भोपाल से महिदपुर की साढ़े तीन घंटे की यात्रा, अश्विनी शोध संस्थान के संस्थापक डॉ. आर.सी. ठाकुर से वार्तालाप कोहरे का दुशाला ओढ़े मानो कोई सौभाग्यवती सवेरे-सवेरे सूर्य दीपक जला गई हो और हम उसे निरखते हुए भोपाल से महिदपुर की यात्रा पर निकले हों उषाकाल में यही स्थिति थी राजमार्ग क्र.SH-18 और NH-52 पर, लगभग 240 किमी का रास्ता तय कर आज हम सिक्के वाले डॉ आर सी ठाकुर के अवेक्षणीय संग्रहण के अवलोकक बनने के लिए भोपाल से निकले थे । लगभग चार लाख सिक्कों के अद्भुत संग्रह के संबंध में जानने और समझने के उत्कंठातुर हम उज्जैन के महाकाल वन …
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निसर्ग विहार : जो मार्ग शनिदशा में सम्राट विक्रमादित्य को चकल्दी लाया, वही महामार्ग सम्राट अशोक को पानगुड़ारिया लाया था
भोपाल से सीहोर जिले की मालीबायाँ वीरपुर सड़क पर निसर्ग की रमणीयता धुइले आकाश को पीछे छोड़ते हुए सबेरे-सबेरे हम अतीत में झाँकने की अकुलाहट लिए भोपाल जिले की परिमा से सटे सीहोर जिले की ग्राम्यता में रमते रमाते बढ़े जा रहे थे,मूर्धन्य कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी की लिखी पंक्तियाँ स्मृतियों में कौंधे जा रही थीं शहरों में आप मोटर दौड़ा सकते हैं, बहुत चाहें तो झूठ-मूठ के मन बहलाने वाला गुलाब गार्डन और निकम्मे लॉन लगा सकते हैं पर रेफ्रीजरेटर में रखे फलों में असल स्वाद कहाँ से ला पाएंगे। सूरज की किरनें गाँव वालों को असीसने लगीं …