कश्मीर के अनंतनाग की भांड पथर चौराहा नाटक शैली

कश्मीर

मंच और परदे के बिना होने वाले इस लोकनाट्य में लोकरूचि के अनुरूप विषय का चयन किया जाता है। जैसे दर्जा पथर में ईरान के बादशाह और कनीजों के कश्मीर में आने और उनके द्वारा भोले-भाले कश्मीरियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले कथासूत्रों को चार से अधिक मसखरों की उपस्थिति में हास-परिहास और व्यग्यांत्मक चटखारों के साथ प्रस्तुत किया जाता है। धूर्तचरितों को चयनित करने के पीछे कारण यहीं होता है कि इससे लोकमानस शीघ्रता से जुड़ जाता है और उसे रूचिकर भी लगता है। मनोरंजन की दृष्टि से इसी नाटक में जब मसखरा बादशाह से कहता है असि छ पशाक यम छू नंनगई अभिप्राय यह कि राजा कितने कपड़े पहन लें रहेगा तो निर्वस्त्र उससे तो अच्छे हम हैं, बादशाह के ऊपर किये गये कटाक्षों से लोक अपने मन की भडांस निकाल लेता है और उसमें रम जाता है। इन कलाकारों की कला इतनी मंजी हुई होती है कि व्यक्ति, पद, वर्ग और जाति विशेष पर की गई चोट हास्य के मरहम से शीतल हो जाती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *