मालवा की लोक नाट्य शैली माच, जबलपुर का देवीजस गान, जूनागढ़ का गरबा

मालवा जबलपुर जूनागढ़


कार्यक्रम के अगले चरण में जबलपुर से सटे तालड़ गांव से आयी शिल्पी परिहार ने बुंदेली देवीजस सुनाकर दर्शकों को भक्तिभाव से विभाव कर दिया। शिल्पी ने माता जगदम्बा की अराधना स्वरूप गाये जाने वाले छुम छुम छननन बाजे, तुम आन बस एइ गॉंव, गजब करों मैया बब्बर शेर तुम्हारो और मोरी सुनियो अरज शारदा मां जैसे देवीजस सुनाए। मैहर की शारदा माता का स्तवन कर गाई गयी शिल्पी की मुक्त कंठ की गायकी दर्शकों को विशेष रास आयी। वर्तमान में बारहवीं कक्षा की छात्रा शिल्पी के देवीजस की मिठास उन्हें मां संजो बघेल से विरासत में मिली है। देश की एकमात्र आल्हा गायिका के रूप में सर्वप्रिय संजो बघेल की दो अन्य पुत्रियां दिव्या राजपूत और दीप्ती बघेल भी मनमोहने वाली देवीजस गान परंपरा से जुड़ी हुई हैं। बघेल परिवार में देवीजस गान परंपरा का सूत्रपात श्री बैनी सिंह द्वारा किया गया। 2005 में सर्वप्रथम भोला नी मानें गाकर चर्चा में आयीं संजो बघेल के साथ शिल्पी गत पांच वर्षों से मंचीय प्रस्तुतियाॅं देती रही हैं। बुंदेलखंड की माय बैठाने की लोक धर्मी संस्कृति के चलते उनके गाये देवीजस से लोक मानस वशीभूत होता रहा है। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मंचों पर प्रतिष्ठित पुरस्कारों से पुरस्कृत संजो जी के अनुसार भक्तिपरक गीतों ने उन्हें रूपया पैसा जो दिया सो दिया पर सम्मान बहुत दिया। आज भी बघेल परिवार देवीजस गीतों की प्रस्तुतियों से पूर्व देवी का अर्चन कर कंठ में आकर विराजने का निवेदन करता है और दर्शकों से आशीवार्द लेकर ही प्रस्तुतीकरण करता है। हमने सर्वश्रुत संजो बघेल जी से संपर्क साध कर देवीजस गीतों के बारे में जाना तो ज्ञात हुआ कि वस्तुतः बुंदेली संस्कृति के प्रमाणिक दस्तावेज उसके भगत गीत हैं। चैत्र शुक्ल द्वितीया से रामनवमी और दूसरे अश्विन पक्ष की द्वितीया से विजयदशमी तक गांवों में महामारियों से रक्षणार्थ और प्रेत बाधाओं से मुक्ति की अभिलाषा में गाये जाने वाली भगत परंपरा का अनुशीलन कर देवी जस में भी मां शारदा का स्मरण कर लोक बिम्बों को समाहित कर लिया जाता है। ढोलक की तीव्र थापें वातावरण को उत्साहजनक बनाकर दर्शकों के पैरों में थिरकन ला देती हैं।

जनरंजन के लिए लोककंठ से झरने वाले इन भगत गीतों में मैहर वाली शारदा माता के प्रति असीम भक्ति भाव झलकता है। लोक-धर्म, लोक दर्शन और लोकादर्श में परिपूर्ण इन भगत गीतों की प्रस्तुति में इसीलिए लोकवाद्यों जैसे झांझ, मंजीरा और ढोलक पेटी (हारमोनियम) बजाए जाते हैं। सत्यतः कभी विन्ध्येलखण्ड कहलाने वाले मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल के भगत गीत और देवीजस गीत एक ही हैं। बुंदेखण्ड अर्थात बुंदेलाओं का गढ़ रहे अंचल विशेष में आल्हा गान, हरदौल और ईसुरी की फागें गाने वाला लोकमन सरस देवीजस गीतों में रमता और रमाता रहा है। सम्भवतः यहीं कारण भी रहा कि जब देश की सर्वप्रथम महिला आल्हा गायिका संजो बघेल ने खनकती आवाज के बल पर लोकत्व के साथ पुरूष प्रधान गायकी में अपना विशिष्ट स्थान बनाया तब बुन्देल खंड की सहृदयी जनता ने उन्हें हाथों हाथ लिया। संजों कहती हैं कि उन्हें अपार जन समूह के समक्ष देवी जस गाने में परम आनंद और परम संतोष मिलता है। मायानगरी बुम्बई में अनेक प्रतिष्ठित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा अपने देवीजस गीतों की रिकाॅर्डिंग करा चुकी संजो और शिल्पी देवी की अनन्य भक्त हैं और हरमाह के पहले पखवाड़े में वे मैहर की शरदा माता के दर्शन को अनिवार्य रूप से जाती हैं। ओम शिव शक्ति देवी जागरण ग्रुप के बैनर तले लोकोत्सवों में प्रस्तुतियां देने वाली संजो बघेल के पास लेाक गीतों का विपुल संग्रह है जिन्हें 75 वर्षीय नेत्रहीन परसुराम जी पटेल संगीत बद्ध कर लोक श्रुत बना देते हैं। यों समझ लीजिये जबलपुर स्थित भातखण्डे संगीत महाविद्यालय में शिक्षक रहे श्री पटेल ही संजो के देवीजस गीतों में प्राणों का संचार करते हैं। संजो बताती हैं कि व्यावसायिकता के प्रतिस्पर्धी समय में लोककवियों की सहायता से देवीगीतों की रचना करवाने  का चलन चल पड़ा है। विनोद सेन, गोविन्द बेनाम, निरंजन सेन और संजय तिवारी इत्यादि रचयिता नये बुंदेली देवीजस गीत लिख रहे हैं जिन्हें संजो और उनका परिवार अपनी चमत्कारिक गायकी से धर्मपरायण जनता के भीतर गहेर उतार रहा है। शिल्पी के साथ सह गायक रोशन शर्मा, शिवानी राजपूत हारमोनियम पर राजेश विश्वकर्मा, तबले पर सतीश विश्वकर्मा ढोलक पर सुवित खरे झांझ पर मनीष कुमार लखेश और राजेंद्र राजपूत ने भी अपने प्रतिभाओं के बल पर दर्शकों को प्रभावित किया।

Comments

  1. राम जूनागढ़ says:

    આલંકારિક ભાષા કે સાથ પ્રસ્તુતિ
    નૃત્ય સંબંધી પુખ્તા જાનકારી
    વિડીયો ભી ડાઉનલોડ કરકે તાદ્રશ્ય ચિત્રણ કિયા ગયા.
    આપની લેખની વિષય કો પ્રસ્તુત કરને મે પાવરફૂલ હૈ.
    બહનજી , મૈ પ્રશંસા નહિ કર રહા હૂ, બ્લકિ રીયાલીટી બતા રહા હૂ.
    પારંપરિક નૃત્ય સંબંધી માહિતી સબ કો સત્ય કે સાથ ઉપલબ્ધ હો રહી હૈ.
    ધન્યવાદ ?

  2. संजय महाजन says:

    अति सुन्दर
    संजय महाजन

  3. kamal dubey says:

    आपकी लेखनी बहुत ही सुन्दर है

  4. उदयसेवक धावनी says:

    Vah.. Excellent… Apni information aur lekhni bahot hi kabiledad he apne Garba.. Dandiya aur tippani ke bare me bahut hi aches likes he dhanyavad

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