मणिपुर की सुमंग लीला में थोइबी और खाम्बा का प्रेमाख्यानक

गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था आधुनिक भारत की संस्कृति एक विकसित शतदल के समान है। जिसका एक-एक दल उसकी प्रान्तीय भाषा साहित्य और संस्कृति है किसी एक को क्षति पहुँचाने  से कमल की शोभा क्षीण हो जायेगी। यह पंक्तियां पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के प्रेक्षागृह में आयोजित मणिपुर की बिरली लोकनाट्य शैली सुमंग लीला के प्रस्तुतीकरण के दर्शी बनकर स्मर हो आयीं। मणिपुरी रंगकर्मी नीलध्वजा खुमान के निर्देशन में ‘खोइरेंताक’ शीर्षक लिए लोक तत्वों से परिपूर्ण सुमंग लीला का प्रदर्शन मन मुग्ध कर गया। सुमंग लीला थोइबी और खाम्बा के  प्रेमाख्यानक पर आधारित थी। सुमंग लीला में …

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