चरैवेति-चरैवेति भारतीय पर्यटन का मूल मंत्र ही मेरा आदर्श सूत्र वाक्य है। जीवन में निरंतरता और दृष्टि सम्पन्नता लाने के लिए मैंने पहले भी यात्राएं कीं और आज भी कर रही हूं पर अब लगता है इन यात्राओं के दौरान हुए अनुभवों को आपके साथ साझा करूं। अपने नामानुरूप दिशा-दर्शन कराने के उद्देश्य से ही ‘रोड डायरी’ ब्लॉग की शुरूआत कर रही हूँ। अन्वेश्णात्क लेखन-पत्रकारिता के अपने पुराने अनुभवों के सहारे मैं देश विदेश के अन्चीन्हें सौदंर्य को आप तक पहुंचाना चाहती हूँ। मैंने पत्रकारिता में स्नात्तकोत्तर किया। प्रतिष्ठित टाइम्स ऑफ इण्डिया ग्रुप से संबंद्ध रही। प्रसिद्ध यात्रा पत्रिकाओं स्वागत, नमस्कार, नमस्ते और जेटविंग्स के लिए लगातार लिखा उन्हीं अनुभवों का निचोड़ है यह ‘रोड डायरी’, जो मुझको आपसे और आपको अनजाने स्थलों से रोड के माध्यम से जोड़ेगी। इतिहास में पैठने की रूचि के कारण आजकल एक फ्रेंच लेखक के साथ ‘भोपाल के इतिहास’ की किताब पर काम कर रही हूं। ब्लॉग में कभी इस पर भी चर्चा करेंगे। इस रोड डायरी में स्थान विशेष के ऐतिहासिक सांस्कृतिक आध्यात्मिक और नैसर्गिक वैशिष्ट्य को समेटने की कोशिश रहेगी।
अब हम अक्सर मिलेंगे रोड डायरी के जरिये। इस सफरनामे में बहुत कुछ ऐसा होगा जो आपको भी पर्यटन के लिए लालायित करेगा तो मेरे साथ चलिये, थकिए नहीं, रूकिए नहीं बस चलते रहिए चरैवेति-चरैवेति…