आचार्य नरेन्द्र देव ने कहा था संस्कृति लोक चित्त की खेती है। निःसन्देह जिये हुए जीवन पर निर्भर लोक साहित्य लोकरस की प्रधानता के कारण ही लोक संस्कृति को उर्वरत्व प्रदान करता है। लोकसंस्कृति का यही वैशिष्ट्य हमें भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के मंच पर अभिनयन श्रृंखला के अन्तर्गत आयोजित मालवा के लोकनाट्य ‘माच’ के प्रभावशाली प्रदर्शन में दिखाई दिया। मध्यप्रदेश के मालवा की चिरप्रचलित लोकनाट्य शैली में मालीपुरा सांस्कृतिक माच मण्डल एवं लोक कल्याण समिति उज्जैन के लोक कलाकारों द्वारा प्रणवीर तेजा जी का मंचन मन को लुभा गया। वीरवर तेजा जी का खेल मालवा संस्कृति का अभिन्न अंग …