तपस्वी से मौन साधे खड़े पर्वत और भगवती गंगा का अप्रतिम सौन्दर्य
एक घण्टे की आध्यात्मिक हवाई यात्रा में तपस्वी से मौन साधे खड़े अवलांचे पर्वत के दो, गंगोत्री के तीन शिखर, पूरा आकाश घेरे केदार डोम, अरवां क्रेस्ट अरवां स्पीरे, अरवा टॉप, कीर्तिस्तम्भ की दो चोटियां सुदर्शन, चित्तकुले, नागिणी द्रोपदी का डांडा, बामक, खण्डद्वारी, ढोकरानी, कुण्डारा, मेरू, सुमेरू, चौखम्बा, मैनाक और हिमवान (हिनाणी) पर्वतों के साथ भागीरथ पर्वत की तीन पश्चिमी दीवारें, मखमली हरी दूब के बुग्याल पर विचरतीं पहाड़ों की कामधेनू भेंडे़ं, चिंहुकते तुषार नद, पद्म, भूर्जवन (भोजपत्र), शंक्वाकार देवदारू पर्णपाती नुकीले कोनाकार चीड़ के वृक्षों पर हल्दिया धूप की छितराहट मन को मुग्ध कर रही थी। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि ऐसे ही चित्तापहारक पहाड़ी क्षेत्रों में (आंछरी) उन्मुक्त यक्ष कन्याएं रहती हैं जो सजीले आकर्षक पहाड़ी युवकों को अपने मोह पाश में फांस लेती हैं। हैलीकॉप्टर की कांच की खिड़की से नीचे झांकने पर ब्रह्मलोक की अन्यतम अप्सरा, शिवजटाजूट वासिनी, विष्णुपाद जाता अष्टवसुओं की गर्भधात्री, प्रतीप की पुत्रवधु, शांतनु की भार्या, भीष्म की जननी देवसरिता गंगा का विराट सौंदर्य शोभायमान था। प्रसादों भवति गंगा वीक्ष्य (गंगा दर्शन से मन प्रसन्न हो गया)। न जाने कितनी सरिताओं से मेल मिलाप करती तटवर्ती स्थानों को पावन करती मोक्षदायनी गंगा की धवलिमा मन को परितृप्त कर रही थी। गरूढ़ गंगा, केदार गंगा, ऋषि गंगा, जान्हवी गंगा, कुनाली गंगा, पाताल गंगा, असि गंगा, लक्ष्मण गंगा, भीमगाड़, देऊगाड़, ककोड़ा गाड़, दूध गंगा, जलन्द्री श्याम गंगा, नामधारी नदियां गंगा की गोद में समाकर उसे और वेगवान बना रही थीं। निगाहें मण्डवा, झंगोरा, रामदाना, जौ, कुट्टु, राजमा और आलू की पैदावार वाले सीढ़ीनुमा खेतों पर जाकर टिक रही थीं। अगला गंतव्य हर्षिल था। हैलीकॉप्टर सैन्य शिविर के बीच में उतरा।
अभी कार द्वारा एक घण्टे (24 कि.मी.) की यात्रा कर सर्व संस्तुत् गंगोत्तरी धाम जाना था। मार्ग में देवदार के उन्नत वृक्षों की पातों के बीच में से अशरण शरण्या नीलमयी गंगा धवल रेत उलीचती हुई निहाल करे दे रही थी। ऊपर से निरभ्र नीलांबर की शुभा को देखकर अमृत के सोते फूटे जा रहे थे। सहसा हमारी निगाहें लकड़ियों का बोझ लादे पहाड़ चढ़ती युवती पर पड़ीं। वाहन चालक ने हमारे अनुरोध पर संभ्रात महिला से कहकर उन्हें तस्वीर के लिए राजी कर लिया। हमें गले में तिमणिया, नाक में बुलाक, हाथ में धागुले, कान में मुरकले पटने आंगड़ी पंखी पागड़ा और साफा धारी गंगाड़ की सुदक्ष गौरवर्णाओं की तलाश थी। प्रत्युत्तर में वाहन चालक ने कहा ‘‘मैडम जी अब कहां…… अब तो सिर्फ तीज-त्यौहारों पर आदमी ही ऊनी पगड़ी, पैजामा, अचकन वगैरह पहनते हैं।’’ इतना लकड़ी का बोझा ? हमारे कौतुहल के जवाब में वाहन चालक ने कहा पशुधन ईंधन और चारे के लिए पहले गांव के 4-5 घरों की स्त्रियां मिलकर ‘पदयावी’ कर लेती थी। गांव से दूर डांडो (पहाड़ों) पर छानियां होती थीं। चरान-चुगान के लिए खैर (ग्वालों) की व्यवस्था कर ली जाती थी। ज्यादा पशुधन और जमीन समृद्धि की निशानी थीं। अब वो पहले वाली बात कहां….. कोलतार की नई नवेली चौड़ी सड़क हमें भैरों घाटी तक ले आई थी। आनंद भैरव के समक्ष नत् मस्तक होने के बाद जाड गंगा पर बने भव्य पुल से गुजरते हुए हम सोच रहे थे ‘जम्बू दीपे भारत वर्षे उत्तराखण्डे पवित्र गंगा तीरे’ कहते हुए शताब्दियों से न जाने कितने लक्ष-लक्ष देशवासियों ने यहां आकर गां-गंगायै विश्व मोक्षायै शिवामृतायै शांति प्रदायिन्यै नारायण्यै नमो नमः का जाप किया होगा। प्राणधारा गंगा का सौंदर्य अतीव दिव्य लग रहा था। विरामहीन कल-कल ध्वनि शनैः-शनैः तीव्र होती जा रही थी हम पवित्र गंगोत्तरी धाम के निकट थे। आदि शंकराचार्य विरचित गंगास्तवन की पंक्तियां स्मृतिपटल पर उभर आयीं थीं।
देवी सुरेश्र्वरि भगवति गंगे / त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे / शंकर मौली विहारिणि विमले / मम मति रास्तां तव पद कमले
ब्लॉग के पाठकों को बताते चलें “गंगा उत्तरी तदो नाम गंगोत्तरी ” गंगोत्री या गंगोत्तरी धाम यह विवाद का विषय हो सकता है गंगोत्री शब्द का प्रचलन भले ही हो पर उसका शाब्दिक अर्थ नहीं मिलता इसीलिए गंगोत्तरी – गंगा उत्तरी अर्थात उत्तरीय गंगा नामकरण ही समीचीन है ।
ॐ जय भोले नाथ बाबा की जय ॐ
बहुत धन्यवाद राकेश
दिशा मॅडम आपको माॅ सरस्वती का आशिर्वाद हैं.
भौतिक सुख में भटके हुऐ लोगोंको आपकी कलम से सही ”दिशा”देने का ही नेक कार्य हो रहा है.
आपकी पावन कलम को बहोत सारी शुभ कामना!
परली से मिला आपका पत्र मुझे और बेहतर लिखने के लिए सदा प्रेरित करता रहेगा धन्यवाद
दिशा तुमने फिर से बहुत शानदार लिखा है बधाई
विनय तुम्हें पुन:धन्यवाद
एक इंतजार की बेला के बाद केदारनाथ यात्रा के मनोहारी दशर्न से मन अभिभूत हो गया। धन्यवाद ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए।
महेन्द्र यह जानकर अच्छा लगा कि तुम हमारे ब्लाग की प्रतीक्षा करते हो धन्यवाद
दिशाजी आपपर माता सरस्वती की विशेष कृपा है। इसके आगे क्या कहें।
अगर गंगोत्री का मूल नाम गंगोत्तरी हैं, तो यमुनोत्री का भी यमुनोत्तरी होना चाहिए।
अभिनव जी आप की प्रशंसा मुझे बेहतर और बेहतर लिखवाती रहेगी
धन्यवाद
सुन्दर लिखाई सुन्दर विवरण बहुत खूब
प्रीति ,जूनागढ़
प्रीति स्नेह सहित धन्यवाद
Very good disha
Jujar Hussain
धन्यवाद,बचपन के सहपाठी हमेशा साथ निभाते हैं
बहुत सुंदर बहिन जी
आप तो बहिन जी ज्ञान के भण्डार हैं माँ यमुना से आपके उज्जवलमय जीवन के साथ आप हमेशा इसी प्रकार के लेख लिखते रहेँ और धर्म के प्रचार पर अपनी अहम भूमिका निभाते रहेँ माँ यमुना का आप पर विशेष आर्शीवाद बना रहे जय श्री यमुने मैया
श्री जंयती उनियाल
प्रणाम पंडित जी ,आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर मुझे आनंद आ गया ,आपके सहयोग के लिए आभारी हूँ
बहुत अच्छा दिशा ,विशेषकर श्री केदारनाथ मंदिर का सविस्तार वर्णन पढ़कर आनंद आ गया ,मुझे इन तीर्थों की यात्रा का सौभाग्य नहीं मिला पर तुमने घर बैठे यात्रा करा दी
मनोज द्विवेदी
मनोज ,बिजली विभाग से फ़ुरसत निकालकर तुमने ब्लाग की सामग्री पर रोशनी डाली ,धन्यवाद
अद्भुत दृष्टि और मेधा पाई है दिशा तुमने।ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के दर्शनों के साथ साथ मार्ग में पड़ने वाले सभी दिव्य और धार्मिक स्थानों का बड़ा सजीव और सरस वर्णन बन पड़ा है।धार्मिक माहात्म्य और निसर्ग के सौंदर्य के सजीव वर्णन के साथ ही भाषा पर भी तुम्हारी पकड़ सराहनीय है।रुद्राक्षों के प्रकार और उनके प्रभाव के बारे में भी पढ़ा और अपना ज्ञान बढ़ाया। इसके लिए धन्यवाद।गंगा आरती का सजीव और सचित्र वर्णन अत्यन्त मनोहारी और आस्था जगाने वाला है।
अत्यन्त सुखकारी,ज्ञानवर्धक और आस्था जनक आलेख पढ़ने का अवसर देने के लिए धन्यवाद।
सर ,आपकी तारीफ मिल गई बहुत सुखद अनुभूति हुई ,दूरदर्शन के दिन याद आ गये ,बहुत धन्यवाद
दिशा जी बहुत बहुत बधाई।आप का कार्य अत्यन्त सराहनीय एवं प्रशंसनीय है। आप ने स्वयं सभी तीर्थ यात्रायें कीं तथा प्रत्येक तीर्थ का महात्म्य वहाँ की पौराणिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं,आधुनिक सुविधाएं सन्साधन उस तीर्थ में स्थानीय लोगों का योगदान कितना बड़ा महत्वपूर्ण होता है।आप के लेख से लोगों को यह भी मार्ग दर्शन मिला कि कब कैसे पहुँचा जा सकता है।माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हैं आप की लेखनी को अधिक शक्तिशाली बनाएगीं जय श्री केदारनाथ।
प्रवीण तिवारी
प्रणाम पंडित जी ,आपके सहयोग के बिना ते लिखना असंभव था फिर आपकी प्रशंसा भी मिल गई परम संतुष्ट हूँ ,बहुत धन्यवाद
आपने बहुत ही अच्छा लिखा दीदी ,हमने जितना सोचा था उससे भी बहुत अच्छा ,आपने श्री बद्रीनाथ धाम के बारे में इतने विस्तार से जानकारी दी है कि बहुत से यात्री इसका लाभ समय – समय पर उठा सकेंगे ,अगली बार दीदी माणा गाँव और फूलों वाली वैली को देखने के हिसाब से समय निकालकर आईयेगा
श्रीकांत बिष्ट
तुमने शौक़ से घुमाया इसलिए हम शिद्दत से लिख पाए शुक्रिया
अद्भुत और उत्कृष्ट वर्णन ।आपकी लेखनी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है ।इतनी सुन्दर यात्रा के साथ कितनी सूक्ष्म जानकारियों से परिपूर्ण है आपका आलेख ।कब पढ़ना शुरू किया और कब खत्म हो गया पता ही नहीं चला बिलकुल सजीव चित्रण ।आप के साथ हम लोगोंको भी मानसिक दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।गंगा जी की आरती, रुद्राक्ष की महत्ता, ऋषिकेश का वर्णन, ऋग्वेद में उड़न खटोलों की चर्चा, यमुनोत्री धाम का वर्णन, वृक्षों के बारे में जानकारियां, नोंक-झोंक वाले भगवान शिव और मां पार्वती के संवाद, केदारनाथ धाम की यात्रा तक सब कुछ उत्कृष्ट और अद्वितीय वर्णन है ।यह लेख एक बार पढ़ने केलिए नहीं है इसको तो जितनी बार पढ़ा जाए उतना ही अधिक आनंद प्राप्त होगा ।इतनी सुन्दर और मनोरम यात्रा का मानसिक दर्शन कर चित्त बहुत ही शांत और प्रसन्न हुआ ।इस सुअवसर केलिए कोटि-कोटि धन्यवाद ।ऊं नमः शिवाय
सात समंदर पार से जब जब तुम्हारी चिठ्ठी आती है यह संदेशा लेकर कि तुम्हें आलेख अच्छा लगा मुझे दिली ख़ुशी मिलती है ढेर सारा धन्यवाद
हर बार की तरह आपने बहुत ही अच्छा लिखा है सारी जानकारियाँ इकट्ठा कर आपने जिस तरह साहित्यिक शब्दावली में पिरोकर प्रस्तुत की हैं वह प्रशंसनीय है ,आप की लेखनी बहुत ही प्रभावकारी है विषय अपने आप रोचक बन जाता है आप इसी प्रकार लिखते रहिए ,हरिओम
राजेश दीक्षित
प्रणाम पंडित जी ,त्र्यम्बक क्षेत्र से आपकी सराहना मिल गई और क्या चाहिए सधन्यवाद
अप्रतिम अद्भुत ,मैंने आपका ब्लाग पढ़ा और भाव विभोर हो गया मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं अपने माता पिता को हरिद्वार तो एक बार कम से कम ले ही जाऊँ गंगा जल से उनके चरण धोकर पीलूं ,उन्हें चारों धाम की यात्रा कराऊं ,आपके ब्लाग को उन्हें भी पढ़कर सुनाया ऐसी परम संतुष्टि मिली मेरे पास शब्द नहीं हैं उसे बयां करने के लिए ,मैंने चारों धाम पहले भी किये हैं पर आपके वर्णन ने पुन:यात्रा के लिए प्रेरित कर दिया आप कभी पंचकेदार पर भी लिखिएगा ,जय सोमनाथ
पूरव त्रिवेदी
पूरब जी आप जितना भाव विभोर हुए उससे अधिक हम हो गए ,बहुत धन्यवाद
Excellent disha you are genius..keep righting like this ?
Sanjay sharma
संजय प्रतिक्रिया लिखते रहो बस यूँ ही ….
अति सुन्दर वर्णन ,दिशा
ऐसे ही लिखती रहो ,चरैवति चरैवति
रीतेश पटेल
रीतेश धन्यवाद ,यात्रा जारी है ,ब्लाग से जुड़े रहो
आपका आलेख बहुत ही बढ़िया है आपने बहुत सारी जानकारियों को बहुत ही प्रभावी शैली में लिखा है ऐसा मालूम पड़ता है कि हम यात्रा कर रहे हैं ,श्री नागेश्वर जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और हमेशा ऐसे ही लिखती रहें
दर्शन पाठक
धन्यवाद पंडित जी
आपके सहयोग के लिए आभार
बहिन जी आपके द्वारा चार धाम व 12 ज्योतिरलिग का उल्लेख सराहनीय है आपकी बुद्धिमता की जितनी तारीफ करू वह बहुत कम है बहिन जी आपके जिव्हा में मा सरस्वती बिराजमान है आपके हृदय में गणपति बिराजमान दिखाई दे रहे है ऐसा अदभुत लेख वहीं लिख सकता है जिसपे ठाकुर जी कि कृपा होती है वह कृपा आप पर दिखाई दे रही है । मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व जनम में आपने बिधयादान। किया है ओर आज प्रभु का प्रसाद आज के मनुष्यो मे बितरण कर रही है मै माॅ भगवती यमुना माता जी से सदैव प्रार्थना करता हूँ कि माँ यमुना जी की कृपा का बरदहसत आपके उपर बना रहे मा यमुना जी की कृपा सदेव आप पर बनी रहे ओर आप धार्मिक ग्रंथों का बिमोचन करती रहे आपके द्वारा उल्लेख कितना सुंदर है मैं इसका वर्णन जितना करू या जितना लिखुंगा उतना कम ही कम पण रहा है आपको व आपके परिवारजनो को मा यमुना जी की कृपा बनी रहे जय श्रीयमुना महारानी
गजेन्द्र उनियाल
पंडित जी बहुत सुन्दर शब्दों में आपने प्रतिक्रिया लिखी है ,यह बाबा भोलेनाथ का ही आर्शीवाद है जिसके कारण मुझे आप जैसे पंडितों का सानिध्य प्राप्त हुआ और हम यह लिख पाए बहुत धन्यवाद
After read of Ur dairy page I feel I m in this religious journey .nice discription of past correlate with prasent.just one thing I face that I have read 2 to 3 time because you are using too though hindi lecture word which is my weakness but thanks to you for did well job and giving full of knowledge along with all related all religious theory .
All the best
गिरी जी ,यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरे आध्यात्मिक तथ्यों ने प्रभावित किया है पर हिन्दी की क्लिष्टता ?…भविष्य में ध्यान रखूँगी ,धन्यवाद
I read your blogs, these are very much informative. More over your way of describing the journeys is such that one feels as if he is one the way. There could not be a better attempt than yours. I am really proud of to have such an intellectual sisters. This caliber is a GOD ‘S gift to you, which you really deserve. GOD bless you.
Premchand Tiwari Lucknow
तिवारी जी ,मुझे गर्व है आप जैसे सुधि पाठक पर ,जिन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया ,अतिशय धन्यवाद
भगवान आशुतोष केदारनाथ तथा भुकुंड भेरव की कृपा आप पर सदा बनी रहे . आशा करता हूँ कि आपका ये कार्य जो कि उत्तराखंड के चारो धामों का परिचय करवा रहा है. ये सदेव चरमोत्कर्ष पर रहे. अत: मैं आपके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करता हूँ
पंडित महेश चन्द्र तिवारी
प्रणाम पंडित जी ,केदार क्षेत्र से पत्र लिखकर शुभकामनाएँ देने के लिए अनेकानेक धन्यवाद
Disha congrats,excellent Very well written
Umesh Soni ?
उमेश ,बहुत धन्यवाद
शानदार अद्भुत कल्पनाओं से परे
आपने जो देवभूमि उत्तराखंड के बारे में अति महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है .
इससे हमारे हिंदू धर्म से जुड़ी आस्थाएं आमजन को ज्ञान प्रदान कराएंगी.
इससे हमारे हिंदू धर्म को बहुत बल मिलेगा.
आपने यह जो देवभूमि उत्तराखंड अपने लेख में वर्णन किया है।
यह आपका अभूतपूर्व और सराहनीय कार्य है
इसके लिए हम आपका हृदय से धन्यवाद करते हैं
राज प्रजापति ऋषिकेश
राज जी आपको आलेख रूचिकर लगा यह जानकर संतुष्टि हुई ,आपके सहयोग के लिए भी धन्यवाद
आपने खूब दिल से लिखा है ,
मैं अभी जाने वाला हूँ आपका लेख पढ़ – पढ़ कर यात्रा करूँगा ,त्रासदी से पहले दो बार हो कर आया पर आपने जो दिया है उससे बहुत सी नयी बांतें भी सामने आईं हैं मैंने अपने जानने वालों को भी पढ़ने के लिए ब्लाग भेजा है ,ऐसे ही लिखते रहो ,हरिओम
हरीश भारती गोस्वामी
हरिओम ,आपकी प्रशंसा पंडित जी मेरा उत्साह बढ़ाती रहेगी बहुत धन्यवाद
आपने बहुत अच्छा लिखा बहन जी ,बद्रीविशाल भगवान की महिमा,स्थान के संबंध में आपने जो कुछ जानकारी हासिल की उसको बहुत बढ़िया अंदाज में लिखा है बहन जी ,केदारनाथ जी का भी आपने बहुत बढ़िया वर्णन किया है बल्कि समग्र उत्तराखण्ड के तीर्थों की सही -सही जानकारी आपने दे दी है
काशी प्रसाद पालीवाल
पंडित जी मैं तो आपको धन्यवाद देना चाहूँगी आपकी सहायता के बिना हम बद्रीनाथ जी की महिमा का उचित वर्णन नहीं कर सकते थे
प्रणाम,
आपने बहुत सुंदर वर्णन किया है।
प्रिंट निकालकर इत्मिनान से दोबारा पढूंगा।आप इसे आगे किताब के रूप में प्रकाशित अवश्य कराएँ
पुष्कर रावत
पुष्कर जी ,किताब निकालने का कार्यक्रम तो है ईश्वर ने चाहा को शाघ्रातिशीघ्र यह होगा ,बहुत धन्यवाद
बहुत सुंदर केदारनाथ का वर्णन किया है पढ़कर लगता है हम एक रोचक आध्यात्मिक यात्रा के हिस्सा हैं ऐसे ही लिखते रहो ?
विवेक महाजन
विवेक ,लेखन जारी है उत्साह बढ़ाते रहो
आपका लेख पढ़ा ,पढ़कर आनंद आ गया ,आपकी शैली असरकारक है केदारनाथ जी की व्यापक जानकारी और पूजा अनुष्ठान के बारे में आपने सारी मालूमात हासिल कर निराले अंदाज में पेश किया है ,भगवान घृष्णेश्वर की कृपा सदैव आप पर बनी रहे
राजेन्द्र कौशिके
प्रणाम पंडित जी
आपने तो स्वयं किताब लिखी है आपकी प्रशंसा पाकर सच में मन प्रफुल्लित है धन्यवाद
जय रामेश्वरम ,हमें
बहुत अच्छा लगा पत्रकार होने के कारण आपने सबसे बात करके लिखा है इसकर के पंसद आया ,हम मई में चार धाम करने वाले हैं अभी आपका पढ़ लिया तो आसानी होगी।
रवीन्द्र गंगाधर दशपुतरे
प्रणाम पंडित जी
आपकी यात्रा शुभ हो ,आप लेख पढ़ते रहिएगा ,अपनी राय से अवगत कराने के लिए धन्यवाद
दिशा,
काफी अंतराल के बाद तुम्हारे इस लेख को पढ़ के बहुत अच्छा लगा । तुम्हारी इस यात्रा में वहाँ का वर्णन, विस्तृत जानकारी व तुम्हारी लेखन शैली …..वाक़ई सराहनीय है ।
????
बस, ऐसे ही आगे भी हमें अच्छी अच्छी जानकारियां देती रहो….??
संगीता तुम प्रतिक्रिया भेजकर यूँ ही तारीफ़ें करती रहो लेखनी मज़बूत होती जायेगी ,धन्यवाद
आपकी लेखनी के बारे में अब कुछ कहना नहीं अति उत्तम ,अद्भुत ,आपने पूरी यात्रा को एक माला में पिरोया है ऐसा लगा ही नहीं कि आपने यात्रा विमान से की है बल्कि ऐसा लगा कि आपने पदयात्रा कर एक -एक मोती को माला में पिरोया है बद्रीनाथ जी के बारे में आपका विवरण बेहद रोचक है ,केदारनाथ जी के मंदिर की बीस द्वारी संरचना की सुदर्शन चक्र से संबंद्धता के बारे में पहली बार पता चला ,गंगोत्तरी ,यमुनोत्तरी धाम के बारे में भी पढ़कर ज्ञान वृद्धि हुई ,एक अनुरोध है आप अपनी यात्राओं में स्वयं के फोटो भी लगाया कीजिए
दीपक शर्मा
दीपक जी आपने ध्यान से पढ़ा ,अच्छा लगा दिल से धन्यवाद ,रहा सवाल निजी चित्रों के तो पत्रकारिता का उसूल है निजी तस्वीरों से परहेज़ करना चाहिए सो कर रहे हैं आगे देखेंगे
झंझवातो में उलझे अशांत मन से अपनी उलझी जिदंगी के पलो में कुछ शान्ती की अभिलाषा के साथ ब्लाग पर नये पोस्ट श्री केदारनाथ “चिन्मयी धाम” को पढ़ना आरंभ किया इसके सभी २९ भागों को पढ़ते-पढते कब अपनी उलझनों को कुछ समय के लिये भुल गया पता ही नही चला।
ब्लाग पर इस पोस्ट को पढ़ने के बाद —–लगा,
कई बार इन क्षेत्रों की आध्यात्मिक यात्रा करने बाद भी मुझे एक बार पुन: देवभूमि के दर्शन करना चाहिए।
संजीव रतन मिश्रा ,बनारस
संजीव जी ,तमाम झंझावातों से जूझते हुए भी आप प्रतिक्रिया लिख पाये यही मेरे लिए अहम है आप दर्शन कर ही आइये बहुत धन्यवाद
उच्चस्तरीय वर्णन ,इसमें कोई दो राय नहीं कि देहरादून से लेकर बद्रीनाथ धाम तक की यात्रा को जिस शब्दावली के साथ आपने वर्णित किया है वह शुरूआत से लेकर अंत तक बाँधे रखती है हर दृष्टिकोण से यह पठनीय और शोधपरक है माँ भगवती का आप पर आर्शीवाद है ,जय माँ विंध्यवासिनी
पंकज द्विवेदी
प्रणाम पंडित जी ,आपका ब्लाग को पठनीय कह देना मन को छू गया ,बहुत धन्यवाद
आपकी यात्रा डायरी पढ़ी ,इस बार भी बहुत बढ़िया लिखा है ,ऐसा लगा चारों धाम घूम लिए।फोटो भी सुंदर हैं भगवान
ओंकारेश्वर आपको और ऐसी आध्यात्मिक यात्रा कराएँ
अखिलेश दीक्षित
प्रणाम पंडित जी
आपने ब्लाग में हमेशा की तरह इस बार भी दिलचस्पी दिखायी मुझे बहुत अच्छा लगा
जा पर कृपा राम की होई ता पर कृपा करें ऐसा कोई।?
बहुत-बहुत साधुवाद *दिशा* बहुत सुंदर लिखा है जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन देवभूमि का पौराणिक महत्व और यात्रा से धार्मिक लाभ तीनों का बहुत सुंदर समन्वय किया है, ऐसा लगता है कि पढ़ते पढ़ते मैं स्वयं यात्रा में सम्मिलित था मैंने मात्र 10 ब्लॉक पढ़ें है। तुम बहुत सौभाग्यशाली हो, बाबा केदारनाथ की असीम कृपा तुम्हारे ऊपर है तुमने बाबा के सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन प्राप्त कर लिए है। हम जैसे तो 99 के फेर में ही पड़े हैं। एक बार फिर बहुत-बहुत ?धन्यवाद?
प्रेमशंकर पाण्डे
प्रेमशंकर ,बहुत धन्यवाद ,तुम कौन से ९९ के फेर में पड़े हो बताया नहीं ,बहरहाल १० आलेख पढ़ चुके हो यह बात बेहद भली लगी ,ऐसे ही हमसे जुड़े रहो बहुत धन्यवाद
Bahut hi manohari varnan…
राजेन्द्र एक के बाद एक पत्र लिखकर ब्लाग से जुड़कर तारीफ करने के लिए बहुत सारा धन्यवाद
Manohari varnan, adbhut…
इंतज़ार की घड़ी समाप्त हुई,,,बाबा केदारनाथ की जय,,,,
संदीप ,श्री केदारनाथ की जय ,धन्यवाद
Congratulations Disha ! After reading your road diary on Kedarnath I felt like I m experiencing everything and I did Darshn of Baba Bholenath you described the whole journey so well ??keep writing ?
स्वाति हमारे संग संग यात्रा कर प्रतिक्रिया भेजने के लिए दिल से शुक्रिया
Excellent,tumhare aalekh me varnan
Padhkar laga mano kedarnath ke darshan hi ho Gaye.
वर्षा तुम्हें मैंने घर बैठे केदारनाथ जी के दर्शन करा दिए यह जानकर बढ़िया लगा शुक्रिया
उच्चकोटि का अभ्यास ,आपकी भाषा भी उच्चस्तरीय है ,बद्रीनाथ जी का जो वर्णन आपने किया है वह प्रशंसनीय है यह सब कठिन परिश्रम का प्रतिफल है।आपको और आपके परिवार को नव संवत्सर की शुभकामनाएँ
राजाभाऊ जोशी ,परली
जोशी जी ,आपको बहुत धन्यवाद ,आपने अपने विचार साझा किए
अपने आसपास के सुंदर परिदृश्य और आपके द्वारा लिखित वृतांत को आत्मसात करके मैं आपको सादर प्रणाम करता हूं ! यह वृतांत जिस प्रकार जीवन में सौंदर्य, आनंद तथा अर्थ को पैदा कर सच्चे ज्ञान को दर्शाता है ! और इन्ही के माध्यम से हम ब्रह्मांड के शक्तिशाली व निपुण परमात्मा को अनूठे ढंग से व्यक्त कर पाते है ! आपका यह आलेख प्रेरणादायक एवं सार्वभौमिक सत्य की विशाल श्रृंखला की गहन विवेचना को प्रस्तुत करता है ! जिसने मुझे सदा बहुत मोहित किया है ! और यही ईश्वर के साथ एकत्व का योग है ! प्रकृति की भव्यता और कला का सौंदर्य, मनुष्य को स्वयं होने का एहसास करवाते है ! जहां मंदिर का पुजारी असफल हो जाता है ! वही एक जागृत कलाकार उस भूले बिसरे संदेश को लोगों तक पहुंचाता है ! जो व्यक्ति सौंदर्य से परिपूर्ण दुर्लभ क्षणों को याद कर सकता है ! वह दुख की घड़ी में भी अपनी स्मृति से प्रेरणा लेकर अपने भीतर स्थित शिवालय में पहुंच सकता है ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, हर बार की तरह आपने इस बार भी शिवमय होने में हमारी मदद की इस यात्रा वृतांत की तारीफ शब्दों में नहीं की जा सकती, आगे की यात्रा वृतांत के लिए तहे दिल से प्रतीक्षारत !!!
महेश तुमने पहले बहुत रूचि से आलेख पढ़ा फिर उतनी ही श्रद्धा और गंभीरता के साथ प्रतिक्रिया लिखी है जो दिल को भा गयी ,ऐसे ही लिखते रहना बहुत धन्यवाद
दिशा जी अपने श्री केदारनाथ मंदिर का सविस्तार वर्णन पढ़कर बहुत बढ़िया लगा| गंगोत्तरी ,यमुनोत्तरी धाम के बारे में तथा अन्य धार्मिक स्थल का विवरण अपने बहुत बढ़िया किया है तथा भाषा का उपयोग बहुत बढ़िया किया है आगे भी आपकी लेखनी का इंतजार रहेगा
दुबे परिवार इस बार विलम्ब से प्रतिक्रिया कैसे ,बहुत ख़ुशी मिलती है जब आप लोग परिवार के सभी सदस्य साथ बैठकर पढ़ते हैं और फिर एक साथ प्रतिक्रिया भी लिखते हैं अनेक धन्यवाद
श्री केदारनाथ धाम की यात्रा का वर्णन पढ़कर बहुतअच्छा लगा| भगवन राम , लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत मंदिर, और अश्रुओं से सिरजे रूद्राक्ष के बारे में हमने आपकी लेखनी के माध्यम से जाना …… भगवन की जटाओ में विराजी माँ गंगा का वर्णन अत्यंत सुन्दर किया गया है भगवन सूर्य की पुत्री यमुना की कथा अत्यधिक रोचक लगी …और साथ में वह की प्रकृतिक विवरण भी बहुत सुन्दर किया है भगवन श्री केदारनाथ जी के मंदिर का सुंदर परिदृश्य और शिवलिंग के रूप में विराजे भगवन शिव का अदभुत मनोहारी वर्णन इतना सुन्दर किया गया है मानो वहा के चलचित्र हमारे सामने हो .. यात्रा का वृतांत पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा आपकी अगली लेखनी का इंतजार रहेगा
धन्यवाद अंकिता
श्री केदारनाथ धाम की यात्रा का वर्णन पढ़कर बहुतअच्छा लगा वह के आसपास के सुंदर प्रकृतिक चित्रण अत्यंत सुन्दर किया गया है
धन्यवाद जय
आपका आलेख बहुत ही बढ़िया है
धन्यवाद नित्या
Highly informative and hearttouching observations!Thank you didi for sharing.
अरे वाह ,परदेश से ब्लाग की पर प्रतिक्रिया लिखने का समय निकालकर हमारा उत्साह वर्धन करने के लिए तुम्हें भी बहुत धन्यवाद
साक्षात् दर्शन की अनुभूति कराता आपका आलेख पढ़ा ,बहुत अच्छा लगा ,मेरा एक सुझाव है आप कभी पंच केदार की यात्रा कर उनके बारे में भी लिखिएगा ,इसी प्रकार लिखते रहिए
संतोष पैठनकर, एलोरा
संतोष जी,आपकी प्रतिक्रिया में पंचकेदार का सुझाव उपयुक्त लगा ,जाना तो इसी बार चाहा था पर मार्ग सुगम नहीं था बर्फ़ से बाधित भी था अगली बार ज़रूर जाऊँगी ,लिखूँगी भी ताकि अपने ब्लाग के पाठकों को शिव जी से जुड़े स्थानों की यात्रा करा सकूँ ,धन्यवाद
आपको और आपके लेख को कोटि कोटि नमन् ।
सुशील नौटियाल
Disha, you are great?�?�?on a personal note, while I am a biiiiiig fan of your command on Hindi language, you may try to write one travel blog in relatively easier hindi. Many of your words chosen to express your thoughts and feelings are beautiful but difficult to understand by us lesser mortals. And we do not get the meaning of such words. This might be limiting your readership to only a few literacy genius. While I believe your blogs should be read by young generation who are not great in hindi vocab. For example, my son 15 year old, could not understand much and did not continue to read.I am and will remain your fan ?Shrikant Bansal
श्रीकांत ,तुम्हारी प्रतिक्रिया में जो बातें कही गयी हैं वो असरदार हैं पर मेरा मन दुविधा में है हिन्दी का नुक़सान पीढ़ी दर पीढ़ी हुआ है तुम भी इससे इत्तफ़ाक़ रखते होगे ,नयी पीढ़ी चाहकर भी पढ़ने को आतुर नहीं है ,जो पीढ़ी पढ़ रही है वह हिन्दी की जानकार है अब मेरे लिए तो दोनों ही ज़रूरी हैं मैं ऐसे में हिन्दी समझने वालों के लिए लिखना श्रेयस्कर समझूँगी जो मुझसे खुद को जोड़ते हैं युवाओं के लिए तो अंग्रेज़ी का अनुवाद है वे उससे खुद ब खुद जुड़ जाएँगे बहरहाल,बहुत धन्यवाद
ॐ नम्: शिवाय्:
हर हर महादेव
दीर्घ अंतराल के बाद आया आपका देवभूमि उत्तराखण्ड एवं श्री केदारनाथ जी का यह वृत्तान्त मन को शांति एवंआनंद की अनुभूति प्रदान करने वाला रहा। भाषा और शब्दों के चयन दिखाई उदारता से अध्ययन रुचिकर रहा।
नमस्कार ।
निशान्त ,तुमने शब्दों के चयन और भाषा को सराहा यह मेरे लिए बहुत महत्व रखता है धन्यवाद
आज आपका लेख पढ़कर मन को बहुत असीम प्रसन्नता हुई कि मैं आज भी ऐसे लेखकों से जुड़ा हूं जो साहित्य, संस्कृति, हिंदी भाषा के पारखी हैं और धार्मिक यात्राओं को अपनी शब्द माला में पिरो कर हम तक पहुंचा रह हैं उत्तरकाशी / गंगोत्तरी यात्रा का वर्णन एवं आपकी केदार यात्रा के वर्णन को पढ़कर लगा कि आपने बहुत नजदीकी से इन्हें स्पर्श कर महसूस किया है अभिलाषा करता हूं कि आपकी लेखनी ऐसे ही धार्मिक यात्राओं को शब्द माला मे पिरोकर अपने प्रिय जनो,पाठकों को आज के सामाजिक संचार माध्यम के द्वारा उपलब्ध कराते रहेंगे।
चरैवेति चरैवेति… सादर प्रणाम
सुशील नौटियाल
जिला पर्यटन विकास अधिकारी
रूद्रप्रयाग (उत्तराखंड)।
सुशील जी
आपको अतिशय धन्यवाद आपने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच समय निकालकर प्रतिक्रिया लिखी ,आपके सहयोग के बिना मेरे लिए पर्वतों को पहचान पाना मुश्किल था,आप कई साहित्यिक शख़्सियतों से जुड़े हैं यह जानकर भी बेहद ख़ुशी हुई पढ़ने लिखने वाले अपने साथियों को हमारे ब्लाग से जोड़ियेगा ?
कोटि कोटि धन्यवाद
Kedarnath ka Etna sundar barnan jo aapne bistar ke sath kiya he aap ko bahut bahut sadhhu Bad bhagban siv aap par krapa kare
Devendra dubey
दुबे जी आपको अनेक धन्यवाद ,आपने प्रतिक्रिया लिखकर अपने मन की बात बताई
दिशा जी सदैव की भांति आपकी लेखनी शब्दों की तूलिका से चित्रांकन करती है। आपके शब्दों का प्रयोग /चयन लाजवाब होता है। कैदार धाम की यात्रा में आपने शिवमय कर दिया है। केदारनाथ में आई भयंकर प्रलय के बावजूद इस पीठ को आंच नहीं आई थी जो कि इस धाम की ताकत स्वतः प्रदर्शित करताहै। यह बात जरूर है कि केदार के आसपास संस्कृति का अकूत भंडार रहा है। आपने हमें उसके दर्शन करवा दिए हैं। उसके लिए आपका साधुवाद।
अमित जी ,आप सौ फ़ीसदी सही हैं कि केदार नाथ धाम की महिमा अपरम्पार है तभी तो इतनी भयंकर विनाश लीला में भी मंदिर को क़तई नुक़सान नहीं पहुँचा ,आप आलेख से शिवमय हो गए समझिए हमारे ब्लाग का उद्देश्य पूरा हो गया ,बहुत धन्यवाद
श्री गंगा जी
श्रीमती दिशा न गंगोत्री का विषय मां जु अपणा लेखा मां लिखी उ वास्तव मां साहित्यक वर्णन को एक सुन्दर प्रमाण छ
ऊ का शब्द विन्यास एवं स्थानीय संस्कृति समझ उतम कोटी वास्तव मां श्रीमती दिशा धन्यवाद की पात्र छ जु मूल रूप सी भोपाली निवासी एवं हिन्दी भाषी होणा का बाद भी स्थानीय शब्दों कु एव यख का रहन सहन व रीति रिवाज डांडी कांडी पहाड़ियो का सुन्दर वर्णन वास्वमा क्षेत्र का
प्रति प्रेम कु उदारण छ
क्षेत्रीय लोग एवम गंगोत्री तीर्थक रावल पुजारी ऊ का उज्जवल भविष्य एवं दीर्धायु की कामना भगवती गंगा जी सी करदा
जय गंगा मैया की
पं. संजीव सेमवाल
रावल गंगोत्री मन्दीर
पूर्व अध्यक्ष गंगोत्री मन्दीर
पंडित जी
आपके पत्र में गढ़वाली की मिठास है बहुत अच्छा लगा आपने गढ़वाली भाषा में प्रतिक्रिया लिखी और आलेख की प्रशंसा की,आनंद आ गया ,जितना सुन्दर आपका प्रदेश उतनी ही भाव प्रधान आपकी प्रादेशिक भाषा है ,आपके भरपूर सहयोग के लिए आपकी तहे दिल से आभारी हूँ ,गंगा मैया की जय ?
बहुत ही सुंदर वर्णन । हालाँकि अभी सम्पूर्ण लेख नहीं पढ़ पाया हूँ पर बहुत गहन और आकर्षक है l इतना संजीव चित्रण है की हमको भी साक्षात दर्शन की अनुभूति हो रही है l इतनी अछी जानकारी के लिए धन्यवाद l
विवेकानंद जी ,आपने समय निकालकर ब्लाग पढ़ा यही मेरे लिए बहुत मायने रखता है आगे भी समय निकालकर पढ़ियेगा बहुत धन्यवाद
हमेशा की तरह उम्दा लेखन….. धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ प्रकृति का रोचक शाब्दिक चित्रण ….सबसे अलग खान-पान विशेषकर मोहन पूरी वाले का ज़िक्र पुरानी स्मृतियों को कुरेदता है…..अलहदा लेखन के लिए बधाई…..
शिवाकांत जी ,आप जैसे उच्चकोटि के लेखक और पुराविशेषज्ञ की ओर से मिली सराहना ने मुझे परम संतुष्टि दी है ,अतिशय धन्यवाद?
Mem, aapne jis trh se kedarnath yatra ka sjeev vardan kiya hai wo adbhut hai. Aapki bhasha shEli me bhavo evm anubhavo ko sjeevta pradan krne ki adbhut ,anokhi kshamta hai. Esa lga mano khud wha yatra kr aae ho. Aapne n keval kedarnath darshan ko vrn wnha ki poranikta evm prachin mahatv to b hm tk smpreshit kiya .uske lie koti koti dhanyavad.
राहुल ,बहुत बढ़िया लगा ,तुमने अपने सुविचारों से अवगत कराया ,बहुत धन्यवाद
जय श्री केदारनाथः दीदी नमस्कार बहुत ही अच्छा लगा पढकर, नया अनुभव मिला
श्याम ,पत्र के लिए धन्यवाद
सजीव चित्रण गंगा जी की आरती यमुनोत्री धाम का वर्णन केदारनाथ धाम की यात्रा तक का उत्कृष्ट और अद्वितीय वर्णन अप्रतिम अदभुत अत्यंत सराहनीय कार्य
प्रदीप जी, वन विभाग की व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर आलेख को पढ़ने ,रूचि अनुरूप पाकर प्रतिक्रिया लिखने के लिए आपका धन्यवाद
Disha Bahanji,
I read your road dairies of Dehradun, Rishikesh, Haridwar, Badrinath, Kedarnath, Yamunotri and Gangotri. It was in an excellent details with 29 pages along with respective illustrations, descriptions, about the importance of rituals, varieties of medicines, rudraksha trees, names of river Ganga which is an unique example for completing your road dairies. Congratulations! My suggestion is to divide your this blog into three parts so that everybody can read easily. Your style of writing is surely of very high standard and is good to become example for top Hindi and history scholars. I wish you, my sister, takes such proud position that will make me so proud. Hearty wishes to you once again and thank you very much.
It was wonderful to see that you again highlighted minute-to-minute study of the nature, of the people, family history of Semwals and other pandit and your whole journey with the helicopter team right from starting to all the religious Centers.
You explained the kachauri of haridwar, and also the problems of the devotees in the old times and the cruel winter season people face there. You have done deep research as a senior and serious scholar. Once again I can say your writing is inspiring as of our senior scholars like Prof.B Subbarao who worked with Dr H D Shankalia of deccan college. I will share my further critical analysis after reading your all road dairies blogs. Thanks.
O P Mishra
(Sr. Archeologist)
Bhopal
मिश्रा सर
आपकी सराहना मिल गई ,आप जैसे दिग्गज पुरातत्व विशेषज्ञ ने आलेख को पठनीय और शोधपरक पाया जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई ,आप का मार्गदर्शन आगे भी मिलता रहे यही कामना है ,अतिशय धन्यवाद ?
दिशा मुझे बहुत दिनों से ग्यारहवे ज्योतिर्लिंग केदारनाथ की यात्रा की दिली तमन्ना थी पर शायद भोले बाबा की अभी मुझ पर कृपादृष्टि नही हुई पर तुम्हारे इस आलेख ने मुझे केदारनाथ के साथ साथ गंगोतरी यमुनोत्री व बद्रीनाथ की भी यात्रा करा दी तुम्हारी लेखनी से मैं बहुत अभिभूत हूलगता है भोलेनाथ ने पहले तुम्हारे माध्यम से मानसिक व आध्यात्मिक यात्रा करा अपना आशीर्वाद दे दिया है चारों धाम की इतनी गूढ़ व विस्तार से जानकारी देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
अर्चना ,बहुत बढ़िया लगता है जब तुम मुझे सराहती हो ,तुमने मेरे आलेख के माध्यम से यात्रा कर ली मेरा उद्देश्य पूरा हो गया ,मेरी आध्यात्मिक यात्रा से इसी तरह जुड़े रहना ,बहुत धन्यवाद
आपकी क़लम हिन्दी के प्रति रूचि पैदा करती है और केदारनाथ जी की यात्रा भी बख़ूबी करा देती है आपकी लेखन शैली बहन मनोहारी है यात्रा की थकान भी नहीं होती बल्कि बड़ा ही आनंद दिलाती है जय शिव शंकर
Dishaji,
Apki lekhni aur nazar se hum sabko bhi dershan ka saubhagya milta rahey, mahadev ki kripa bani rahey.
इरा मिश्रा कानपुर
Long ago I have planned to visit Badrinath and Kedaranath with my family and mother.I completed the journey to Badrinath very easily but on way to Kedarnath my mother who was nearly 70 got seriously ill.we came back to Haridwar and stayed there till my mother was able to come back to Lucknow.I preferred to take of my mother,and this gave me the satisfaction of visiting Kedarnath.By the grace of the Bholenath I got your blog and this gave me not only the real view of temple but also gave me the pleasure of the journey.Had I really gone there ,I have not able to know so many things such as history of the temple,various traditions and surrounding culture I shared to one of my friends who visits Kedarnath every year.On the event of Kedarnath tragedy,he was there with his family but by the grace of the Bholenath they escaped narrowly.He also admitted that he was not aware of so many facts.This way you deserve loud applous my my family and my friends.God bless you for this noble deed.
अद्भुत ,शब्द नहीं है मेरे पास साक्षात शंकर जी की प्रेरणा ,तुम्हारी लेखनी के साथ हैं मन और मस्तिष्क से मैंने तुम्हारी अभिनव शैली के साथ यात्रा का आनंद लिया कई स्थानों पर श्रद्धा स्वरूप मैं नतमस्तक स्थिति में रही एक बार जो तुम्हारा ब्लाग पढ़ने बैठी जिज्ञासा और एकाग्रता बढ़ती ही गई मैं भगवान शंकर से प्रार्थना करती हूँ तुम एेसे ही शंकर जी के धामों के संबंध में लिखती रहो और अधिक सेअधिक लोग तुम्हारे ब्लाग से जुड़ते रहें ऐेसे दत्तचित्त हो कर मैंने पहली बार कोई ब्लाग का आलेख पढ़ा है और पढ़ने के बाद मेरे मन और मस्तिष्क में आत्मिक शान्ति थी अंजुरी में गंगा जल और एक शिव धाम से लौटकर आने का सुखद अनुभव !!!
आभा शर्मा
देवभूमि की मनोरम् निसर्ग के सुंदर चित्रमयी यात्रा से
रुबरु होकर आस्थापरक अनुभूति हुई। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार दिशा मिश्रा जी की यात्राएं बहुआयामी होती है । जिनमें हमें संस्कृति की सुरभि, साहित्य का सौरभ और इतिहास की जीवंत झलक मिलती है।
पंचानन प्रभु केदारनाथ के दिव्य दर्शन से मन खिल गया।। ????????
***रोचक–ज्ञानवर्धक जानकारी के लिये सहृदय धन्यवाद ****
महान भारतीय लोक के आलोक मे केदारनाथ की सुंदर गाथा एवं महिमा का ब्लॉग अति सुंदर एवं जीवंत दर्शन है, ?आभार