बुंदेलखण्ड की हास्य-परिहास वाली स्वांग परंपरा

बुंदेलखण्ड की हास्य-परिहास वाली स्वांग परंपरा

बुंदेलखण्ड की हास्य-परिहास वाली स्वांग परंपरा का रसास्वादन कराती ‘आ गई पूना बावरी’ का मंचन पिछले दिनों भोपाल स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के सभागार में हुआ। सागर जिले के कर्रापुर कस्बे के ढीमर, मांझी और केवट समाज के लोक जीवन के बिम्ब समेटे इस प्रस्तुति में व्यंजनामयी लच्छेदार संवादों को सरस गीतों के साथ सम्मिलित कर ऐसे प्रस्तुत किया गया जो सभागृह में उपस्थित दर्शकों की निरंतर वाहवाही बटोरता रहा। नर्मदा मांई के सुमिरन के साथ शुरू हुए स्वांग ने आस्थावादी बुंदेली संस्कृति को जीवंत कर दिया। लघुता लिए इस स्वांग में बुंदेलखण्ड के ढिमरयाई नृत्य की लपक व लचीलापन भी था तो लोकोपयोगी संदेश भी समाहित था। …

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कश्मीर के अनंतनाग की भांड पथर चौराहा नाटक शैली

कश्मीर

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के सभागार में कश्मीर की लोक प्रचलित चौराहा नाटक शैली ‘भाण्ड पथर’ प्रहसन का दर्शी बनना हमारे लिए नये अनुभव से साक्षात्कार करने जैसा था। शिकारगाह पथर शीर्षक से पर्यावरण तथा वनजीव संरक्षण का संदेश देकर कश्मीर की लोक संस्कृति को प्रतिबिम्बित करते प्रसंगों ने देखने वालों को न केवल गुदगुदाया बल्कि सोचने पर भी विवश कर दिया। ‘इम्तियाज अहमद बगथ’ के निर्देशन में की गयी प्रस्तुति में लकड़हारे और चरवाहे के संवाद, शिकारी और चरवाहे के बीच झड़प, चरवाहे और उसकी पत्नी का वार्तालाप, आलसी सिपाही की सजग चरवाहे के साथ विनोदमूलक वार्ता और अंत में …

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राजस्थान के चितौड़गढ़ के घोसुण्डा की कलगी तुर्रा शैली

राजस्थान

भोपाल स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के सभागार में राजस्थान के चितौड़गढ़ के घोसुण्डा कस्बे से पधारे कलगी के उस्ताद मिर्जा अकबर बेग काग़ज़ी के निर्देशत्व में तुर्रा कलगी शैली में निबद्ध राजकुमारी फूलवंती की आकर्षक प्रस्तुति ने मन मोह लिया। डेढ़ घण्टे के इस अभिनव प्रस्तुतीकरण में दर्शक आद्यंत सम्मोहित हुए से बैठे रहे। सूरजगढ़ के राजकुमार फूल सिंह के विवाह संबंधित कथानक में फूलसिंह भाभी संवाद, रूष्ट राजकुमार के बड़े भाई का उन्हें मनाना, फूलसिंह का चन्दरगढ़ में प्रवेश और मालिन द्वारा उन्हें शरण देना, स्त्री भेश में महल में राजकुमार फूलसिंह और राजकुमारी फूलवंती का परिसंवाद, ये समस्त …

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बिहार की गोंडऊ लोकनाट्य शैली, बुंदेली लोकगान और असम के लोकनृत्य

बिहार का गोड़ऊ लोकनाट्य, बुंदेली लोकगान और असम की कथक गुरू मरामी मेंधी लोकनृत्य शैली देवधानी और ओझा पाली

बिहार प्रान्त की लोकनाट्य परंपरा, गोंड नाट्य शैली गोंड़ऊ, व्यंग्यात्मक संवाद, नृत्य की प्रधानता पिछले दिनों भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के दर्शनगृह में देश की लोकसंस्कृति और लोकांचलों के परिवेश की सुरम्यता को अनुभूत करने का अवसर मिला। रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला के अन्तर्गत बिहार प्रान्त की गोड़ऊ लोकनाट्य शैली में शिव-विवाह प्रसंग का रसमय मंचन हुआ वर्तमान में विलुप्त प्राय तीव्र गति से होने वाले अथवा हुड़का नृत्यों की बहुलता वाली इस शैली को बक्सर के प्रभुकुमार गोंड के निर्देशत्व में तैयार किया गया था। लगभग डेढ़ घण्टे की नृत्य संगीत और व्यंग्यात्मक वार्तालाप वाली यह  …

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मालवा की लोक नाट्य शैली माच, जबलपुर का देवीजस गान, जूनागढ़ का गरबा

मालवा जबलपुर जूनागढ़

आचार्य नरेन्द्र देव ने कहा था संस्कृति लोक चित्त की खेती है। निःसन्देह जिये हुए जीवन पर निर्भर लोक साहित्य लोकरस की प्रधानता के कारण ही लोक संस्कृति को उर्वरत्व प्रदान करता है। लोकसंस्कृति का यही वैशिष्ट्य हमें भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय के मंच पर अभिनयन श्रृंखला के अन्तर्गत आयोजित मालवा के लोकनाट्य ‘माच’ के प्रभावशाली प्रदर्शन में दिखाई दिया। मध्यप्रदेश के मालवा की चिरप्रचलित लोकनाट्य शैली में मालीपुरा सांस्कृतिक माच मण्डल एवं लोक कल्याण समिति उज्जैन के लोक कलाकारों द्वारा प्रणवीर तेजा जी का मंचन मन को लुभा गया। वीरवर तेजा जी का खेल मालवा संस्कृति का अभिन्न अंग …

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देश का एकमात्र संस्कृत वृंद (बैण्ड) और आदिशंकराचार्य की रचनाएँ

ब्रह्म सत्यस्य सत्यम् यही भारतीय आस्थावादी दृष्टिकोण – स्वामी मुक्तानंद पुरी देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में आयोजित शंकर व्याख्यानमाला के अन्तर्गत भक्ति आंदोलन में संतों की वाणी में अद्वैत दर्शन विषयक उद्बोधन में आदरणीय स्वामी मुक्तानंद पुरी जी ने परमतत्व से उद्भूत सृष्टि का पर्यवसान् भी उसी में निहित है कहकर संत रैदास तुलसी, सूरदास, कबीर, संत दादू दयाल और गुरु ग्रन्थ साहिब में निरुपित  विराट ब्रह्म की विश्व व्यापक संकल्पना को दोहराया। कार्यक्रम का आयोजन आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने किया था। सम्मान्य स्वामी मुक्तानंद पुरी जी ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती …

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