देश का एकमात्र संस्कृत वृंद (बैण्ड) और आदिशंकराचार्य की रचनाएँ

ब्रह्म सत्यस्य सत्यम् यही भारतीय आस्थावादी दृष्टिकोण – स्वामी मुक्तानंद पुरी देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में आयोजित शंकर व्याख्यानमाला के अन्तर्गत भक्ति आंदोलन में संतों की वाणी में अद्वैत दर्शन विषयक उद्बोधन में आदरणीय स्वामी मुक्तानंद पुरी जी ने परमतत्व से उद्भूत सृष्टि का पर्यवसान् भी उसी में निहित है कहकर संत रैदास तुलसी, सूरदास, कबीर, संत दादू दयाल और गुरु ग्रन्थ साहिब में निरुपित  विराट ब्रह्म की विश्व व्यापक संकल्पना को दोहराया। कार्यक्रम का आयोजन आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने किया था। सम्मान्य स्वामी मुक्तानंद पुरी जी ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती …

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हरियाणा का लोकनाट्य स्वांग, चम्बल का लांगुरिया गान, मालवा का मटकी और आड़ा नृत्य

किसी ने ठीक ही लिखा है कि लोक गीतों में ताजे पानी जैसा स्वाद होता है जबकि साहित्यिक गीतों में उबले पानी सा भान होता है सही भी है लोकविद्याएं लोक की वाणी से अद्भूत होती हैं और लोक द्वारा ही सहेजी जाती हैं। लोक शैलियों की इसी विलक्षणता को हमने हाल ही में भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के सभागृह में साक्षात् देखा व निरखा। कार्यक्रम में हरियाणा की अनुकृतिपरक लोकनाट्य स्वांग परंपरा में ‘शकुंतला दुष्यंत’ के मिलाप और भरत के जन्म के कथानक को कृष्णलाल सांगी और उनके दल ने दक्षता के साथ प्रस्तुत कर दर्शकों को रसविभोर कर दिया। …

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पंजाब की लोकनाट्य नकल चमोटा शैली, लोक नृत्य, और मालवा का कबीर गायन

पंजाब का लोक नृत्य, लोकनाट्य शैली, चमोटा, मालवा, कबीर, गायन, धर्म और संस्कृति

पंजाब प्रान्त की लोकनाट्य नकल परंपरा चमोटा शैली, नक्कालों का शानदार प्रदर्शन   लोकमानस की कल्पनाशीलता पर आश्रित लोकसाहित्य का वैशिष्ट्य ही है कि वह स्वयंप्रसूतता और स्वयंस्फूर्तता होता है जिसमें लोक गीत बादलों की भांति झरते हैं और घांस की तरह उपजते हैं। हाल ही में भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के प्रेक्षागृह में पंजाब की लोकनाट्य नक़ल परम्परा चमोटा शैली  में लोक संस्कृति के मूल्यों से रंजित ‘हीर रांझा’के चमत्कारिक प्रदर्शन को देखने का अवसर मिला। पंजाब के मालवा अंचल की मलवई उपबोली में लोक कलम से लिखे गये लोकप्रेम की निश्छलता लिऐ ‘हीर रांझा’की विशुद्ध प्रेमकथा को ख़ुशी मोहम्मद,सलीम …

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लोकरंजन में शिव – राजस्थानी कूचामणि ख्याल, बघेली गीत, निमाड़ी गणगौर नृत्य

लोकरंजन में शिव

बहुधा लोकसंस्कृति के संवाहक लोकगीतों और लोक अख्यायिकाओं में देवी-देवताओं के प्रति लोक मानस की अटूट आस्था परिलक्षित होती है। उसमें भी विशेष रूप से सृष्टि संहार के प्रणेता मंगलमय शिव तो पूर्ण श्रद्धा से विराजे दिखते हैं। प्राकृतिक प्रकोपों से रक्षणार्थ पूजित शिव आध्यात्मिक साधना करने वाले तत्वज्ञानी से लेकर जन-जन के परमाराध्य हैं उनके प्रति तीव्र आसक्ति लोक मन में उपजती है, लोक भावों के रूप में लोकधुनों में ढलकर लोकगायकों के कंठ से निस्रत होकर लोकरंजन का माध्यम बनती है। ऐसे ही आयोजन के दर्शक बनने का हमें सुअवसर मिला सोचा आपसे साझा करूं। भोपाल स्थित जनजातीय …

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शिवमय स्पंदन की जागृत धरा : ओंकारममलेश्वर ज्योतिर्लिंग तीर्थ

ओंकारममलेश्वर तीर्थ ज्योतिर्लिंग महानगरीय जीविकोपार्जन से परिश्रांत (थकान) और यंत्रबद्ध जड़ता से जी जब उकता जाता है, तब भौतिकता के कल्मष को धोने के लिए मन कहीं दूर चलने को अकुलाता है। यों भी यात्राएं अपने भीतर और बाहर को भली-भांति झांकने (आत्मदर्शी बनाने) का उपयुक्त अवसर प्रदान करती हैं। यात्रा यदि तीर्थ की हो तो भगवत्प्राप्ति और अन्तःकरण की शुद्धि दोनों का ही मार्ग प्रशस्त करती है। अतः इस बार हमने द्वादश ज्योतिर्लिंगों की परिसंख्या में चतुर्थ क्रम में प्रतिष्ठित सात्वक शिवधाम श्री ओंकारममलेश्वर के दर्शन-स्तवन का कार्यक्रम बनाया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 263 कि.मी. दूर स्थित ओंकारेश्वर …

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श्री केदारनाथ: देवभूमि उत्तराखण्ड में शिव का चिन्मयी धाम

श्री केदारनाथ

हमारे महामनीषियों ने तरति अनेन इति तीर्थम् की संज्ञा देकर तीर्थों के दर्शन तथा अभिगमन से अन्तःकरण की शुद्धि की जो धर्मदृष्टि प्रतिपादित की है उसे स्वानुभूत करने के अभिलाषी हों तो देवभूमि उत्तराखण्ड के तीर्थों का सेवन कर आइए। जहां द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रहों के गणनाक्रम में ग्यारहवें स्थान पर प्रतिष्ठित देव देवेश्वर महेशान का चिन्मयी स्थान श्री केदारनाथ धाम जगत्पति जगदीश्वर श्री विष्णु देव की शाश्वत परम स्थली श्री बद्रीनाथ धाम श्री विष्णु के वामपाद के अंगुष्ठ (अंगूठे) से उद्भूत तीर्थ मूर्धन्या गंगा का गंगोत्तरी धाम, सूर्य सुता यमुना का दिव्यातिदिव्य उद्गम स्थल यमुनोत्तरी धाम, सप्तपुरियों में …

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