औरंगाबाद के निरभ्र आकाश में विश्व के कण-कण के नियामक प्रत्यक्ष देव दिवाकर के शुभागमन के साथ ही हमारी आध्यात्मिक यात्रा के अगले गंतव्य की ओर जाने का समय हो गया। द्वादश ज्योतिर्लिगों के परिगणन में दसवें क्रमांक पर प्रतिष्ठित श्री त्र्यंम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग दिव्य शैव तीर्थ हमारा अगला पड़ाव था। श्री त्र्यंम्बकेश्वर: जहां की अणु-रेणु ही तीर्थस्वरूपा है श्री त्र्यंम्बकेश्वर: जहां की अणु-रेणु ही तीर्थस्वरूपा है यात्रा की शुरुआत औरंगाबाद से नासिक 182 कि.मी. दूर है और वहां से श्री त्र्यंम्बकनाथ का शाश्वत धाम 30 कि.मी. दूरी पर स्थित है यह जानते हुए तीन घण्टे की यात्रा का प्रारब्ध आॅडी …