मणिपुर की सुमंग लीला में थोइबी और खाम्बा का प्रेमाख्यानक

प्रयाग के कुंभ, उज्जैनी के सिंहास्थ के उपलक्ष्य में आयोजित धर्मोंत्सवों में अपने कबीर की छाप वाले निरगुणी गीतों का प्रभावपूर्ण प्रदर्शन करने वाली श्रीमती कमला बाई के गीतों में मछिन्दरनाथ और गोरखनाथ का उल्लेखन भी हुआ ,हमने उनसे बात कर भीली आदिवासियों के अन्तर्मन में प्रेरणा पुरूष के रूप में विराजे कबीरदास जी के कबीरा गीतों के निमाड़ीकरण को जानने का प्रयास किया, उन्होंने बताया कि उनके पास 40-50 निर्गुणी लिपिबद्ध रचनाएं हैं जिन्हें वे देश के प्रतिष्ठित मंचों से गाती रही हैं। वस्तुतः लोक प्रचलित सिरगुणी भजनों की भी समृद्धशाली संपदा उनके पास है जिनमें निमाड़ के संस्कार गीतों से लेकर पारंपरिक गणगौर, बारहमासी गीत यहां तक कि मृतक संस्कारों पर गाये जाने वाले मसाण्या गीत और साढ़ू बाबा  के गीत सम्मिलित हैं। स्संत्तयत: निमाड़ की संत  सिंगाजी के निरगुण निराकार ब्रह्म की आध्यात्मिकता लिए निरगुणिया गीतों की गायकी लोकमानस को कबीर से सहजता से जोड़ती है।श्रीमती कमला बाई बताती हैं कि धामनोद में अपने पिता मांगीलाल जी से उन्होंने इस प्रकार के निरगुणिया भजन सीखे थे जो निमाड़ाचंल से किसी समय मालवांचल के देवास में आकर रहने लगे थे यही पिता की परवरिश में संत साहित्य के शिरोमणि कबीर की वाणी का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

कबीर के लोक पदों को मंचीय प्रतिष्ठा दिलाने में भूतिया खुर्द के सरपंच बलदेव सिंह और प्रसिद्ध कबीर गायक श्री दयाराम सिरोलिया ने उनकी विशेष सहायता की। पूर्व में मंदिरों के प्रांगण में राम-कृष्ण भक्ति गीत गाने वाली श्रीमती कमला बाई को कबीर का मानवतावादी दृष्टिकोण बहुत सुहाया ।25 साल से लोकगान से संबंद्ध रही कमला बाई भूरिया जब अपनी गायकी से लोकभाषा में माया मोह रूपी पाटों के बीच कोई भी साबुत नहीं बचेगा गाकर कबीर के उद्गार लोकधुनों में ढालकर प्रस्तुत करती हैं तो लोक उसे सरलता से ग्राहय कर लेता है। हमने पाया कि शील, स्नेह, सुमति और अच्छे कर्मों की चुन्दरी ओढ़ने और ईश्वर में ध्यान लगाने का मार्ग प्रशस्त करते कमला जी द्वारा गाये कबीर के भजनों में उनके लोकानुभवों का निचोड़ है जो उन्हें ‘कबीर’ गायकों की पंक्ति में सम्मानित स्थान दिलाता है। देवास की एक सोयाबीन तेल कंपनी में काम करने वाली श्रीमती कमला बाई भूरिया की गायकी की परिपक्वता सराहनीय है।

Comments

  1. राम जूनागढ़ says:

    આપ બહુત સુંદર કાર્ય કર રહે હૈ.લોક સંસ્કૃતિ કે વિધ વિધ મોતી સમાન કલા કો દ્રશ્ય શ્રાવ્ય રુપ મે પિરસકર અનઠા કાર્ય કર રહે હો.
    ધન્યવાદ

  2. Santosh Manipur says:

    Madam Disha Sharma I’m very thankful to you for your article promoting our Manipuri  folk theatre  Shumang Leela.

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