओढ़ना धारी स्थाई श्रृंगार गोदने से सजी-संवरी युवतियों के चेहरे भगवान भास्कर की झुलसा देने वाली किरणों में भी खिले-खिले से नजर आ रहे थे। आगे दाहोद में विन्ध्याचल पर्वत श्रृंगों से उत्तपन्न माही नदी की विस्तारता और अनास नदी अपनी सहायिका मोड के साथ दिखाई दी। आप को बताते चलें कि यहां पवित्र नदी माही नौ नाथ और चौरासी सिद्ध क्षेत्रों वाली चारों युग की देवी के रूप में पूजी जाती हैं ।
आपका ब्लॉग पढ़ने की कोशिश करता…और वो सिर्फ कोशिश ही रह जाती है दरअसल आपकी हिंदी मैं पढ़ ही नहीं पता हूँ…कुछ वाक्य ऐसे होते है की किसी शब्द का अर्थ अपने आप समझ आ जाता है और कुछ शब्द तो ऐसे होते है की वह वाक्य पढ़ने के बाद भी उस शब्द का अर्थ नहीं समझ आता है जैसे की
सर्वदुःखप्रमोष
पर्णकुटीरों
घुमन्तु
गत्यात्मकता
चित्ताकर्षक
अनवरत्
चाक चौबंद
उन्दियूं
अतर्क्य
ज्ञानपिपासा
बदस्तूर
आधिक्य
दैदीप्यमान
विद्यावाचस्पति
वयोवृद्ध
सहृदयी
स्थावर
जडंगम
परप्रकाशी
नामाभिधान
निष्प्रभ
अक्षुण्णता
घनीभूत
व्युत्तपत्ति
भक्तवत्सल
देहावशेष
स्थिरप्रज्ञ
भावोद्रेक
सरीसर्प
प्रकाण्ड
आनन्दघन
महात्म्य
मेरे लिए तो इस तरीके के शब्द ब्लॉग पढ़ने में बड़ी बाधा उत्पन्न करते है 🙁
पर जितना समझ में आता है उसी से आनंद ले लेता हूँ
डाॅ. जयप्रकाश नारायण द्विवेदी जी की बातें बड़ी अच्छी लगी
विपिन तुमने अपनी प्रतिक्रिया में लेख की तारीफ तो की पर हिन्दी का पुछल्ला भी साथ में जोड़ दिया तुम शब्दकोश की सहायता से यह काम कर सकते थे ,अब तो गूगल भी यह काम आसान कर देता है मार्ग तो हमें खोजने होंगे ,ईश्वर से हम प्रार्थना करते हैं कुछ फलीभूत होती हैं कुछ नहीं तो क्या हम याचना करना छोड़ देते हैं हमारी मातृभाषा की जटिलताएँ अगर हम समझ नहीं पा रहे तो इसका मतलब यह तो नहीं कि हम ब्लाग को ही दरकिनार कर दें और हिन्दी को कोसने लगें ,हम ये क्यों नहीं जानें कि मूल भाषा हमें क्यों इतनी जटिल लग रही है तो जैसे गूगल सर्च में जाकर और चीज़ें ढूँढते हो ठीक उसी तरह अपनी जड़ों को टटोलो ,मातृभाषा से अलगाव कैसा ,हम अंग्रेज़ी के शब्द तो खोजने में संकोच नहीं करते पर हिन्दी को कष्टकारी बताने में गौरवान्वित महसूस करते हैं ,हिन्दी को समझो इसमें तुम्हारा दोष नहीं ,व्यवस्था का दोष है जिसने तुम्हें यह लिखने को विवश किया है तुम्हारे हिन्दी के गुरू जी ने भी तुम्हारी हिन्दी के प्रति अरूचि को सुधारने की कोशिशें नहीं कीं,अब पहले इनके मतलब देखो फिर भी समझ न पाओ तो हमसे पूछो अपनी मातृभाषा के प्रति सम्पूर्ण समर्पण भाव लाओ ,आशीष ।
Jay Dwarkadhis Disaji Aapka khub dhanyavad ki aap Bhopal mein bethkar Bhagwan Shri Krishna ke dham mokshpuri Dwarka se logon ko vakif karane ka aur vo bhi itne spashtrup se sari jankariya pohchane ka jo tarika aur jo bida aapne uthaya hain usme Bhagwan aapki khub sahayta karein aur jyada se jyada log aapke is sewabhav ka fayda utha Sake aisi subhkamna,dhanyavaad aur aashirwad.Jay Dwarkadhis
Panditji Amar Jitendra Upadhyay
प्रणाम पंडित जी ,जो कुछ हम लिख पाये वह सदाशिव और द्वारिकाधीश जी की कृपा के बिना कहाँ संभव था आप सभी गुणीजनों का मिलना और ज्ञान साझा करना यह संयोग एेसे ही नहीं बना ,ये सिर्फ़ ईश्वर की इच्छा से ही तो फलीभूत हो पाया ,हम तो निमित्त मात्र हैं वह जो चाह रहा है हम कर रहे हैं ,बहुत धन्यवाद
छोटी छोटी जानकारियों वाला आपका यह आलेख भी बहुत अच्छा है श्री नागेश्वर जी की आप पर कृपा बनी रहे और आप एेसे ही लिखते रहो ,मैं भी अभी होके आया हूँ पर इतनी जानकारी तो मुझे भी नहीं थी,आपके अगले लेख की प्रतीक्षा में-
दर्शन पाठक
दर्शन जी ,आपको ब्लाग की जानकारियाँ सराहनीय लगीं और तब जबकि आप स्वयं इन पुण्य स्थानों की यात्रा करके लौटे हैं एेसी प्रतिक्रियाएं मुझे परम सुख देती हैं ।
Even though I am staying here in Gujarat, I didn’t know in this much depth about this two places….Thanks to dear DISHA for informing me and all about these places with so much depth even about surrounding environments…. Thank you and all the best for your next task…??
भावेश जी बहुत धन्यवाद,आपकी सभी पाठकों की प्रतिक्रियाएँ ही मेरा असल संबल हैं ,आपको पर्यावरण ,प्रकृति के वर्णन तथा सभी मंदिर परिसरों की ब्योरेवार जानकारी मनमाफिक लगी यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई ।
Nicely written
मनोज,बहुत धन्यवाद,
Disha ji, it was another wonderful jyotirling blog on Shri Somnath. Gripping and full of interesting info inter-weaved immaculately all through. I especially liked detailed sketch of Jaitapur, junagaḍh, the farms n fields of Saurashtra and even micro details about rajabhog at Dwarika. The divine description of Dwarika Dham impressed immensely. Was amazing to note the humility of people in Dwarika, there sense of helping each other and beautiful description of this trait using phrase like ‘aabkho mein pani hai’. And last but not the least information about Sharda Math and boat makers of Saurashtra. Great stuff! Hats off once again!!
O P Mishra,
Sr Archaeologist
मिश्रा सर,आपने ते बहुत ढूबकर आलेख पढ़ा है एकोएक पहलू को नज़रअंदाज़ किए बग़ैर आपने प्रतिक्रिया लिखी है मैंने आपसे बहुत सीखा है और आप उसी की परिणिति आप ब्लाग में देख पा रहे हैं ,अतिशय धन्यवाद
सौराष्ट्रे सोमनाथम् च।
सजीव चित्रण में बहुआयामी शब्दों की गुथी माला में मॉ सरस्वती का साक्षात्कार
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
मिश्रा जी,नमस्कार,आपने अपने संक्षिप्त पत्र में ही वज़नदार बातें लिखकर ब्लाग की श्रेष्ठता जतला दी हम बेहद प्रसन्न हैं अतिशय धन्यवाद …
अद्भुत और अलौकिक स्थल का बहुत ही खूबसूरत वर्णन,,,,
संदीप,दिल से शुक्रिया
Adbhut lekhan parntu kathin shbdawali ka pryog
Jisko shive ki tarah or Somya saral shabdo me bhi vyakhya ki ja sakti hai
Content is too depth full nd knowledgeable
जीतेन्द्र जी आपने अपने दो पत्रों में आलेख की प्रशंसा भी की है और क्लिष्ट हिन्दी को सरल बनाने का निवेदन भी किया है ,मैं असमंजस में हूँ मैं अपनी शैली कैसे बदलूँ ,ये शब्द तो मुझे विरासत में मिले हैं मेरी माँ हिन्दी की विद्वान रहीं ,हिन्दी के प्रकाण्ड पंडित आचार्य नंददुलारे वाजपेयी का अंश हूँ मैं ,कुलमिलाकर हिन्दी का अंकुरण तो मेरे भीतर बहुत पहले हो गया था अब उस परंपरा को ही मुझे आगे बढ़ाना है यही मेरी जमा पूँजी है कृपया इसे बदलने को मत कहिए यूँ समझ लीजिए यह मेरी साधना का प्रतिफल है बहरहाल आपको लेख की सामग्री प्रशंसायोग्य लगी इससे मैं बहुत गदगद हूँ ।
‘द रोड डायरीज’ का यह अंक हमने पढ़ा बहुत अच्छा लगा, दिशा जी आपका यह लेखन कार्य अत्यन्त उत्कृष्ट एवं उत्तम है, इस ब्लॉग के द्वारा सोमनाथ एवं द्वारका दर्शन के लिए आने वाले सभी श्रद्धालु भक्तों को निश्चित ही सहायता प्राप्त होगी ।।
??जय द्वारिकाधीश जय सोमनाथ??
प्रकाश जी ,आपको पहले तो धन्यवाद आप जो वेदज्ञान और नैतिक मूल्य की दीक्षा छोटे छोटे बालकों को दे रहे हैं वह अनूठा कार्य है हम तो बस …..हमारी यात्राओं से अधिक से अधिक भक्तगण लाभान्वित हों यही हमारा परम उद्देश्य भी है ।
बहन जी आपका ब्लाग बहुत अच्छा है,मैं तो गुजरात में रहता हूँ पर फिर भी बहुत सी बातों से अनजान था,आपके शब्दों का चयन इतना बढ़िया है कि मैंने नोट कर लिए हैं जैसे तापक,पीतवर्णी सुरभित बहारें ,लुब्धकारी ,मेरे पास शब्द ही नहीं हैं बहन जी ,आप कविता की तरह लिखते हो वो मेरे को बहुत अच्छा लगता है आपने द्वारिकाधीश मंदिर के राजभोग के बारे में लिखा है वो तो विश्वास कीजिए मैं कितनी बार दर्शन करके आया हूँ पर मेरी जानकारी में नहीं था न ही मुझे दिन के हिसाब से भगवान के परिधान पहनाने की जानकारी थी ये जो आप काम कर रही हैं न बहन जी सबके सामने इतिहास संस्कृति और धर्म को जोड़कर लाने का यह बहुत ही अच्छा है जय द्वारकाधीश ,जय सोमनाथ
राम जी ,आपको मेरा ब्लाग दिलचस्प लगा यह जानकर बहुत ही अच्छा लगा ,आप गुजराती के शिक्षक हैं और हिन्दी के शब्दों में इतनी रूचि लेते हैं धन्य हैं वे विधार्थी जो आपके सानिध्य में शिक्षा ग्रहण करते हैं ,मैं आपके किसी भी विषय में गहराई से पैठने की अभिरुचि से भी बहुत प्रभावित हूँ आपके सहयोग के लिए मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ ।
अति सुन्दर,आपकी लेखनी बहुत ही सधी हुई है,आप विनम्रता के साथ सभी मतों को परामर्श कर सम्मिलित करती हैं वह लेख को उच्चस्तरीय बनाता है,खाधान्न परिधान,संस्कृति सभी पहलुओं को समेटना यह सही मायने में रोड डायरीज़ है । इसमें गध भी है पध भी है ललित निबंध की तरह आपका वर्णन सुंदर है,आप विद्वानों के ज्ञान को सभी के लिए सुलभ करने का अति उत्तम कार्य कर रही हैं ,जय श्री त्र्यम्बकेश्वर ?
प्रणाम ,आप मेरे लेखन में गध और पध दोनों का सम्मिश्रण देख पा रहे हैं ,मुझे बहुत प्रसन्नता हुई यह जानकर ,ये भी अच्छा लगा कि आप स्वयं विद्वान ज्योतिषाचार्य हैं और मेरे लेख में प्रदत्त सामग्री उच्चस्तरीय व पठन योग्य पाते हैं।बहुत धन्यवाद
प्रीती कोटक,गुजरात
दिशा तू ये कहाँ कहाँ से ढूँढ कर लाई हम तो गुजरात में रहकर ये मालूम नहीं कर सके ,बहुत ही अच्छा,ज़बरदस्त पूजा वग़ैरह के बारे में विस्तार से जानकारी मिली ,आगे भी लिखती रहना एेसे ही शुभकामना?
प्रीती,गुजरात की धरती का ये असर है तुम्हें लेख अच्छा लगा यह जानकर मुझे बेहद तसल्ली हुई ,जय श्री कृष्णा
Hindi ki sadhna
Hindi ki puja
Hindi .ki…………………………………………….
Or shabd nhi he mere pas
दीपक जी ,ह्रदय से आभार ,आपको ब्लाग में मेरी हिन्दी साधना ने प्रभावित किया इससे बड़ी बात मेरे लिए और क्या होगी हम सभी को हिन्दी प्रवाह को अधिकाधिक प्रयोग द्वारा जिलाये रखना है ।
क्या लिखें हम आपकी प्रतिभा पर हर एक ब्लॉग की तरह ये ब्लॉग भी उतना ही सुंदर था। आपकी भाषा,इतिहास, भूगोल, भूशास्र इत्यादी विषयों की गति देखकर अचंभित रह जाते है।ये सब पढकर एक बार आपके साथ कोई तीर्थक्षेत्र देखने का मन हो रहा है।
अभिनव जी ,आप जैसे भूगर्भ और भूगोल शास्त्रियों से ही पूछकर आलेख को सुरूचिसम्पन्न बना लेते हैं आलेख की तारीफ करने के लिए बहुत धन्यवाद
मैडम जी आपने खूब ही अच्छा लिखा,आपने तो पूरी की पूरी जानकारी लिख दी है ,हमारे गुरूजी से आपने बात की ,उनको पढ़कर हमको बहुत ख़ुशी हुई।
पी कौशिक बाग ,गुजरात
दिशा जी रोड डायरीज के आठवें पड़ाव में आप ने हमें शीर्ष क्रम के ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ की यात्रा करवाई. धन्यवाद .यात्रा के मध्य आई प्रत्येक छोटी से छोटी घटनाओं को भी आपने अपने लेख में विस्तार से बताया. ज्योतिर्लिंग का दर्शन तो आपने साक्षात रूप से करवा दिया है इसके लिए आपको कोटिशः धन्यवाद. आपकी कवितामयी लेखनी से तो बस ईर्ष्या ही की जा सकती है .
प्रसन्न रहें इसी तरह अन्य जानकारी देती रहें .
शेष शुभ
चित्रेंद्र स्वरूप राजन
राजन सर ,आप ही से तो काव्यात्मक लेखन सीखा है अगर हम रेडियो के फ़ीचर लेखन से नहीं जुड़े होते वह भी आपके साथ तो कहाँ से ये शब्द उपजते और कहाँ से कवितामयी ललित निबंध की झलक आती ,अतिशय धन्यवाद
पी कौशिक जी,आपको बहुत धन्यवाद,आपके गुरू जी से मिलकर बहुत सारी जानकारियाँ मिलीं ,आप बहुत सौभाग्यशाली हैं जो आपको उनकी गरुमामयी छत्रछाया में कुछ सीखने का मौक़ा मिला।
अति सुंदर तरीके से वर्णन किया गया आपका ब्लाग पढ़ा , बहुत वर्षो पश्चात् इतनी सुंदर हिंदी पढने में आयी। एेसे ही लिखती रहो। रोली कंचन ,बड़ौदा गुजरात
रोली जी ह्रदय से धन्यवाद,सही मायने में हिन्दी की सेवा करने का अवसर तो अब मिला है इतने दिनों तक पत्रकारिता में प्रचलित शब्दों को ही प्रयोग में लाते रहे,आप तो स्वयं हिन्दी के प्रकाण्ड पंडित की पुत्री हैं मेरा मर्म आप बेहतर समझ पायेगीं ।
दिशा जी आपके द्वारा लिखा गया श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में पढकर बहुत ही अच्छा लगा साथ ही साथ अपने श्री द्वारकाधीश मंदिर के बारे में भी बताया और वह पर स्थित मंदिरों की जानकारी दी आपकी अगली लेखनी का इंतजार रहेगा
जय द्वारिकाधीश जय सोमनाथ
कमल जी बहुत धन्यवाद,आपने मेरी लेखनी को काबिलेतारीफ समझा।
पहले ब्लॉग की तरह ये ब्लॉग भी बहुत ही सुंदर है श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जो १२ ज्योतिर्लिंग में से एक है वहा की सांस्कृति के बारे में बताया, साथ ही साथ अपने भगवन विष्णु जी के अंशावतार श्री कृष्ण जी का विवरण भी बहुत ही सुन्दर किया गया है और समुद्र के समीप स्थित श्री द्वारकाधीश की नगरी ,रूक्मिणी देवी मंदिर, का भी अदभुद वर्णन किया है श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग , और वह पे स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन ,और उनके इतिहास के बारे में आपने हमे आपनी लेखनी के द्वारा बताया आपके अगले ब्लॉग का इंतजार रहेगा जय श्री सोमनाथ
अंकिता ,प्यार भरा धन्यवाद,तुम ख़ुद बहुत अच्छे से समझकर विचारकर पत्र लिखती हो इस उम्र में तुम्हारा आध्यात्म के प्रति झुकाव मुझे बहुत भाता है।तुम एेसे ही ब्लाग से जुड़े रहना और अपनी हमउम्र युवतियों को भी इससे जोड़ने का प्रयत्न करती रहना।
बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है
जय , ढेर सारा धन्यवाद
दिशा बधाई शानदार प्रयास है
विनय,शानदार धन्यवाद
Disha you are excellent! Your article refreshed my memories when I was in Baroda and visited Somnath thrice. You are excellent and your Somnath blog thrilled my mother! Enjoyed it so much! Thanks so much!
Sameer sakalley
समीर,तुम्हारे गुजरात प्रवास को पुन:स्मरण कराने और माँ द्वारा आलेख को पसंद करने वाली बात दिल को छू गई ,बहुत धन्यवाद
Aapke dwara bhagwan somnath ke yatra or etihas ka satriye barnan padne se bahut aachhe jankariya prapt huee jo sayad kam log he jante he bhagwan somnath sab par krapa Kare or aapko aage bhe ase subh karye karne ke sadbudhe or sakti pradan kare
पंडित जी ,प्रणाम,आपको बहुत धन्यवाद,आप सभी पाठकगण ब्लाग पर जाकर उसे बाँच लेते हैं यही बात मेरे लिए महत्वपूर्ण है और फिर प्रतिक्रिया भी लिखने का समय निकाल पाते हैं जो और गहरे असर डालती है।
दिशा, अतिसुन्दर यात्रा वृत्तातं। इनमें से तीन ज्योतिर्लिंग दर्शन करना है इस वर्ष मुझे।
रितेश पटेल
रीतेश तुमने ब्लाग की तारीफ की शुक्रिया ,बिलकुल ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करो और द रोड डायरीज़ तुम्हारी यात्राओं में कितनी मददगार साबित हुई हमारे साथ अपने अनुभव भी साझा करो
Disha great work, so many minor details are captured so beutifully and Hindi, वाह क्या बात है, मैंने तो कल्पना भी नहीं की थी कि कोई इतना प्रभावशाली लिख सकता है। ??
गिरिराज उत्तरवार
गिरिराज बहुत धन्यवाद,तुमने मेरी लेखनी को सराहा और हिन्दी की प्रशंसा की
जानकारी से परिपूर्ण ,विस्तृत,परंपरा परिवेश पुरातत्व और संस्कृत के प्रकाण्ड मनीषियों के ज्ञान का सम्मिलित प्रस्तुतीकरण ,उच्चस्तरीय यात्रा वर्णन,इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाना चाहिए ,मुझे तो गिर की गाय,कांकरेजी बैल,सोमनाथ और प्रभास क्षेत्र का विवरण,द्वारका में ध्वजारोहण पढ़कर बहुत सी बातें स्मरण हो आईं मुझे भी सौभाग्य से शंकराचार्य जी के मठ में रहने का सौभाग्य मिला था वहाँ के शोध केन्द्र में उच्चकोटि के धार्मिक विषयक शोधकार्य हो रहे हैं ,शोधपत्रों का समय- समय पर प्रकाशन भी होता रहता है ,तुम्हारा शोधपूर्ण आलेख धर्म और आस्था के संबंध में नयी जानकारियाँ देता है साथ ही दिव्य स्थानों के विधि विधानों से भी परिचित कराता है एेसे ही लिखती रहो हमारा आशीष तुम्हारे साथ है।
पण्डित आनंद शंकर व्यास ,उज्जैन
प्रणाम पंडित जी,आपने लेख की सराहना कर दी यही मेरे लिए महत्वपूर्ण है,किताब के रुप में प्रकाशित कराने का मन तो है ,आगे हरि इच्छा ..आपको सूक्ष्म से सूक्ष्मतर पक्षों ने प्रभावित किया है यह जानकर परम संतुष्टि हुई।
समयाभाव के कारण विलम्ब से इस अंक को देख् पाया। भगवान भालचंद्र के स्वरुप सोमनाथ और द्वारकाधीश का अलौकिक दर्शन लाभ प्राप्त हुआ। प्रभास क्षेत्र की इस यात्रा में अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुई। इन यात्रा वृतान्तों को लोगो को उपलब्ध कराकर आप बहुत ही पुण्य का कार्य कर रही है। भगवान शिव हमेशा आपको प्रेरित करते रहे।
त्रिपाठी जी ,आपकी बनारस से आई पाती ने मन ख़ुश कर दिया आपको ब्लाग स्तरीय लगा और सामग्री आला दर्जे की यह जानकर असीम आनंद आया आपकी स्नेह से पगी प्रतिक्रिया आगे भी मिलती रहे यही अपेक्षा है
अति सुंदर, यात्रा वृतांत..
तुम्हारे लेख से बहुत सी नई जानकारियां मिलती हैं । ऐसे ही आगे भी लिखते रहना।
संगीता बहुत धन्यवाद,हम को सभी का स्नेह एेसे ही मिलता रहा तो फिर सफ़र जारी रखेंगे
आपका आलेख धर्म और आस्था के संबंध में नई जानकारियां देता है। प्रभास क्षेत्र की इस यात्रा के वर्णन में अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुई। अद्भुत और अलौकिक स्थल का बहुत ही सुंदर वर्णन…………
प्रदीप जी ,आध्यात्मिक यात्रा में हमारे साथ यूँ ही बने रहिएेगा अभी तो लम्बा सफ़र तय करना है ,ब्लाग में प्रभास क्षेत्र के वर्णन ने आपको प्रभावित किया है यह जानकर बहुत अच्छा लगा
Heads off & speechless after reading “theroaddiaries” ?
Vivek Mahajan ,Indore
विवेक,तुम्हें ब्लाग अच्छा लगा और तुमने प्रतिक्रिया लिखी बहुत धन्यवाद
हर बार की तरह बहुत हीसुन्दर और उत्कृष्ट प्रस्तुति ।भाषा इतनी सुन्दर और सटीक है कि पढ कर साक्षात् दर्शन का आभास होता है ।आपने दिव्य धाम की सूक्ष्म जानकारियां दीं, कृष्णजी का मनमोहक वर्णन, द्वारिकाधीश नगरी, शारदा मठ, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तीर्थ धाम स्थलों का दर्शन और उनके इतिहास के बारे में बताया । आपकी लेखनी को नमन और अगली लेखनी का इंतजार ।यह हम लोगों का सौभाग्य है कि आपके माध्यम से हम सब को भी दर्शन हो जाते हैं ।धन्यवाद दीदी और बहुत शुभ कामनाएं अगले दिव्य धाम की यात्रा के लिए ।
शिल्पा ,स्नेहमयी धन्यवाद,तुम सात समंदर पार बैठकर साक्षात् दर्शन लाभ ले पा रही हो ,भगवान द्वारिकाधीश की नगरी का भ्रमण कर पा रही हो यही मुझे संतुष्टि देता है।
Bahut khub disha. Har bloxk ki tarah isme bhi chhoti chhoti bato ka baut dhyan rakhakar vatnan kiya hai.
नीता ,सस्नेह धन्यवाद,तम्हें मेरे लेखन कर्म ने प्रभावित किया यह जानकर ख़ुशी मिली
सर्वोत्तम् सुंदरम् ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ एवं परम् धाम द्वारिकाधीश दोनो का महात्म्य एक साथ पढ़के कृतार्थ महसूस कर रहे हैं
आभार एवं जन्मदिन की शुभकामनाएं
निशान्त,बहुत धन्यवाद,तुम्हें यात्रा वृत्तान्त विशेष रूचिकर लग रहा है यह जानकर अच्छा लगा
लाजवाब तुम्हारी लेखनी में बहुत दम है।द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा वृत्तातं पढ़कर सीना ५६”का हो गया।
बहुत बहुत साधुवाद”दिशा”….??
प्रेमशंकर पाण्डेय
प्रेमशंकर,बहुत धन्यवाद,मेरी लेखनी से आप इतना गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं यह जानकर प्रसन्नता हुई
भगवान शिव के दिव्य धाम सोमनाथ एवं द्वारका तीर्थ आपके द्वारा वर्णित असाधारण यात्रा वृतांत है ! जिसे पढ़कर हमारे अंदर एक सकारात्मक परिवर्तन संभव हो रहा है ! वह राग द्वेष आदि विकारों से मुक्त करके हमें सद्गुणी बना रहा है ! और स्वयं के भीतर दिव्यात्मा का अनुभव करा रहा है ! आपके शब्द वाकई एक महिमा हैं ! एक सौंदर्य हैं ! एक संगीत हैं ! इनके द्वारा हमारे भीतर दिव्य सपने जाग रहे हैं ! हमारे भीतर एक अभीप्सा उठ रही है ! हमारे भीतर छिपा हुआ अंकुर प्रफुल्लित होे रहा है ! और हम शिवमय हो रहेे हैं ! देवों के देव महादेव शिव ही सत्य है, शिव ही सुंदर हैं ! इस यात्रा- वृतांत को पढकर मुझे बहुत ही आनंद का अनुभव हो रहा है !
साथ ही आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि आपके द्वारा लिखित वृतांत हमारे लिए स्वयं शिव का आशीर्वाद है ! आगे की यात्रा वृतांत के लिए प्रतीक्षारत !!
महेश,तुमको बहुत धन्यवाद ,मैं तुम्हारी हिन्दी से प्रभावित हूँ तुम तो नए ज़माने का प्रतिनिधित्व करते हो पर हिन्दी की महिमा समझते हो यह मुझे बहुत सुहाता है।
आपका आलेख बहुत सारी नयी जानकारियाँ लिए हुए है,पारदर्शियां भी बहुत प्रभावशाली हैं ,मैंने अपने परिजनों और मीडिया के कुछ लोगों को आपका ब्लाग पढ़ने को भेजा था उन्होंने भी आलेख की बहुत सराहना की है सोचा आपको अवगत करा दूँ।एेसे ही लिखते रहिए,श्री घृष्णेश्वर जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।
पण्डित संतोष पैठनकर
प्रणाम पंडित जी ,आपको ब्लाग में संकलित सामग्री बेहतर लगी यह जानना मेरे लिए सुखद था ,आपके परिजन और मित्रगणों को भी साधुवाद।
दिशा तुम्हारा आध्यात्मिक यात्रा वृत्तान्त पढ़कर तुम्हारी मम्मी की याद ज़्यादा आयी
क्योकि हिंदी तो उनकी सर्वश्रेष्ठ और उच्चस्तरीय थी,स्कूल के दिनों में तो तुम्हारी हिंदी इतनी दमदार नही थी ,पर वाक़ई मानना पड़ेगा कमाल का लिखा है। ब्लाग को पढ़कर धार्मिक स्थान पर जाने का मन कर रहा है अब देखो जल्दी ही नर्मदा यात्रा का कार्यक्रम बनाता हूँ ,तुम नर्मदा यात्रा पर भी लिखो तुम्हें इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तुम विस्तार के साथ पूरी जानकारियाँ जुटाकर लिखती हो जिससे यात्रियों को लाभ होगा।
विपिन अग्रवाल
विपिन बहुत धन्यवाद,मेरी माँ की हिन्दी की मैं बराबरी नहीं कर सकती वे तो संस्कृत अंग्रेज़ी डिंगल और प्राकृत में समान दक्षता रखती थीं ,हाँ जीन्स तो वही हैं इसलिए प्रभाव दिखाई देता है ,नर्मदा मैया की यात्रा करनी है पर पहले द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अपना संकल्प पूरा करना है।
आपकी लेखनी अति उत्तम है मेरे पास इतने अच्छे शब्द ही नहीं हैं जिनसे मैं आपको यह बता सकूँ कि आपने कितना बढ़िया वर्णन किया है ,इतने विस्तार से तथ्यों के साथ ,आपकी पत्रकारिता यहाँ काम आती है ,आप जिस तरह से पूछताछ कर के लिखती हैं वह यात्रा वृत्तान्त को और भी रोचक बना देता है,
?जय सोमनाथ?
पण्डित पूरब त्रिवेदी
पूरब जी ,आपने बहुत सहयोग किया है आलेख को लिखने में तो पहले तो आपको बहुत धन्यवाद,श्री सोमनाथ जी की कृपादृष्टि के कारण ही हम और आप यह पुण्य कार्य कर पाये,प्रभास क्षेत्र के महत्व के संबंध में पाठकों को बहुत सी जानकारियाँ उपलब्ध करा पाये ।
आज तक इतना अच्छा और जीवंत नही पढ़ा
सत्यनारायण दुबे
सत्यनारायण ,बहुत धन्यवाद
महादेव महादेव,आपने बहुत अच्छा लिखा ,हमने सभी पाण्डित्य कर्म से जुड़े अपने परिचितों को भी भेजा उन्होंने भी बहुत प्रशंसा की है ,आपने सभी मंदिर परिसरों का सविस्तार वर्णन किया है जो अद्भुत है।
पंडित जी,प्रणाम ,आभार ,आपने अपने मित्रों को भी ब्लाग भेजकर प्रसार में हमारी मदद की है आपको आलेख उच्चस्तरीय लगा ,एेसी प्रतिक्रिया ही मेरा मनोबल बढ़ाती है।
बिटिया तुम तो निष्ठावती और परम सौभाग्यवती ब्राम्हण कन्या हो तुम जो राष्ट्रीयता के प्रचार प्रसार का पुण्यकार्य कर रही हो उसमें मैं हमारी प्राचीन ऋषिकाओं गार्गी,मैत्रेयी,एेत्रेयी आदि की चिंतन पद्धति और सनातन पंरपरा के जयघोष की झलक देख पा रहा हूँ ,मैं तो तुम्हारी सतत् संशोधक वाली कार्यशैली से बहुत प्रभावित हूँ ,रहा सवाल हिन्दी का तो अपने भाषा प्रवाह से कभी समझौता नहीं करना ,हमारे गुरू जी पंडित विधानिवास मिश्र से जब विधार्थी कक्षा में क्लिष्ट हिन्दी को सरलीकृत किये जाने की अनुशंसा करते थे तो वे कहते थे मैं क्यों तुम लोगों के स्तर तक उतरूँ तुम्हें महान बनना है तो मेरे स्तर तक पहुँचो तो यह तुम्हारा हिन्दी भाषा के प्रति समर्पण भाव है न यह तुम्हारी तपस्या और साधना का प्रतिफल है ,इसे अक्षुण्ण बनाये रखना भी तुम्हारे अपने हाथ में है,एेसे समय में जब लोग हिन्दी से छिटक रहे हों तुम्हारा एेसा लिख पाना अभिनंदनीय है।
द्विवेदी जी ,प्रणाम ,मैं किन शब्दों में कृतज्ञता ज्ञापित करूँ समझ नहीं पा रही हूँ आप तो साक्षात् ज्ञान का विपुल भण्डार हैं ,आपने इतना समय मुझे दे दिया यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है ,मुझमें आपकी खुलकर हँसने वाली कला जिस दिन आ गई मैं अपने आपको धन्य मानूँगी ,कितना सहज और सरल व्यक्तित्व है आपका ,आपको हाल ही में सरकार की ओर से शोधपरकग्रन्थ लिखने का दायित्व भी सौंपा गया है यह समाचार जब मुझे मिला तो मन में हर्ष मिश्रित गर्व की अनुभूति हुई ,आपके अमूल्य सहयोग के बिना हम यह पुनीत कार्य नहीं कर पाते ,अतिशय धन्यवाद,आपको विश्वास दिलाती हूँ हिन्दी की सेवा का संकल्प यथावत रहेगा ।
आपने तो कमाल कर दिया ,इससे पहले सोमनाथ जी का एेसा वर्णन हमने नहीं पढ़ा था आपकी शैली में गाँव ,नदियाँ ,पहाड़ों का जो चित्रण होता है वह पढ़ने वाले को आलेख से जोड़ लेता है ,शास्त्री जी द्वारा वर्णित तीर्थ की व्याख्या भी दुर्लभ है ,ब्लाग के चित्र भी बोलते से लगते हैं ,शिव जी आप पर यूँ ही कृपा बनाए रखें और आप के माध्यम से हम सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों का दर्शन लाभ लेते रहें।
प्रणाम ,आपको चित्र सहित आलेख की सामग्री ने विशेष रूप से प्रभावित किया है यह जानकर बहुत संतोष हुआ।
आपका ब्लाग अतिउत्तम है,सोरठी सोमनाथ तीर्थ और प्रभास क्षेत्र का वर्णन पढ़कर बहुत सी नयी जानकारियाँ प्राप्त हुईं सभी दृष्टिकोणों से आपका ब्लाग बहुत पठनीय है।
प्रणाम ,आपको बहुत धन्यवाद ,श्री ओंकारेश्वर जी की इच्छा है इसीलिए यह संभव हो पा रहा है
दीदी प्रणाम.
आपके हर ब्लाक की तरह इसमें भी कई सारी जानकारियाँ मिली बहुत ही अच्छा लगा ।
आध्यात्मिक यात्रा के आठवें पड़ाव में ज्यौतिलिंग की वास्तविक गहराई 22फुट हे.मलेशियाँ की सालूड़ लकड़ी से
निर्मित नौकाओं की जानकारियाँ .भगवान श्री क्रष्ण की कुल आयु 125वर्ष 7माह 6दिन एवं 12फूट लम्बे थे श्री क्रष्ण का अन्तिम सस्कार अर्जुन के द्बारा किया गया. राज भोग ऋंगार.आरती लोरिया गाई जाती. एंव कई सारी जानकारियाँ प्राप्त हुई . आपमे जो कला हे अनमोल हे.मेरी शुभकामनाये
श्याम,तुमको भी धन्यवाद ,बहुत बारीकी से तुमने लेख को पढ़ा और फिर उतनी ही तन्मयता से पत्र भी लिखा है ।
सोमनाथ और द्वारका की यात्रा का इतना मनमोहक वर्णन पढ़कर आपके द्वारा विदित अन्य ज्योतिर्लिंगों की यात्रा के समान ही इस यात्रा वृतांत में भी अत्यंत आनंद प्राप्त हुआ | मैं स्वयं भी पूर्व में दो बार सोमनाथ और द्वारका की यात्रा कर चुका हूं | इस सजीव यात्रा वृतांत द्वारा मेरी उस यात्रा के जीवंत दृश्य मेरी आंखों के सामने आ गए और मैं अपने अवचेतन में एक बार फिर श्री सोमनाथ और द्वारका की यात्रा कर आया।
आप इतनी अच्छी ज्योतिर्लिंग यात्रा वर्णन के द्वारा हम सभी को लाभदायक जानकारियां प्रदान करती हैं, इसके लिए आपका धन्यवाद ।
अंकित मेरे आलेख से तुम अवचेतन में ही श्री सोमनाथ ,श्री द्वारकाधीश यात्राएें कर पाए यह जानकर बहुत अच्छा लगा ,तुम पहले भी दो बार इन पुण्य स्थानों की यात्रा का लाभ ले चुके हो और ब्लाग के ज़रिए पुन:उन्हीं स्मृतियों में पहुंच गए यह जानना भी मेरे लिए सुखद है ,तुम आगे भी खूब आध्यात्मिक यात्राएें करो और किन देवस्थानों पर ब्लाग में लिखा जाना चाहिए यह भी बताओ ,बहुत धन्यवाद
आपका लेखन बहुत प्रभावकारी है,आलेख ज्ञानवर्धक है,श्री सोमनाथ और श्री द्वारकाधीश दोनों के संबंध में आपने जो जानकारियाँ दी हैं वह बहुधा पढ़ने को नहीं मिलतीं भाषा क्लिष्ट है पर इस तरह के अव्वल दर्जे के लेख के लिए स्तरीय भाषा का प्रयोग ज़रूरी भी है ,लम्बा भी है पर विस्तार के बग़ैर सारी बातें समेटी भी नहीं जा सकतीं ,गाँवों ,खेत,नदियों पहाड़ियों ,साड़ियों ,जहाज़ों का जो शब्द चित्रण आपने किया है वह बहुत ही बढ़िया है मैं चार साल पहले गया था पर हमारे मार्ग में मालवा का भीली क्षेत्र नहीं आया था महाराष्ट्र के धूलिया से ही रास्ता कट जाता है ,आपने इतने अच्छे से रास्ते के बारे में लिखा है कि हमें लगा हम आपके साथ-साथ यात्रा कर रहे हैं आपकी जिव्हा पर साक्षात् सरस्वती का वास है भगवान घृष्णेश्वर की आप पर कृपा बनी रहे और आप इसी तरह हम सभी को देवस्थानों की यात्राएँ कराएँ।
प्रणाम पंडित जी ,आपका अतिशय धन्यवाद ,हम जो थोड़ा बहुत लिख पा रहे हैं वह सब आप सब के आशीषों का ही प्रतिफल है ,गुणीजनों के सहयोग से ही यह संभव हो पा रहा है आपको प्रकृति ,भूगोल, तीर्थ की महिमा पठनीय लगी यह मुझे संतुष्टि देता है आप सभी जो ब्लाग को पढ़कर प्रतिक्रिया लिखते हैं इससे मेरे लेखन में निखार आता है यह बदलाव तो आपने भी महसूस किया होगा।
दिशा जी ,माँ की अस्वस्थता के कारण पत्र लिखने में विलम्ब हो गया ,हर बार की तरह जानकारियाें से परिपूर्ण आलेख पढ़ा,आपकी लेखनी पहले से ज़्यादा परिष्कृत हुई है ,साप्ताहिक हिन्दुस्तान के रचनात्मक दिनों की यादें ताज़ा हो आयीं ,खूब घूमिए
और खूब लिखिए……इसी तरह ….
अमित जी बहुत धन्यवाद,सबसे पहले तो ईश्वर से माँ के स्वास्थ्य लाभ की कामना करती हूँ ,आपने फिर भी समय निकाला और पढ़कर प्रतिक्रिया भी लिख दी यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है आपको साप्ताहिक हिन्दुस्तान के दिन याद आ गए यह जानकर बेहद ख़ुशी हुई कितने रचनात्मक दिन थे …..
तुम्हारी यात्रा के साथ -साथ हमारे भी ज्योतिर्लिंग पूरे हो रहे हैं बाक़ी बचे भी पूरे हो जाएेंगे ,बहुत ही अच्छा वर्णन किया है,चित्र भी बहुत आकर्षक हैं ,प्रकृति दर्शन और तीर्थ स्थान की अलौकिकता का अद्भुत चित्रण पढ़कर मजा आ गया।
बहुत धन्यवाद,आप हमारे साथ बने रहिए हम सभी आध्यात्मिक सफ़र पर साथ निकले हैं द्वादश ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में अभी कई कड़ियाँ बाक़ी हैं,
बहुत सुंदर और ज्ञान परिपूर्ण । एक के बाद एक अध्याय के क्रम में यह भी अतिसुन्दर विवरण प्रस्तुत करता है। प्रसन्नता और जनकारियों से सरोवर । धन्यवाद
Amazing photos and description!truly incredible India!
ॐ नमः शिवाय
आप का नया रोड डायरी ब्लाग भगवान श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पर पढ़ने को मिला पढ़कर नई-नई जानकारी भी मिली और जिज्ञासा और भी प्रबल हो गयी | भगवान श्री सोमनाथ के साथ साथ वहां की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषतायें भी ज्ञात हुईं , तथा वहाँ के खान-पान ,बोली,वहां के लोगो की वेशभूषा का भी पता चला।
विशेष रूप से प्रभाष क्षेत्र की आध्यात्मिकता बहुत रोचक लगी जो भगवान श्री कृष्ण की कर्मभूमि भी रही है साथ ही यह जानकार अत्यंत आश्चर्य हुआ कि जैतपुरा की बनी हुयी साड़ियां बिहार से बंगाल तक भेजी जाती हैं | यहाँ के बुने हुये वस्त्र नाईजीरिया से लेकर कांगो तक उपयोग में लाये जाते हैं ये जानना भी मेरे लिए रूचिकर रहा,यही नहीं यहाँ की बनी हुई नौकायें व पानी के जहाज दुबई से लेकर अफ्रीका तक भेजे जाते हैं यह भी पहली बार जानकारी में आपके द्वारा ही लाया गया इन सब दुरूह बातों को खोजना और उसे इस यात्रा में सम्मलित करना बहुत सराहनीय है यह आपके निरंतर परिश्रम को भी दर्शाता है| इस लेख के लिए अथक परिश्रम करने हेतु आपको कोटि-कोटि धन्यवाद
वीरेन्द्र सिंह
दिशा रोड डायरीज के इस संस्करण में सोमनाथ प्रभाष क्षेत्र का एवं सप्तपुरियों में एक द्वारका पुरी का जो अलौकिक अवं आध्यात्मिक वर्णन तुमने किया है उसने मुझमे इस प्रभाष क्षेत्र की पुनः यात्रा की प्यास जगा दी है इस पूरे यात्रा वृतांत में तुम्हारे द्वारा जिस तरहसे छोटी छोटीबातो परभी इतना परिश्रम कर जा जानकारी जुटाई गयी है वह तुम्हारे ही बस की बात है फिर वह जैतपुरा की साड़िया हो या प्रभाष क्षेत्र की जानकारी हो या द्वारकापुरी की आध्यात्मिक जानकारी जो सब तुम्हारे द्वारा किये गए अथक परिश्रम का फल है इतने सुंदर शब्दो में की गयी यात्रा में हम भी तुम्हारे हमसफ़र रहे इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जय भिमाशंकर
बहोत ही सुंदर लेख है | बाबा भिमाशंकर की कृपा आशिर्वाद आपके और आपके पूरे टीम के ऊपर ,आपके परिवार के ऊपर सदा बने रहे |
पंडित जी श्री भिमाशंकर देवस्थान