निमाड़ की रसवन्ती लोक नाट्य गम्मत शैली, ओडिसी नृत्य में शिव और शिवा की अभिन्नता

निःसन्देह किसी अंचल विशेष की संस्कृति को उसकी वाचिक परंपरा से भली भांति समझा जा सकता है। पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के सभागार में निमाड़ प्रान्त की लोकसंस्कृति को रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला में पारंपरिक लोक नाट्य ‘गम्मत’ के रसास्वादन के साथ समझने का सुअवसर मिला। श्री शोभाराम वासुरे के निर्देशन में पटेल-पटलन का मंचन निमाड़ी बोली की समग्रता का सौन्दर्य बोध करा गया। मण्डलेश्वर की खरगोन रोड के छप्पन देव के निवासी 62 वर्षीय शोभाराम जी की सांवरिया गम्मत मण्डली के लोक कलाकारों ने अपनी रचनात्मकता से पश्चिम भारत के निमाड़ लोकांचल की समृद्ध संस्कृति के दर्शन करा दिये। एक घण्टे की …

Continue Reading

निसर्ग विहार : जो मार्ग शनिदशा में सम्राट विक्रमादित्य को चकल्दी लाया, वही महामार्ग सम्राट अशोक को पानगुड़ारिया लाया था

भोपाल से सीहोर जिले की मालीबायाँ वीरपुर सड़क पर निसर्ग की रमणीयता  धुइले आकाश को पीछे छोड़ते हुए सबेरे-सबेरे हम अतीत में झाँकने की अकुलाहट लिए भोपाल जिले की परिमा से सटे सीहोर जिले की ग्राम्यता में रमते रमाते बढ़े जा रहे थे,मूर्धन्य कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी की लिखी पंक्तियाँ स्मृतियों में कौंधे जा रही थीं शहरों में आप मोटर दौड़ा सकते हैं, बहुत चाहें तो झूठ-मूठ के मन बहलाने वाला गुलाब गार्डन और निकम्मे लॉन लगा सकते हैं पर रेफ्रीजरेटर में रखे  फलों में असल स्वाद कहाँ से ला पाएंगे। सूरज की किरनें गाँव वालों को असीसने लगीं …

Continue Reading

गुजरात की भवाई लोकनाट्य शैली, राजस्थान की मांगणियार गायकी

लोकगाथाएं लोक के पुराण हैं इसीलिए इतने वर्षों के बाद भी उनका अस्तित्व विद्यमान है। 13वीं सदी के उत्तरार्ध और 14वीं सदी के पूर्वार्ध में उत्तर गुजरात में अद्भूत लोकनाट्य शैली भवाई का मंचन भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के प्रेक्षागृह में देखने के उपरांत उरोक्त पंक्तियों की पुष्टि स्वतः ही हो गई। मोरबी (गुजरात) से पधारे विवेकानंद भवाई मण्डली  के 70 वर्षीय श्री हरिलाल पैजा के पुत्र प्रकाश के निर्देशन में 25 लोक कलाकारों के मन हरने वाले पारंपरिक भावमय प्रदर्शन ने हमें भावविह्वल कर दिया। रावत रनसिंह शीर्षक वाले भवाई लोकनाट्य में मोरबी के राजा रावत रनसिंह का मोजड़ी प्रेम प्रसंग, …

Continue Reading

मणिपुर की सुमंग लीला में थोइबी और खाम्बा का प्रेमाख्यानक

गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था आधुनिक भारत की संस्कृति एक विकसित शतदल के समान है। जिसका एक-एक दल उसकी प्रान्तीय भाषा साहित्य और संस्कृति है किसी एक को क्षति पहुँचाने  से कमल की शोभा क्षीण हो जायेगी। यह पंक्तियां पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के प्रेक्षागृह में आयोजित मणिपुर की बिरली लोकनाट्य शैली सुमंग लीला के प्रस्तुतीकरण के दर्शी बनकर स्मर हो आयीं। मणिपुरी रंगकर्मी नीलध्वजा खुमान के निर्देशन में ‘खोइरेंताक’ शीर्षक लिए लोक तत्वों से परिपूर्ण सुमंग लीला का प्रदर्शन मन मुग्ध कर गया। सुमंग लीला थोइबी और खाम्बा के  प्रेमाख्यानक पर आधारित थी। सुमंग लीला में …

Continue Reading

पश्चिम बंगाल की लोक नाट्य शैली “भवानी जात्रा” में महिषासुरमर्दिनी

आद्यशक्ति सहस्त्र भुजवती देवी ‘भवानी’ की शत्रुविमर्दिनी शक्ति का चिरस्मरणीय प्रदर्शन आकाश पाताल को अपनी ज्योति से उद्भासित करती आद्यशक्ति सहस्त्र भुजवती देवी ‘भवानी’ की शत्रुविमर्दिनी शक्ति का चिरस्मरणीय प्रदर्शन हाल ही में भोपाल के जनजातीय संग्रहालय के सभागार में देखने को मिला। पश्चिम बंगाल की संस्था कोलकात्ता रंगमंच थियेटर  के कलाकारों द्वारा शोभीजीत हलदर के निर्देशत्व में प्रस्तुत ‘भवानी जात्रा’ की प्रस्तुति ने आद्यान्त दर्शकों को भक्ति प्रवण बनाये रखा। हमारी शक्ति रूपिणी शक्ति हमारे भीतर छिपी है का गूढ़ार्थ लिये पश्चिम बंगाल की लोक नाट्य शैली ‘जात्रा’ में महिषासुरमर्दिनी को ऐसे रूपायित किया गया था कि हर दृश्य …

Continue Reading

धरोहर विहार : भोजपुर के 80 किमी क्षेत्र में आशापुरी, बिलोटा, ढाबला में प्रतिहार व परमारकालीन मंदिरसंकुल और शैवमठ

खेलते होंगे बच्चे यहां के कभी भरा समन्दर गोपी चन्दर बोल मेरी मछली तेरे तालाब में कितना पानी यह विचारते हुए होंठों पर स्मित (मुस्कान) तैर गयी थी। भोपाल से 32 कि.मी. दूर तक हरहराती बेतवा (वेत्रवती) नदी यमुना नदी में समागमित होने को आतुर  दिखी , भूरे रंग की धूल खाई अनगढ़ चट्टानें दिखीं , आम, महुआ, ईमली, पीपल, बड़ और सीताफल के असंख्य पेड़ों पर अटकी हुई धूप भी दिखी कलियासोत धारा को पार कर बायें हाथ पर बने विशालकाय नंदी को पीछे छोड़ते हुए हम आज परमारकालीन राजा भोज की नगरी भोजपुर आ गए थे जहां  विंध्यपर्वत शृंखलाओं के बीच …

Continue Reading