भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय की लिखन्दरा दीर्घा में मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के झेर ग्राम की युवा चितेरी शरमा बारिया के भीली चित्रों के परिलेखन में आदिवासी जनजीवन के वैविध्य की समग्रता के दर्शन हुए। मूल रूप से भीलियों में प्रचलित मान्यता के अनुसार भीतियाँ जूनी नहीं रखे जाने के उद्देश्य से बनाये जाने वाले अनुष्ठानिक भित्ति चित्रों को कैनवास पर उतारने वाली शरमा बारिया से हमने भेंट कर भाव निमग्न लोकवासियों की अन्तः प्रेरणा से उद्भूत लोकचित्रों का समझने का प्रयास किया। हृदयग्राही, अकृत्रिम, सहज, सरल, भील आदिवासियों के अतीत की वैभवपूर्ण संस्कृति दर्शाते इन चित्रों में आदिवासी जीवन …