यात्रा की शुरुआत – देवास और सीहोर जिलों की सीमा (जिसे ग्रामीणजन सरहद्दी पुकारते हैं) में स्थित देवबल्ड़ा लीजिये! आकाश के सुन्दर क्षितिज पर आ विराजे सविता भगवान और हम भोपाल इंदौर राजमार्ग क्रमांक 18 पर भोपाल से 125 कि.मी. दूर स्थित विंध्यांचल पर्वत माला के नाभिस्थान और नेवज नदी के उद्गम स्थल देवबल्ड़ा के परमारकालीन मंदिर संकुल के अन्वीक्षण और मंदिर क्रमांक एक की पूर्णता के साक्षी बनने की उद्देश्य सिद्धि यात्रा पर निकल गए थे। देवास और सीहोर जिलों की परिमा (जिसे ग्रामीणजन सरहद्दी पुकारते हैं) में स्थित जावर तहसील के देवबल्ड़ा गांव का पहुँच मार्ग मालवा को श्रीसंपन्न बनाने वाली …
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निसर्ग विहार : जो मार्ग शनिदशा में सम्राट विक्रमादित्य को चकल्दी लाया, वही महामार्ग सम्राट अशोक को पानगुड़ारिया लाया था
भोपाल से सीहोर जिले की मालीबायाँ वीरपुर सड़क पर निसर्ग की रमणीयता धुइले आकाश को पीछे छोड़ते हुए सबेरे-सबेरे हम अतीत में झाँकने की अकुलाहट लिए भोपाल जिले की परिमा से सटे सीहोर जिले की ग्राम्यता में रमते रमाते बढ़े जा रहे थे,मूर्धन्य कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी की लिखी पंक्तियाँ स्मृतियों में कौंधे जा रही थीं शहरों में आप मोटर दौड़ा सकते हैं, बहुत चाहें तो झूठ-मूठ के मन बहलाने वाला गुलाब गार्डन और निकम्मे लॉन लगा सकते हैं पर रेफ्रीजरेटर में रखे फलों में असल स्वाद कहाँ से ला पाएंगे। सूरज की किरनें गाँव वालों को असीसने लगीं …