बुंदेलखण्ड की हास्य-परिहास वाली स्वांग परंपरा का रसास्वादन कराती ‘आ गई पूना बावरी’ का मंचन पिछले दिनों भोपाल स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के सभागार में हुआ। सागर जिले के कर्रापुर कस्बे के ढीमर, मांझी और केवट समाज के लोक जीवन के बिम्ब समेटे इस प्रस्तुति में व्यंजनामयी लच्छेदार संवादों को सरस गीतों के साथ सम्मिलित कर ऐसे प्रस्तुत किया गया जो सभागृह में उपस्थित दर्शकों की निरंतर वाहवाही बटोरता रहा। नर्मदा मांई के सुमिरन के साथ शुरू हुए स्वांग ने आस्थावादी बुंदेली संस्कृति को जीवंत कर दिया। लघुता लिए इस स्वांग में बुंदेलखण्ड के ढिमरयाई नृत्य की लपक व लचीलापन भी था तो लोकोपयोगी संदेश भी समाहित था। …
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बिहार की गोंडऊ लोकनाट्य शैली, बुंदेली लोकगान और असम के लोकनृत्य
बिहार प्रान्त की लोकनाट्य परंपरा, गोंड नाट्य शैली गोंड़ऊ, व्यंग्यात्मक संवाद, नृत्य की प्रधानता पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के दर्शनगृह में देश की लोकसंस्कृति और लोकांचलों के परिवेश की सुरम्यता को अनुभूत करने का अवसर मिला। रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला के अन्तर्गत बिहार प्रान्त की गोड़ऊ लोकनाट्य शैली में शिव-विवाह प्रसंग का रसमय मंचन हुआ वर्तमान में विलुप्त प्राय तीव्र गति से होने वाले अथवा हुड़का नृत्यों की बहुलता वाली इस शैली को बक्सर के प्रभुकुमार गोंड के निर्देशत्व में तैयार किया गया था। लगभग डेढ़ घण्टे की नृत्य संगीत और व्यंग्यात्मक वार्तालाप वाली यह …