यात्रा का प्रारम्भ, भोपाल से सारंगपुर होते हुए नलखेड़ा का पहुँच मार्ग, मालवी संस्कृति और जन-जीवन चर अचर विश्व के रक्षक सूर्य देव के आगमन से पहले उनकी अग्रगामिनी रात्रि की बहन उषा का अवतरण हो चुका था और हम एक और नयी यात्रा पर निकल पड़े थे। यात्रा का उद्देश्य अवान्तिक्षेत्र की शाक्तोपासना त्रिस्थलियों उज्जैन जिले के करेड़ी में स्थित महिषासुरमर्दिनी माता, आगर मालवा जिले की नलखेड़ा वाली बगलामुखी माता और राजगढ़ जिले के भैंसवा कलाली स्थित बीजासन माता के मंदिरों की दर्शनाभिलाषा था। हम भोपाल से श्यामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से नीलबड़, कलाखेड़ी, थाना दोराहा, सोनकच्छ, खजूरिया कलां, चायनी को लांघते …
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शाजापुर जिले का इतिहास, कार्दमकवंशीय शक ,परमारकालीन क्षत्रपों की पुरातात्विक सम्पदा और लोक संस्कृति
भोपाल से शाजापुर तक 10वीं से 13वीं सदी में परमार नरेशों के सांस्कृतिक उन्नयन के प्रतिमान चप्पे-चप्पे पर सूरज भल ऊगियो तुम जागो शंकर जी हो देव, तुम जागो हो ब्रह्म जी हो देव, तुम जागो विष्णु जी हो देव, सूरज भल ऊगियो रंग रातो जी दुनिया में हुओ उजास। मालवी भाषा की मिठास से पगी पंक्तियाँ इसलिए स्मृत हो आईं थीं क्योंकि आज हम पश्चिम मालवा के पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की जानकारियाँ एकत्रित करने के उद्देश्य से यात्रा पर निकले थे। उधर आकाश में धरती के उत्स में सम्मिलित होने के लिए सूर्य देव पटका बांधकर उद्यत …