यात्रा का प्रारम्भ, भोपाल से सारंगपुर होते हुए नलखेड़ा का पहुँच मार्ग, मालवी संस्कृति और जन-जीवन चर अचर विश्व के रक्षक सूर्य देव के आगमन से पहले उनकी अग्रगामिनी रात्रि की बहन उषा का अवतरण हो चुका था और हम एक और नयी यात्रा पर निकल पड़े थे। यात्रा का उद्देश्य अवान्तिक्षेत्र की शाक्तोपासना त्रिस्थलियों उज्जैन जिले के करेड़ी में स्थित महिषासुरमर्दिनी माता, आगर मालवा जिले की नलखेड़ा वाली बगलामुखी माता और राजगढ़ जिले के भैंसवा कलाली स्थित बीजासन माता के मंदिरों की दर्शनाभिलाषा था। हम भोपाल से श्यामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से नीलबड़, कलाखेड़ी, थाना दोराहा, सोनकच्छ, खजूरिया कलां, चायनी को लांघते …
उज्जैन और उसके आसपास का पुरावैभव दर्शाता विक्रम विश्वविद्यालय का अनूठा संग्रहालय-अध्ययनशाला
उज्जयिनी पुरातन काल से कला, शिक्षा, विद्या और धर्म का केंद्र रही है। कनकश्रन्गा, विशाला, कुशस्थली, अवन्ति, पद्यावती, अमरावती, प्रतिकल्पा नामों से अभिहित उज्जयिनी के पुरावैभव का अवलोकन करने का सुअवसर पिछले दिनों मिला। भूतभावन महाकाल की अधिष्ठान भूमि तथा भूमि पुत्र मंगल की जन्मभूमि उज्जयिनी की आस्थावान प्रणाम्य धरा के यूँ तो कई बार दर्शन किये हैं लेकिन इस बार पुरातात्विक दृष्टि से परिपूर्ण उज्जैन के प्राच्य सिंधिया शोध प्रतिष्ठान के संग्रहालय और अध्ययनशाला के दर्शन करने का मानस बना। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मंदिर में स्थित अनुशीलन संस्थान के रूप में स्थापित यह शोध संग्रहालय विश्वविद्यालय में अध्ययनरत …
शाजापुर जिले का इतिहास, कार्दमकवंशीय शक ,परमारकालीन क्षत्रपों की पुरातात्विक सम्पदा और लोक संस्कृति
भोपाल से शाजापुर तक 10वीं से 13वीं सदी में परमार नरेशों के सांस्कृतिक उन्नयन के प्रतिमान चप्पे-चप्पे पर सूरज भल ऊगियो तुम जागो शंकर जी हो देव, तुम जागो हो ब्रह्म जी हो देव, तुम जागो विष्णु जी हो देव, सूरज भल ऊगियो रंग रातो जी दुनिया में हुओ उजास। मालवी भाषा की मिठास से पगी पंक्तियाँ इसलिए स्मृत हो आईं थीं क्योंकि आज हम पश्चिम मालवा के पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की जानकारियाँ एकत्रित करने के उद्देश्य से यात्रा पर निकले थे। उधर आकाश में धरती के उत्स में सम्मिलित होने के लिए सूर्य देव पटका बांधकर उद्यत …
शैक्षणिक विहार : विस्मयकारी सिक्कों के संग्राहक डॉ. आर. सी. ठाकुर के साथ अंतरंग भेंटवार्ता और महिदपुर का अतीत
भोपाल से महिदपुर की साढ़े तीन घंटे की यात्रा, अश्विनी शोध संस्थान के संस्थापक डॉ. आर.सी. ठाकुर से वार्तालाप कोहरे का दुशाला ओढ़े मानो कोई सौभाग्यवती सवेरे-सवेरे सूर्य दीपक जला गई हो और हम उसे निरखते हुए भोपाल से महिदपुर की यात्रा पर निकले हों उषाकाल में यही स्थिति थी राजमार्ग क्र.SH-18 और NH-52 पर, लगभग 240 किमी का रास्ता तय कर आज हम सिक्के वाले डॉ आर सी ठाकुर के अवेक्षणीय संग्रहण के अवलोकक बनने के लिए भोपाल से निकले थे । लगभग चार लाख सिक्कों के अद्भुत संग्रह के संबंध में जानने और समझने के उत्कंठातुर हम उज्जैन के महाकाल वन …
धरोहर विहार -देवबल्ड़ा मंदिर संकुल के शिवमंदिर का पुनर्निर्माण संपन्न, विष्णु और गौरी मंदिरों का पुर्नविधान प्रारम्भ
यात्रा की शुरुआत – देवास और सीहोर जिलों की सीमा (जिसे ग्रामीणजन सरहद्दी पुकारते हैं) में स्थित देवबल्ड़ा लीजिये! आकाश के सुन्दर क्षितिज पर आ विराजे सविता भगवान और हम भोपाल इंदौर राजमार्ग क्रमांक 18 पर भोपाल से 125 कि.मी. दूर स्थित विंध्यांचल पर्वत माला के नाभिस्थान और नेवज नदी के उद्गम स्थल देवबल्ड़ा के परमारकालीन मंदिर संकुल के अन्वीक्षण और मंदिर क्रमांक एक की पूर्णता के साक्षी बनने की उद्देश्य सिद्धि यात्रा पर निकल गए थे। देवास और सीहोर जिलों की परिमा (जिसे ग्रामीणजन सरहद्दी पुकारते हैं) में स्थित जावर तहसील के देवबल्ड़ा गांव का पहुँच मार्ग मालवा को श्रीसंपन्न बनाने वाली …
ग्राम विहार : उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य की बहन सुन्दरा का गांव सुन्दरसी परमारकालीन वैभविक प्रमाणों से परिपूर्ण
यात्रा का प्रारम्भ : भोपाल से सुन्दरसी पहुँच मार्ग में अखंड सनातन सत्य सी ग्राम्य संस्कृति कभी-कभी अनजाने ठिकानों को हेरना (ढूँढना) बहुत भला लगता है, इसीलिए मुँह अँधेरे सूरज के जागने से पहले इस बार हम श्यामपुर, चांदबढ़ ,खजूरिया , चायनी,कालापीपल और जामनेर होते हुए SH 41 मार्ग पर छतनारे बबूल के हट्टे-कट्टे वृक्षों के बीच मालवांचल के गाँवों में अखंड सनातन सत्य सी ग्राम्य संस्कृति और तोतों-मोरों वाले भव्य नैसर्गिक विलास को निहारते हुए आगे बढ़े जा रहे थे। शाजापुर जिले के अंतर्गत आने वाला सुन्दरसी कस्बा हमारी गंतव्य स्थली था। हमने सुन रखा था ईसवी की प्रथम सदी में …