खेलते होंगे बच्चे यहां के कभी भरा समन्दर गोपी चन्दर बोल मेरी मछली तेरे तालाब में कितना पानी यह विचारते हुए होंठों पर स्मित (मुस्कान) तैर गयी थी। भोपाल से 32 कि.मी. दूर तक हरहराती बेतवा (वेत्रवती) नदी यमुना नदी में समागमित होने को आतुर दिखी , भूरे रंग की धूल खाई अनगढ़ चट्टानें दिखीं , आम, महुआ, ईमली, पीपल, बड़ और सीताफल के असंख्य पेड़ों पर अटकी हुई धूप भी दिखी कलियासोत धारा को पार कर बायें हाथ पर बने विशालकाय नंदी को पीछे छोड़ते हुए हम आज परमारकालीन राजा भोज की नगरी भोजपुर आ गए थे जहां विंध्यपर्वत शृंखलाओं के बीच …